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उद्धव ठाकरे की ''राम परिक्रमा'' के पीछे का कारण क्या है?
- अभिनय आकाश
- जून 17, 2019 18:20
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लोकसभा चुनाव से पहले के उद्धव के तेवर और वर्तमान के अंदाज में फर्क भी नजर आया। चुनाव से पूर्व सख्त और तीखे तेवर में मंदिर निर्माण की बात के लिए भाजपा को कोसने और धमकाने वाले शिवसेना प्रमुख के अंदाज इस बार बदले-बदले से नजर आ रहे थे। मोदी सरकार को मंदिर निर्माण से कोई नहीं रोक सकता। उद्धव ठाकरे ने कहा कि राम लला से उन्होंने चुनाव बाद आने का वादा किया था और वही निभा रहे हैं।
साल 1992 में जब रथ यात्रा की राजनीति अपने चरम पर थी और कथाकथित बाबरी मस्जिद के विध्वंस की पटकथा लिखी गई थी तब उसकी जिम्मेदारी लेने के लिए परोक्ष रुप से कोई सामने नहीं आ रहा था। तभी बाल ठाकरे के एक बयान ने उन्हे हिंदुत्व का पुरोधा बनाकर खड़ा कर दिया। ठाकरे ने कहा था कि अगर बाबरी गिराने वाले शिवसैनिक हैं, तो मुझे उसका अभिमान है। हिन्दुत्व की राजनीति में भाजपा को पछाड़ने की होड़ में लगी शिवसेना की राजनीति में सटीक टायमिंग का हमेशा से बड़ा हाथ रहा है। चाहे 1992 में बाबरी मस्जिद गिरने पर बाल ठाकरे द्वारा उसकी जिम्मेदारी लेना हो, या फिर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उद्धव ठाकरे का 'चलो अयोध्या' का नारा लगाना हो या विधानसभा चुनाव से पहले मंदिर बनाने की प्रतिबद्ध्ता जताना हो। महाराष्ट्र की धरती से कभी-कभी की ओर अवतरित होने वाले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पिछले 8 महीने में 2 बार अयोध्या का दौरा कर चुकते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले मंदिर निर्माण के मुद्दे पर मोदी सरकार को जी भरकर कोसने और 'पहले मंदिर फिर सरकार' का नारा बुलंद करने वाले ठाकरे एक बार फिर राम लला के द्वार पहुंचे और मंदिर बनकर रहेगा की बात कह गए।
लोकसभा चुनाव से पहले के उद्धव के तेवर और वर्तमान के अंदाज में फर्क भी नजर आया। चुनाव से पूर्व सख्त और तीखे तेवर में मंदिर निर्माण की बात के लिए भाजपा को कोसने और धमकाने वाले शिवसेना प्रमुख के अंदाज इस बार बदले-बदले से नजर आ रहे थे। मोदी सरकार को मंदिर निर्माण से कोई नहीं रोक सकता। उद्धव ठाकरे ने कहा कि राम लला से उन्होंने चुनाव बाद आने का वादा किया था और वही निभा रहे हैं। उद्धव ठाकरे के मुंह से एक अजीब बात भी सुनने को मिली कि मैं अयोध्या आता रहूंगा लेकिन अगली बार कब आऊंगा, पता नहीं। उद्धव ठाकरे इस बार पूरी शिवसेना के साथ अयोध्या पहुंचे थे, लेकिन पिछली बार जैसा ताम-झाम देखने को नहीं मिला। उद्धव ठाकरे के साथ बेटे आदित्य ठाकरे और संजय राउत के साथ साथ महाराष्ट्र से चुन कर आये सभी 18 सांसदों भी अयोध्या में राम लला का दर्शन किये।
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पूरे साढ़े चार साल तक भाजपा के साथ कभी तकरार कभी इकरार वाले रिश्ते निभाने वाली शिवसेना ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के साथ मिलकर चुनाव में जाने का फैसला किया जो चुानवी कसौटी पर खड़ा भी उतरा। लेकिन इस साल ही महाराष्ट्र में विदानसभा चुनाव भी है जिसको लेकर दोनों दलों में कोई भी साझेदारी की बात नहीं बनी है। शिवसेना जो केंद्र की राजनीति से ज्यादा प्रदेश की राजनीति में दिलचस्पी रखने के लिए जानी जाती रही है। ऐसे ही एक सवाल के जवाब में बीते दिनों संजय राउत ने यह कह कर साफ कर दिया कि ठाकरे उप पद नहीं लेते। ठाकरे परिवार के सदस्य हमेशा प्रमुख बने हैं। मतलब साफ है महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना बड़े भाई की भूमिका निभाने के मंसूबे अभी से पाल रखे हैं। ऐसे में राज्य में काबिज फडणवीस नीत भाजपा गठबंधन सरकार आगामी विधानसभा चुनाव के वक्त शिवसेना से कम सीटें जीतती हैं तो शिवसेना की ओर से सीएम इन वेटिंग के सबसे प्रखर नाम आदित्य ठाकरे क्या राज्य के सर्वोच्चय पद पर काबिज हो पाएंगे।
