अमेरिकी विदेश मंत्री की दलाई लामा के प्रतिनिधि से मुलाकात पर तिब्बती खुश

Dalai Lama

दिल्ली में सार्वजनिक कार्यक्रम में राउंड टेबल मीटिंग में चीन की बढ़ती आक्रमकता के अलावा मौलिक स्वतंत्रता पर हुई चर्चा में दलाई लामा के प्रतिनिधि नांगडूप डोंगचुंग ने अमेरिकी विदेश मंत्री के समक्ष अपना पक्ष रखा है।

धर्मशाला। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के प्रतिनिधि नांगडूप डोंगचुंग के साथ उनकी मुलाकात भले ही चीन को नागवार गुजरी हो लेकिन निर्वासित तिब्बत सरकार व आम तिब्बती इस घटनाक्रम से खासा उत्साहित है तिब्बती इसे अमेरिका के चीन के प्रति आये बदलाव के तौर पर देख रहे हैं। दिल्ली में सार्वजनिक कार्यक्रम में राउंड टेबल मीटिंग में चीन की बढ़ती आक्रमकता के अलावा मौलिक स्वतंत्रता पर हुई चर्चा में दलाई लामा के प्रतिनिधि नांगडूप डोंगचुंग ने अमेरिकी विदेश मंत्री के समक्ष अपना पक्ष रखा है। 

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डांगेचुग केन्द्रिय तिब्बत प्रशासन में दलाई लामा के प्रतिनिधि के तौर पर नई दिल्ली में तैनात हैं  करीब पांच साल पहले बराक ओबामा से दलाई लामा ने जब मुलाकात की थी तो चीन ने उसका विरोध किया था। लेकिन ब्लिंकन ने दलाई लामा के प्रतिनिधि से मिल चीन को भी संदेश दिया है कि तिब्बत को लेकर उसके रुख से अमेरिका इत्तेफाक नहीं रखता है। व बाईडेन प्रशासन उसके विरोध से बेपरवाह ही रहेगा दलाई लामा के प्रतिनिधि से मुलाकात के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के ट्विटर पेज पर मुलाकात की कई तस्वीरों को साझा किया गया है। पिछले कुछ सालों से तिब्बत की निर्वासित सरकार को वैश्विक समर्थन में इजाफा मिला है और चीन के द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों को लेकर उसकी काफी आलोचना की जाती रही है। खासकर अमेरिका ने अब खुलकर तिब्बत की निर्वासित सरकार और सीटीए का समर्थन करना शुरू कर दिया है और उसी का एक हिस्सा एंटनी ब्लिंकन का तिब्बती प्रतिनिधि से मुलाकात है।

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इससे पहले नवंबर में तिब्बत की निर्वासित सरकार के पूर्व प्रधानमंत्री लोबसंग सांगे ने व्हाइट हाउस का दौरा किया था, जो छह दशकों में इस तरह की पहली यात्रा थी। इसके एक महीने बाद ही अमेरिकी कांग्रेस ने ’’तिब्बत नीति और समर्थन अधिनियम’’ पारित कर दिया था। जो दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने के लिए तिब्बतियों के अधिकार और तिब्बत की राजधानी ल्हासा में एक अमेरिकी वाणिज्य दूतावास की स्थापना की मांग करता है। अमेरिका के इस घोषणा के बाद चीन काफी भड़क गया था और चेतावनी देते हुए उसे तिब्बत से दूर रहने के लिए कहा था।  हालांकि कहा जा रहा है कि इस ’सिविल सोसायटी राउंड टेबल चर्चा,को लेकर चीन इस पर अपना विरोध जता सकता है।

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