Israel, US की तरह Amit Shah ने लिया आतंक के खिलाफ सबसे तगड़ा एक्शन, पहले ही कह दिया था- ''ऐसा सबक सिखाएंगे...''

खास बात यह रही कि यह कार्रवाई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान के बाद हुई जिसमें उन्होंने कहा था कि ऐसी सजा देंगे कि दुनिया देखेगी। अमित शाह ने कहा था कि ऐसी सजा मिलेगी कि भारत में कोई आतंकी हमले की हिम्मत नहीं कर सकेगा।
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के कोईल गाँव में सुरक्षा बलों ने तीन नियंत्रित धमाके कर दिल्ली कार ब्लास्ट के ‘सुसाइड बॉम्बर’ माने जा रहे डॉक्टर उमर उन-नबी के पैतृक घर को जमींदोज़ कर दिया। कार्रवाई से पहले परिवार और पास-पड़ोस के घरों को खाली कराया गया और रात 12:30 बजे से 2:30 बजे के बीच दो मंज़िला मकान मलबे में तब्दील हो गया। इस दौरान आसपास के करीब दर्जनभर मकानों को भी हल्का नुकसान पहुंचा। यह कार्रवाई उस बड़े अभियान के साथ की गई जिसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस घाटी भर में उन स्रोतों की मैपिंग कर रही है जिन्हें आतंक गतिविधियों के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है।
देखा जाये तो देश ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ आतंकवाद से निपटने के लिए पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर अत्यधिक निर्णायक कार्रवाइयों की जरूरत है। पुलवामा की इस कार्रवाई को कुछ लोग “सामूहिक दंड” कह रहे हैं, लेकिन सच्चाई कहीं अधिक गहरी है। आतंकवादियों को पता होना चाहिए कि उनके एक कदम का परिणाम सिर्फ न्यायालय की चार दीवारों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उनके आतंक की जड़ें, उनके घर, तंत्र और संरचना, सब नष्ट कर दिए जाएंगे। यही नीति इज़रायल, अमेरिका, फ्रांस जैसे देशों ने अपनाई और आतंक को जड़ से कम किया। भारत भी उसी राह पर है।
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देखा जाये तो आतंकी अपना घर, अपनी संपत्ति, अपना इलाका, इन सबका इस्तेमाल लॉन्च पैड, स्टोरेज स्पेस, मीटिंग पॉइंट और कवर लोकेशन के रूप में करते हैं। जब तक उनकी यह ‘सुरक्षा छतरी’ सुरक्षित रहती है, उनका नेटवर्क फिर से पनपने की क्षमता रखता है। घर गिराना सिर्फ “सज़ा” नहीं, यह आतंक के बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करने का तरीका है। जिस डॉक्टर उमर ने दिल्ली में रेड फोर्ट के पास भीड़भाड़ वाले इलाके में 13 लोगों की जान ली, वह भी एक सुनियोजित मॉड्यूल का हिस्सा था। जो लोग उमर के घर को उड़ाने के कदम की आलोचना कर रहे हैं उन्हें समझना होगा कि आतंकी डॉक्टर के परिवार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई, उनको सुरक्षित निकाल कर घर खाली कराया गया। कार्रवाई ढांचे पर हुई, लोगों पर नहीं। यह अंतर समझना जरूरी है।
खास बात यह रही कि यह कार्रवाई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान के बाद हुई जिसमें उन्होंने कहा था कि ऐसी सजा देंगे कि दुनिया देखेगी। अमित शाह ने कहा था कि ऐसी सजा मिलेगी कि भारत में कोई आतंकी हमले की हिम्मत नहीं कर सकेगा। अमित शाह के इस बयान के कुछ ही घंटों बाद पुलवामा में आतंकी के घर को उड़ाने की खबर सामने आई। इससे संदेश गया कि मोदी सरकार की आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति एकदम स्पष्ट है। आतंकी के घर को उड़ा कर संदेश दिया गया है कि आतंकवाद की जड़ें जहाँ होंगी, वहीं काटी जाएँगी। घर, धन, संपत्ति, ढांचा, कुछ भी सुरक्षित नहीं रहेगा अगर उसका इस्तेमाल आतंक के लिए हुआ। जब आतंक खिड़कियों से झांक रहा हो, तो खिड़की बंद करने से काम नहीं चलता, कई बार पूरी दीवार गिरानी पड़ती है। भारत यही कर रहा है और यही करना समय की मांग है।
दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि ऐसे कदम “सिर्फ ग़ुस्सा बढ़ाएंगे” और “अगर घर उड़ाने से आतंक रुक सकता, तो यह बहुत पहले रुक चुका होता।” वहीं PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती और NC सांसद रूहुल्ला मेहदी ने इसे “सामूहिक सज़ा” करार दिया। देखा जाये तो कश्मीरी नेताओं के बयान दर्शा रहे हैं कि उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा की नहीं बल्कि अपने वोट बैंक की चिंता है लेकिन, केंद्र सरकार ने अपनी नीति स्पष्ट करते हुए संदेश दे दिया है कि आतंक पर सख्त और निर्णायक कार्रवाई जारी रहेगी।
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