शीर्ष अदालत ने ‘हिन्दुत्व’ फैसले पर बहस में कई सवाल पूछे

कोर्ट ने पूछा, ‘‘कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय चिन्ह के आधार पर वोट मांग सकता है और कह सकता है कि लोग सीमा पर मर रहे हैं और इसलिए किसी खास पार्टी के लिए वोट कीजिए।''''

उच्चतम न्यायालय ने पूछा है कि क्या कोई व्यक्ति सीमा पर मौतों का मुद्दा उठाकर एक विशेष दल के लिए वोट मांग सकता है। यह सवाल उन कई सवालों में शामिल था जो दो दशक पुराने ‘हिन्दुत्व’ संबंधी फैसले पर फिर से गौर करने के लिए सुनवाई के दौरान उठाया गया। जनप्रतिनिधि कानून की धारा 123 (3) में ‘‘राष्ट्रीय प्रतीक’’ और ‘‘राष्ट्रीय चिन्ह’’ शब्दों का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने गुरुवार को कहा कि किसी को चुनावों में वोट हासिल करने के लिए उनके प्रयोग की अनुमति नहीं हो सकती।

पीठ ने सवाल किया, ‘‘कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय चिन्ह के आधार पर वोट मांग सकता है और कह सकता है कि लोग सीमा पर मर रहे हैं और इसलिए किसी खास पार्टी के लिए वोट कीजिए। क्या इसे अनुमति दी जा सकती है?’’ वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा, ‘‘यह इस प्रावधान में विशेष रूप से वर्जित है।’’ सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि संसद ने ‘‘अलगाववादी और सांप्रदायिक’’ प्रवृत्तियों पर काबू पाने के लिए चुनाव संबंधी कानून में ‘‘भ्रष्ट क्रियाकलाप’’ शब्द के दायरे को जानबूझकर ‘‘बढ़ाया’’ है। पीठ ने कहा, ''जन प्रतिनिधित्व कानून के वर्तमान उपबंध में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि संसद ने चुनावों के दौरान अलगाववादी और सांप्रदायिक प्रवृत्तियों पर काबू पाने के लिए ‘भ्रष्ट क्रियाकलाप’ शब्द के दायरे को बढ़ाने के बारे में सोचा।’’

इस पीठ में न्यायूमर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति एसए सोब्दे, न्यायमूर्ति एके गोयल, न्यायूमर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव शामिल थे। इसके बाद पीठ ने एक काल्पनिक सवाल उठाया और पूछा कि क्या एक ‘सिख ग्रंथी’ किसी खास हिन्दू उम्मीदवार के लिए वोट मांग सकता है, क्या यह कहा जा सकता है कि यह अपील संबंधित प्रावधान से उलझती है। दीवान ने जवाब दिया कि कानून के इस प्रावधान के तहत संभवत: यह ‘‘भ्रष्ट क्रियाकलाप’’ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि प्रावधान में प्रयुक्त ‘उनका धर्म’ शब्द से मतलब उम्मीदवार के धर्म से है, वोट मांगने वाले धार्मिक नेता के धर्म से नहीं। अदालत इस कानून की धारा 123 (3) के ‘‘दायरे’’ की जांच कर रही है जो ‘‘भ्रष्ट क्रियाकलापों’’ वाली चुनावी गतिविधियों सहित अन्य से संबंधित है।

इस बीच, तीन सामाजिक कार्यकर्ताओं तीस्ता सीतलवाड़, शामसुल इस्लाम और दिलीप मंडल ने ‘‘राजनीति से धर्म को अलग करने’’ की मांग को लेकर वर्तमान सुनवाई में हस्तक्षेप के लिए आवेदन दायर किया।

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