सभापति को प्रस्ताव के गुण-दोष पर फैसला करने का अधिकार नहीं: सुरजेवाला
![vice President has no right to decide on the merits and properties of the proposal, Randeep Singh Surjewala vice President has no right to decide on the merits and properties of the proposal, Randeep Singh Surjewala](https://images.prabhasakshi.com/2018/4/randeep-singh-surjewala_650x_2018042314331585.jpg)
धान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए दिया गया नोटिस राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू द्वारा आज खारिज कर दिया गया
नयी दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए दिया गया नोटिस राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू द्वारा आज खारिज किये जाने के बाद कांग्रेस ने कहा है कि उपराष्ट्रपति को इस प्रस्ताव के गुण-दोष पर फैसला करने का अधिकार नहीं है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नोटिस खारिज होने के बाद कई ट्वीट कर नाराजगी जतायी है।
उन्होंने लिखा है कि, ‘महाभियोग की संवैधानिक प्रक्रिया 50 सांसदों (राज्यसभा में) की ओर से प्रस्ताव (नोटिस) दिये जाने के साथ ही शुरू हो जाती है। राज्यसभा के सभापति प्रस्ताव पर निर्णय नहीं ले सकते, उन्हें प्रस्ताव के गुण-दोष पर फैसला करने का अधिकार नहीं है। यह वास्तव में लोकतंत्र को खारिज करने वालों और लोकतंत्र को बचाने वालों के बीच की लड़ाई है।’
उन्होंने कहा कि 64 सांसदों द्वारा महाभियोग का नोटिस दिये जाने के कुछ घंटे के भीतर ही राज्यसभा में सदन के नेता (वित्त मंत्री) ने राज्यसभा के सभापति के निर्णय पर एक तरह से लगभग फैसला ही सुना दिया। उन्होंने पूर्वाग्रह जताते हुए इसे प्रतिशोध याचिका बताया। कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया कि क्या प्रतिशोध याचिका अब बचाव आदेश बन गया है?
सुरजेवाला ने एम. कृष्णा स्वामी मामले का संदर्भ देते हुए लिखा कि, ‘राज्यसभा के सभापति अर्द्ध-न्यायिक या प्रशासनिक शक्तियों की गैर-मौजूदगी में गुण-दोष पर फैसला नहीं कर सकते। यदि सभी आरोपों को जांच से पहले ही साबित करना है, जैसा राज्यसभा के सभापति कह रहे हैं, तो ऐसे में संविधान और न्यायाधीश (जांच) कानून की कोई प्रासंगिकता नहीं रह जाएगी। संविधान का गला नहीं घोटें।’
अन्य न्यूज़