बाल मजदूरी को खत्म किए बिना आर्थिक विकास के लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता: सत्यार्थी

Satyarthi

बाल श्रम को उसके सभी स्वरूपों में समाप्त करके ही भारत अपने आर्थिक विकास को अतिरिक्त बल प्रदान कर सकता है और कंपनियों से अधिक अंतर्राष्ट्रीय निवेश प्राप्त कर सकता है।

नयी दिल्ली। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने शुक्रवार को कहा कि बाल मजदूरी को खत्म किए बिना न तो आर्थिक विकास के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है और न ही कोई विकास टिकाऊ हो सकता है। उन्होंने विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस के मौके पर यहां एक कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से कहा, ‘‘बाल श्रम को उसके सभी स्वरूपों में समाप्त करके ही भारत अपने आर्थिक विकास को अतिरिक्त बल प्रदान कर सकता है और कंपनियों से अधिक अंतर्राष्ट्रीय निवेश प्राप्त कर सकता है।’’ सत्यार्थी ने कहा, ‘‘ बाल श्रम के उन्मूलन के बिना न तो आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है और न ही कोई विकास टिकाऊ हो सकता है।” उनके मुताबिक बाल श्रम को समाप्त करने के लिए कानून मौजूद हैं और उन कानूनों के प्रवर्तन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है, फिर भी लोगों का सामूहिक संकल्प बाल श्रम को रोकने में बहुत मददगार हो सकता है। बाल श्रम विरोधी दिवस पर श्रम और रोजगार मंत्रालय, वीवी गिरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान (एनएलआई), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और ‘कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन’ द्वारा संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम आयोजित किया गया। 

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इस कार्यक्रम में सत्यार्थी ने कहा, व्यवसाय बाल श्रम को कम करने में एक सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं और इसका मांग पर सीधा असर होगा।” सत्यार्थी ने कहा कि सरकारों, व्यवसाय जगत, नागरिक समाज और समुदायों द्वारा आज अगर तत्परता से इस दिशा में कदम नही उठाये गये तो लाखों बच्चे शोषण का शिकार होंगे और इसका दशकों तक भारत की आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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