तीन आईएएस अधिकारियों को कोर्ट के निर्देशों के पालन का निर्देश

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने तीन आईएएस अधिकारियों को एक सेवा याचिका के संदर्भ में दिए गए अपने आदेशों का दो सप्ताह के भीतर पालन करने या फिर अदालत के आदेश का पालन न करने की अपनी वजह बताने के लिए अगली सुनवाई के लिए निजी तौर पर पेश होने के लिए कहा है। सरकार के एक सेवानिवृत्त अधिकारी खाजिर मोहम्मद डार ने उन तीन अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर की थी, जिन्होंने उच्च न्यायालय द्वारा 14 मार्च 2012 को पारित किए गए एक आदेश को लागू नहीं किया था। इस आदेश में इन अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे वन विभाग में डार द्वारा दी गई सेवाओं के आधार पर उनकी वरिष्ठता तय करें और उन्हें सभी संबंधित लाभ दें।
न्यायाधीश मोहम्मद याकूब मीर ने मंगलवार को पारित आदेश में कहा, ‘‘पालन रिपोर्ट दायर नहीं की गई। पालन रिपोर्ट दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाता है। इस निर्देश का पालन न होने की स्थिति में सभी प्रतिवादियों को यह बताने के लिए निजी तौर पर मौजूद रहना होगा कि वह अब तक फैसले को लागू क्यों नहीं किया गया?’’
आदेश का पालन न होने की स्थिति में जिन अधिकारियों को निजी तौर पर मौजूद रहने के लिए कहा गया है, उनमें तत्कालीन राजस्व सचिव मोहम्मद अफजल भट, तत्कालीन वित्तीय आयुक्त राजस्व अरुण कुमार और तत्कालीन मंडलीय आयुक्त शैलेंद्र कुमार शामिल हैं। इससे पहले राज्य सरकार ने एकल पीठ के फैसले के तीन साल बाद उसके खिलाफ अपील करने का फैसला किया था लेकिन उच्च न्यायालय ने उस याचिका का खारिज कर दिया था।
इसके बाद, सरकार ने एक विशेष अवकाश याचिका के साथ उच्चतम न्यायालय से संपर्क किया, जिसे न्यायालय ने स्वीकार नहीं किया। डार का मामला पूर्व आईपीएस अधिकारी आशिक बुखारी के मामले जैसा है। उच्च न्यायालय की एक खंडीय पीठ ने पिछले साल 26 अक्तूबर को राज्य सरकार को पुलिस अधीक्षक के तौर पर बुखारी की वरिष्ठता पर गौर करने के निर्देश दिए थे। राज्य सरकार ने बुखारी के मामले में अदालत के आदेश को तय समय में लागू कर दिया था और आईपीएस अधिकारी को उप महानिरीक्षक के तौर पर एक माह के लिए सेवा से वापस जुड़ने की अनुमति दे दी गई थी और उन्हें सभी वित्तीय लाभ दे दिए गए थे। मामले की अगली सुनवाई नवंबर के तीसरे सप्ताह में है।
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