चीन के साथ सीमा विवाद पर क्या है PM मोदी का रुख? विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया साफ

S jaishankar
ANI
अंकित सिंह । Nov 25, 2022 8:57PM
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि नरेंद्र मोदी चीन के मुद्दे पर पूरी तरीके से अडिग रहे हैं और उन्हें चीन भारत सीमा पर हमारे बलों के मजबूत तैनाती से आंका जाना चाहिए।

भारत और चीन के बीच 2020 से लगातार सीमा विवाद जारी है। 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनातनी की स्थिति है। पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों का सीमा विवाद कुछ ज्यादा ही है। सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच 16 सैन्य वार्ताएं हो चुकी हैं। लेकिन अब तक कुछ खास सफलता हासिल नहीं हुई है। भारत सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि सीमा पर चीन की एकतरफा कार्रवाई किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। भारत खुद की सुरक्षा के लिए पूरी तरीके से मजबूत है। हालांकि विपक्ष चीन के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर निशाना साधता रहा है।  

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इन सब के बीच आज विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि नरेंद्र मोदी चीन के मुद्दे पर पूरी तरीके से अडिग रहे हैं और उन्हें चीन भारत सीमा पर हमारे बलों के मजबूत तैनाती से आंका जाना चाहिए। इसके साथ ही विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री के चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से हाथ मिलाने को लेकर विपक्ष की आलोचना को खारिज कर दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि चीन के साथ व्यवहार करते हुए, वास्तविकता यह है कि यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, भारत का निकटतम पड़ोसी है, लेकिन साथ ही इसके साथ एक मुश्किल इतिहास, संघर्ष और एक बहुत बड़ा सीमा विवाद रहा है। 

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एक निजी टीवी चैलन से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि चीन से निपटने का सही तरीका यह है कि जब किसी को दृढ़ रहना हो तो दृढ़ रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आपको सैनिकों को सीमा तक ले जाना है, तो वे जो करने की कोशिश कर रहे हैं, उससे निपटने के लिए हमें वह करना चाहिए। उन मुद्दों पर जहां वे हमारे हितों का समर्थन या कमजोर नहीं करते हैं, इसके बारे में स्पष्ट होने के लिए जहां आवश्यक हो, इसके बारे में सार्वजनिक होना होगा। मैं इसके बारे में हर समय सार्वजनिक रूप से नहीं कहता, लेकिन जहां कूटनीति की आवश्यकता होती है, वहां सार्वजनिक होना अक्सर उपयोगी होता है।

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