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दूसरी स्थिति यह भी है कि अगर दोनों दलों में सीटों को लेकर बात नहीं बन पाती है और अकेले चुनाव मैदान में जाना पड़ता है तो नरेंद्र मोदी की लार्जर देन लाइफ छवि और देश की सबसे शक्तीशाली पार्टी से मुकाबला करना शिवसेना के लिए आसान नहीं होगा। गौरतलब है कि महाराष्ट्र की राजनीति में भी अयोध्या और राम मंदिर निर्माण का प्रभाव हमेशा से प्रमुखता से रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसका असर उत्तर भारत के बाद सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में है। इसके दो प्रमुख पहलु हैं एक तो महाराष्ट्र के शहरों में उत्तर भारतीयों की अच्छी खासी तादाद और दूसरा, 1992 में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद हिंसा के लपेटे में मुंबई शहर ही रहा था।
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ऐसे में अयोध्या मुद्दा महाराष्ट्र के चुनावों में खासा असर डाल सकता है। उद्धव ठाकरे दो रास्ते की सवारी पर चल रहे हैं जहां एक तरफ मोदी सरकार को मंदिर निर्माण से कोई नहीं रोक सकता की बात कह रहे हैं वहीं दूसरी तरफ खुद को हिंदुत्व के आइकन के रुप में स्थापित करने की कोशिश में भी लगे हैं। हिंदुत्व के एजेंडे को लेकर बाल ठाकरे के जमाने से चलती रही शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे इस बात से भलि-भाति अवगत हैं कि धर्म को भले ही राजनीति से अलग करने की बात होती रही है राजनीति में धर्म हमेशा से प्रमख स्थान रखता रहा है। इसलिए राम मंदिर का मुद्दा भले ही दशकों पुराना हो लेकिन अभी भी इसकी आंच पर सियासत के कई व्यंजन पकाए जा सकते हैं।
महंगाई के खिलाफ ममता का रोड शो, कहा- बंगाल में तृणमूल रहेगी परिवर्तन तो दिल्ली में होगा
- अभिनय आकाश
- मार्च 7, 2021 18:16
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ममता की कोशिश ये दिखाने की रही कि केंद्र की बीजेपी सरकार महंगाई पर काबू नहीं कर पा रही है इसलिए लोग एक बार फिर अपनी बेटी को मौका दें। यह रोड शो करीब 4 किलोमीटर लंबा रहा।
पश्चिम बंगाल में राजनीति का सुपर संडे देखने को मिला। प्रधानमंत्री मोदी की कोलकाता में रैली जो कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिग्रेड परेड मैदान में हुई। ममता बनर्जी चाहती हैं कि बंगाल के चुनाव में महंगाई मुद्दा बने। इसीलिए एलपीजी सिलेंडर की महंगाई को थीम बनाकर उन्होंने सिलीगुड़ी में रोड शो किया। ममता का ये रोड शो ठीक तभी हो रहा था जब कोलकाता में प्रधानमंत्री रैली कर रहे थे। दरअसल, ममता की कोशिश ये दिखाने की रही कि केंद्र की बीजेपी सरकार महंगाई पर काबू नहीं कर पा रही है इसलिए लोग एक बार फिर अपनी बेटी को मौका दें। यह रोड शो करीब 4 किलोमीटर लंबा रहा।
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ममता बनर्जी के सिलेंडर वाले पोस्टर को ही अपना जैकेट बनाकर साड़ी के ऊपर डाल दिया। ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल में तृणमूल रहेगी परिवर्तन तो दिल्ली में होगा। ममता बनर्जी के पैदल मार्च में बड़ी तादाद में महिलाएं दिखीं। इस दौरान टीएमसी सांसद नुसरत जहां और मिमि चक्रवर्ती भी नजर आईं। ममता ने इस दौरान कहा कि देश में मोदी-शाह का सिंडिकेट है, जो हमसे टकराएगा चूड़-चूड़ हो जाएगा।
West Bengal: Chief Minister Mamata Banerjee leads 'padyatra' against LPG cylinders' price hike, in Siliguri pic.twitter.com/T2tcee8qoM
— ANI (@ANI) March 7, 2021
शुभेंदु अधिकारी के बयान पर बोले उमर अब्दुल्ला, बंगाल J&K बनेगा तो दिक्कत क्या है?
