शून्यकाल के अंतर्गत लोकसभा में गूंजा जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा
सासंद सत्यदेव पचौरी ने आज लोकसभा में देश में बढ़ रही आबादी पर निशाना साधा, सासंद ने सदन में कहा कि हम सब भली भांति जानते हैं की जनसंख्या वृद्धि के कारण अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बेरोजगारी, पर्यावरण का अवनयन, आवासों की कमी, निम्न जीवन स्तर जैसी समस्याएँ जुड़ी रहती हैं
सासंद सत्यदेव पचौरी ने आज लोकसभा में देश में बढ़ रही आबादी पर निशाना साधा, सासंद ने सदन में कहा कि हम सब भली भांति जानते हैं की जनसंख्या वृद्धि के कारण अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बेरोजगारी, पर्यावरण का अवनयन, आवासों की कमी, निम्न जीवन स्तर जैसी समस्याएँ जुड़ी रहती हैं। भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है साथ ही देश में उत्पादित खाद्यान्नों या उपलब्ध संसाधनों के परिप्रेक्ष्य में अधिक तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या आर्थिक वृद्धि दर और सामाजिक संतुलन दोनों को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती है। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक भारत की कुल आबादी 1.64 बिलियन के आँकड़े को पार कर जाएगी एवं वैश्विक जनसंख्या में 2 बिलियन हो जाएगी । इतनी बड़ी आबादी की आधारभूत आवश्यकताओं साथ ही देश में रोजगार पैदा करना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
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बढ़ती आबादी के चलते लोगों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं हो पा रही है. भारत में दुनिया की कुल कृषि भूमि का 2 फीसदी और पेयजल का चार फीसदी है, जबकि आबादी पूरी दुनिया की 20 फीसदी है. ज्यादा आबादी के चलते लोगों को आहार, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ रहा है. आबादी पर नियंत्रण पाने से लोगों के कल्याण के लिए बनी तमाम सरकारी योजनाओं को लागू करना आसान हो जाएगा. लम्बे समय से देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर किसी ठोस कदम के उठाए जाने की मांग की जाती रही है इसलिए मैं भी यह मांग करता हूँ की जनसंख्या नियंत्रण के लिए देश में भली भांति विचार विमर्श करके उपयुक्त कानून लाया जाये जिससे की जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगाने के साथ-साथ देश निरंतर आगे बढ़ने की दिशा में प्रगतिशील रहे।
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