अमरनाथ यात्रा के टलने के बाद हिमाचल में भी धार्मिक यात्राओं पर अनिश्चितता के बादल

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अमर नाथ यात्रा की तरह हिमाचल में भी पवित्र श्रीखंड महादेव, मणिमहेश और किन्नर कैलाश यात्रा का आयोजन जून जुलाई माह में होता है। यात्रा के दौरान इन पवित्र स्थलों में लाखों की तादाद में श्रद्धालु जुटते थे। स्थानीय लोगों का भी अच्छा-खासा कारोबार होता है।

शिमला। हिमाचल प्रदेश में वैश्विक कोरोना महामारी  के चलते धर्म कर्म पर सबसे अधिक असर पडा है। यहां सभी मंदिर पिछले अरसे से बंद हैं। यही हाल मस्जिद, गिरिजाघर और गुरुद्वारों का है। लेकिन अब लगता है कि पिछले साल की तरह इस साल भी प्रदेश में धार्मिक यात्राओं का आयोजन नहीं होगा। दरअसल, जम्मू काश्मीर में होने वाली विश्व प्रसिद्ध अमरनाथ यात्रा पहले ही स्थगित हो चुकी है। एक जुलाई से इस यात्रा की शुरुआत होनी थी। इसके चलते अब हिमाचल प्रदेश की धार्मिक यात्रायें भी स्थगित हों चूंकि अभी तक राज्य सरकार ने इस मामले पर कोई कदम नहीं उठाया है।

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अमर नाथ यात्रा की तरह हिमाचल में भी पवित्र श्रीखंड महादेव, मणिमहेश और किन्नर कैलाश यात्रा का आयोजन जून जुलाई माह में होता है। यात्रा के दौरान इन पवित्र स्थलों में लाखों की तादाद में श्रद्धालु जुटते थे। स्थानीय लोगों का भी अच्छा-खासा कारोबार होता है। बीते साल इन धार्मिक स्थलों की यात्राओं पर सरकार ने रोक लगा दी थी इस बार हालांकि सरकार ने अनलाक प्रक्रिया शुरू कर दी है लेकिन अभी तक न तो मंदिरों के खोलने न ही धार्मिक यात्राओं के आयोजन पर कोई फैसला हो पाया है। किन्नर कैलाश जाने वाले यात्री भी सरकार के आदेशों का इंतजार कर रहे हैं। जिससे असमंजस का महौल बना हुआ है प्रदेश की ऐतिहासिक एवं धार्मिक यात्राओं में शुमार श्रीखंड महादेव यात्रा पर इस वर्ष भी कोरोना के चलते संकट के बादल हैं। हर साल 15 से 31 जुलाई तक जिला प्रशासन की देखरेख में श्रीखंड महादेव यात्रा होती है। कुल्लू की जिलाधीष डॉ. ऋचा वर्मा ने कहा कि श्रीखंड यात्रा पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अगर कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते रहे तो श्रीखंड यात्रा नहीं होगी। एसडीएम आनी चेत सिंह के अनुसार इस बार भी यात्रा होने की संभावनाएं कम हैं।

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उधर, पवित्र मणिमहेश यात्रा पर भी असमंजस है। उपायुक्त चंबा डीसी राणा ने कहा कि जून-जुलाई में होने वाले मिंजर मेले और मणिमहेश यात्रा को लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। एक से 20 अगस्त तक चलने वाली किन्नर कैलाश यात्रा पर भी संकट के बादल हैं। सिरमौर जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चूड़धार की यात्रा पहले से ही प्रतिबंधित है। हालांकि, 15 अप्रैल को मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं। श्रद्धालुओं के आने पर प्रतिबंध है। चूड़धार में खाने-पीने व ठहरने की भी फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं है। मंडी जिले में 13-14 जून को नाचन और द्रंग क्षेत्रों में होने वाले सरानौहली (बकरयाले रा साजा) मेले का आयोजन स्थगित हो गया है। 10 जुलाई को नाचन के सरोआ धार स्थित माता जालपा और माता हाटेश्वरी मंदिर हटगढ़ में लगने वाला मेला भी कोरोना की भेंट चढ़ गए हैं। सोलन के राज्यस्तरीय शूलिनी मेले पर संकट छाया है।

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