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- मार्च 7, 2021 17:49
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उमर ने ट्वीट किया, “लेकिन आप भाजपा वालों के अनुसार अगस्त 2019 के बाद कश्मीर स्वर्ग बन गया है तो पश्चिम बंगाल के कश्मीर बनने पर क्या आपत्ति है? बंगाली लोग कश्मीर को पसंद करते हैं और बड़ी संख्या में यहां आते हैं।
श्रीनगर। नेशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने रविवार को भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी के उस बयान की आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में सत्ता में वापस आएगी तो राज्य कश्मीर जैसा बन जाएगा। उमर ने ट्वीट किया, “लेकिन आप भाजपा वालों के अनुसार अगस्त 2019 के बाद कश्मीर स्वर्ग बन गया है तो पश्चिम बंगाल के कश्मीर बनने पर क्या आपत्ति है? बंगाली लोग कश्मीर को पसंद करते हैं और बड़ी संख्या में यहां आते हैं इसलिए हम आपकी मूर्खतापूर्ण टिप्पणी को माफ करते हैं।” शुभेंदु अधिकारी पहले तृणमूल कांग्रेस में थे और बाद में भाजपा में शामिल हो गए। इस बार विधानसभा चुनाव में वह नंदीग्राम सीट पर तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के खिलाफ मैदान में हैं।
But according to you BJP wallas Kashmir has become paradise after August 2019 so what’s wrong with West Bengal becoming Kashmir? Anyway, Bengalis love Kashmir & visit us in large numbers so we forgive you your stupid, tasteless comment. https://t.co/drxRLxvIO1
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) March 7, 2021
ममता ने हेमंत सोरेन से तृणमूल कांग्रेस के लिए प्रचार करने का अनुरोध किया
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- मार्च 7, 2021 17:38
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झारखंड में झामुमो और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है और सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के खिलाफ वाम और इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ मिलकर गठबंधन किया है।
नयी दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अनुरोध किया है कि वह उनके लिए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रचार करें और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) भाजपा की चुनावी संभावनाओं को बाधित करने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए जल्द ही इस पर निर्णय लेगा। यह बात झामुमो के एक वरिष्ठ नेता ने रविवार को कही। यह घटनाक्रम महत्व रखता है क्योंकि झारखंड में झामुमो और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है और सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के खिलाफ वाम और इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ मिलकर गठबंधन किया है। राजद, समाजवादी पार्टी और शिवसेना के बाद बनर्जी ने पिछले हफ्ते कहा था कि विधानसभा चुनाव के लिए टीएमसी को झामुमो और राकांपा का समर्थन मिला है। झामुमो के एक वरिष्ठ नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ संवाद होता रहता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी मांग थी कि पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा के कुछ क्षेत्रों को झारखंड का हिस्सा बनाया जाना चाहिए था क्योंकि वे राज्य के लिए आंदोलन का हिस्सा थे, लेकिन 2000 में जो सीमा बनाई गई थी, उसमें कुछ क्षेत्रों को छोड़ दिया गया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘परिणामस्वरूप, आप देखेंगे कि पश्चिम बंगाल के चाय बागानों में, अधिकांश लोग झारखंड के हैं। इसलिए, हमारा वहां प्रभाव है।’’ झामुमो नेता ने कहा कि टीएमसी प्रमुख ने झारखंड के मुख्यमंत्री से उनके लिए प्रचार करने को कहा है। नेता ने कहा कि पार्टी द्वारा जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। नेता ने कहा, ‘‘हालांकि यह लक्ष्य तय है कि भाजपा को वहां पीछे धकेलना है और इस बात को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया जाएगा।’’
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झामुमो नेता ने साथ ही ईंधन की ऊंची कीमतों, कृषि कानून और किसानों के साथ व्यवहार जैसे विभिन्न मुद्दों पर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। नेता ने यह भी आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि सहकारी संघवाद केवल नाम का बचा है। गौरतलब है कि राजद के नेता तेजस्वी यादव ने भी बनर्जी की पार्टी को अपना समर्थन दिया था और बिहारियों से चुनाव में बनर्जी का साथ देने की अपील की थी। राजद भी हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार का हिस्सा है। 294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव 27 मार्च से 29 अप्रैल तक आठ चरणों में होंगे। मतों की गिनती 2 मई को होगी।

