पदयात्रा से सत्ता के शिखर पर कदमताल करने की कहानी पूरी फिल्मी है

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अभिनय आकाश । May 30 2019 3:12PM

2004 में पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी के सीएम बनने के बाद जगन रेड्डी के करियर को उड़ान मिली। उनका बिजनेस खनन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सीमेंट निर्माण और मीडिया तक में फैल गया। वे तेलुगू अखबार साक्षी और चैनल साक्षी टीवी के फाउंडर भी हैं।

आज जब पूरे देश में नई सरकार के शपथ को लेकर चर्चा-ए-आम है इन सब के बीच दिल्ली दरबार से 1800 किलोमीटर दूर एक राजनेता के राजनीतिक उदय की कहानी लिखी जा रही है। एक ऐसी कहानी जिसमें दुःख है, अपमान है, क्रोध है, संघर्ष है, बदला है और फिर हैप्पी इंडिंग भी है। आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद जगन मोहन रेड्डी ने राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री के रुप में आज शपथ ली। वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश विधानसभा की 175 सीटों में से 151 सीट जीतकर जनता का विश्वास हासिल करने के साथ ही लोकसभा की 25 में से 22 सीटों को भी अपने नाम किया। 'रावाली जगन, कवाली जगन' राजनीतिक अभियान के लिए बनाया गए इस गीत का अर्थ ‘जगन को आना चाहिए, हमें जगन चाहिए’ है। इस गाने को आंध्र प्रदेश की जनता ने बड़े गौर से सुना और इसके बोल को सच मानते हुए गाने की धुन में मगन होकर जगन मोहन पर जमकर प्यार बरसाया। 

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जिसके बाद वाईएसआर कांग्रेस के लिए शुरू हुआ ऐसा उत्सव जिसने जगन मोहन को प्रदेश की राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा बना दिया। लेकिन पूरे आंध्र प्रदेश को दंग कर देने वाला यह मनोरम दृश्य जगन मोहन के हिस्से में एक दिन में आकर नहीं गिर गया। इसके लिए उन्होंने राज्य की जनता का भरोसा हासिल किया है कि वही सूबे का भाग्य बदल सकते हैं। पूरे देश में जब चुनाव चल रहे थे तो सभी दलों के नेता गठबंधन साधने और मोदी को रोकने की कवायद में लगे थे लेकिन सुर्खियों से दूर अपने प्रदेश की सियासत के मिजाज को एक नेता चुपचाप से भांपने की कवायद में लगा रहा। 14 महीने की अपनी चुनावी यात्रा के दौरान 3648 किमी की सड़कें नापने वाले 46 साल के वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी की गिनती आंध्र प्रदेश के बड़े नेताओं में होती है। रेड्डी वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन रेड्डी विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हैं। जगन रेड्डी की पहचान एक नेता के अलावा के एक सफल बिजनेसमैन के तौर पर भी रही है। राजनीति में कदम रखने से पहले जगन रेड्डी ने 1999-2000 में बिजनेस से अपने करियर की शुरुआत की।

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2004 में पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी के सीएम बनने के बाद जगन रेड्डी के उम्मीदों को उड़ान मिली। उनका बिजनेस खनन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सीमेंट निर्माण और मीडिया तक में फैल गया। वे तेलुगू अखबार साक्षी और चैनल साक्षी टीवी के फाउंडर भी हैं। सितंबर 2009 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की अचानक मृत्यु हो गयी।

 

वाईएसआर रेड्डी की लोकप्रियता इतनी थी कि उनकी मौत की खबर सुनकर कई लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। जगन मोहन ने पिता की मृत्यु के बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए जाने की बात सोची थी लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उसके विपरित रोसैय्या को मुख्यमंत्री बना दिया। पिता की मौत के बाद राज्य में श्रद्धांजलि यात्रा निकालने की अनुमति भी जगन मोहन को कांग्रेस पार्टी से नहीं मिली थी। 

साल था 2010 का और तारीख थी 29 नवंबर की जब जगन मोहन ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद जगनमोहन रेड्डी द्वारा 2011 में वाईएसआर कांग्रेस की नींव रखी गयी। इसके बाद तो बस उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और विधायक से शुरू हुआ उनका राजनीतिक सफर मुख्यमंत्री तक पहुंचा। वर्तमान का चुनाव जगन मोहन रेड्डी के लिए उम्मीदों का चुनाव साबित हुआ चाहे वो लोकसभा का हो या फिर आंध्र प्रदेश की विधानसभा का, दोनों ही जगह रेड्डी ने मजबूती के साथ उपनी मौजूदगी को रखा और जनसमर्थन हासिल किया।

 

जगन मोहन की जीत का मंत्र

चार साल तक सत्ता में साझेदार बनकर सियासी सुख भोगने के बाद विशेष राज्य के मुद्दे की मांग को लेकर टीडीपी का राजग से अलग होने वाला दांव उल्टा पड़ गया। इसके अलावा राज्य सरकार की कई योजनाएं आर्थिक कारणों की वजह से अधर में लटकी रहीं। जगन मोहन ने जनता की नब्ज को भांपने के लिए सड़कों को नापना शुरू कर दिया। इसके अलावा वाईएसआर कांग्रेस की तरफ से जनता के लिए प्रजा दरबार लगाकर लोगों का समर्थन हासिल किया। 

 

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