चुनाव सुधारों की मांग को जनांदोलन बनाने का समय आ गया है: मेधा

Time for demand for electoral reforms medha patkar
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में ''क्रांतिकारी सुधारों'' की मांग को जनांदोलन का रूप देने का समय आ गया है।

नयी दिल्ली। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में 'क्रांतिकारी सुधारों' की मांग को जनांदोलन का रूप देने का समय आ गया है। मेधा ने कहा, " वर्तमान समय में जनप्रतिनिधि जिस तरह से संवैधानिक मूल्यों को खुला उल्लंघन कर रहे हैं उसे देखते हुए चुनाव प्रक्रिया में सुधार की सख्त जरूरत है। अब समय आ गया है कि चुनाव प्रक्रिया में क्रांतिकारी सुधारों की मांग को जनांदोलन बनाया जाए।" वह समाजवादी नेता और लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष रवि राय की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम बोल रही थीं।

मेधा ने कहा, "आज हम देख रहे हैं कि जो लोग संविधान की शपथ लिए हैं, वे ही संविधान के मूल्यों के खिलाफ काम कर रहे हैं। इस हालत में जनांदोलनों से जुड़े लोग खामोश नहीं रह सकते। अब हम सभी लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है।" उन्होंने कहा कि महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में उचित प्रतिनिधित्व मिलने पर जनतंत्र को मजबूती मिलेगी। नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता ने कहा, "विकास जो ढिंढोरा पीटा जा रहा है, वो विकास मुठ्ठी भर लोगों का है।

दलितों, शोषितों और कमोजोरों को विकास से दूर रखा जा रहा है। " मेधा ने कहा कि गुजरात में जिग्नेश मेवानी जैसे नेताओं का सामने आना जनांदोलन की ताकत को दिखाता है। इस मौके पर 'काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट" के अध्यक्ष मुचकुंद दुबे ने कहा, "शिक्षा के मामले में हम कई विकासशील देशों से पिछड़े हैं। हमें शिक्षा को लेकर भारत आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है।"

उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार में शिक्षा के अधिकार कानून को नजरअंदाज किया जा रहा है। दुबे ने कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि दलितों और अल्पसंख्यकों की उपेक्षा करके हम कभी विकसित देश नहीं बन सकते।

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