क्या करें जब पाकिस्तानी गोलाबारी के दौरान स्कूलों में फँस जाएं बच्चे

भारतीय सेना की ओर से सीमा से सटे स्कूलों में बच्चों को विशेष प्रशिक्षण देने का अभियान चलाया जा रहा है ताकि गोलाबारी की स्थिति में कैसे खुद का या अन्यों का बचाव किया जा सके। आपको लिये चलते हैं भिम्बर गली के हमीर पुर इलाके में स्थित पाइन वुड स्कूल।
जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से अकसर संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाएं होती रहती हैं जिसका सीधा निशाना तो भारतीय सेना पर होता है लेकिन आम लोग भी इसमें अकसर बुरी तरह प्रभावित होते हैं। अनेकों बार आपने देखा होगा कि पाकिस्तान की ओर से अकारण की जाने वाली फायरिंग और गोलाबारी में सीमा से लगे गांवों के घर उजड़ जाते हैं, लोग हताहत हो जाते हैं और मवेशियों को भी हानि पहुँचती है। सीमा पर रहने वाले लोगों को बंकरों में शरण लेनी पड़ती है लेकिन कभी-कभार ऐसा भी होता है कि गोलाबारी के समय स्कूलों में बच्चे भी फँस जाते हैं। पिछले साल अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद पाकिस्तान की ओर से हताशा में जो गोलाबारी की जा रही थी उस दौरान पुंछ जिले के मेंढर सेक्टर में एक स्कूल में कई बच्चे फंस गये थे।
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सीमा के साथ लगने वाले गांव डारना में डर का माहौल बना रहा था क्योंकि तीन घंटे तक गोलाबारी चली थी। इस दौरान एक माध्यमिक स्कूल के बच्चे एक ही कमरे में काफी देर तक फँसे रहे थे। कभी ऐसा दोबारा हो तो बच्चों को क्या एहतियात बरतनी चाहिए इसके लिए भारतीय सेना की ओर से सीमा से सटे स्कूलों में बच्चों को विशेष प्रशिक्षण देने का अभियान चलाया जा रहा है ताकि गोलाबारी की स्थिति में कैसे खुद का या अन्यों का बचाव किया जा सके। आपको लिये चलते हैं भिम्बर गली के हमीर पुर इलाके में स्थित पाइन वुड स्कूल में जहां छात्रों को गोलाबारी के समय बचाव के उपाय बताये जा रहे हैं।
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सेना की ओर से छात्रों को समझाया गया कि जब पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी शुरू हो तो आप पहले अपने डेस्कों के नीचे लेट जायें उसके बाद पांच-पांच का ग्रुप बनाकर बंकर में जाएं। सेना की ओर से स्कूलों के पास भी बंकर बनाये गये हैं जिनमें पूरी सुविधाएं हैं। जैसे गोलाबारी के समय उस बंकर के अंदर क्लास भी लग सकती है। छात्रों ने प्रभासाक्षी से बात करते हुए कहा कि भारतीय सेना हमारे लिए हमेशा मददगार साबित होती है। छात्रों का कहना था कि इस इलाके में पाकिस्तान अकसर गोलाबारी करता है जिससे हमेशा डर बना रहता है लेकिन हमारी पढ़ाई का समय बेकार नहीं जाये इसके लिए सेना ने बंकर भी तैयार किया है और हमें गोलाबारी के बीच में से निकलने के तरीके भी बताये हैं।
बहरहाल, साफ दिख रहा है कि सेना सिर्फ सीमा पर सुरक्षा ही नहीं करती बल्कि मानवीय संवेदनाएं कूट-कूट कर भरी होने के कारण वह जम्मू-कश्मीर के सभी रहवासियों की पूरी सुरक्षा की चिंता भी करती है। भारतीय सेना को सलाम।
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