कब छोड़े जाएंगे हिरासत में लिए गए कश्मीरी नेता? गृह मंत्रालय ने दिया यह जवाब

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[email protected] । Nov 15 2019 4:25PM

गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने सांसदों से कहा कि जिन्हें जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है वे इसे अधिकृत न्यायाधिकरण में चुनौती दे सकते हैं और उसके आदेश से अंसतुष्ट होने पर उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।

नयी दिल्ली। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को बताया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे हैं और हिरासत में लिए गए नेताओं को धीरे-धीरे रिहा किया जा रहा है। हालांकि सूत्रों ने कहा कि बाकी नेताओं को छोड़ने के लिए कोई समयसीमा नहीं बताई जा सकती।

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कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की स्थायी संसदीय समिति की बैठक में सांसदों ने गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और उनकी टीम के अधिकारियों से जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति और हालात सामान्य करने के लिए उठाए जा रहे कदमों को लेकर सवाल पूछे। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के पांच अगस्त के फैसले के बाद गृह मामलों की स्थायी समिति की यह पहली बैठक थी।  सूत्रों के मुताबिक गृह सचिव ने सांसदों को बताया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे हैं, स्कूल खुल गए हैं और सेब का कारोबार हो रहा है। सूत्रों ने बताया कि हिरासत में लिए गए नेताओं को लेकर पूछे गए सवाल पर भल्ला और उनकी टीम के अधिकारियों ने कहा कि नेताओं को धीरे-धीरे रिहा किया जा रहा है लेकिन बाकी नेताओं को रिहा करने का समय पूछने पर उन्होंने कोई समयसीमा नहीं बताई।  

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गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने सांसदों से कहा कि जिन्हें जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है वे इसे अधिकृत न्यायाधिकरण में चुनौती दे सकते हैं और उसके आदेश से अंसतुष्ट होने पर उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।  उल्लेखनीय है कि जिन नेताओं को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया है उनमें पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं जो पांच अगस्त से ही हिरासत में है।  सांसदों ने कश्मीर घाटी में इंटरनेट सेवाएं बंद करने को लेकर भी सवाल किए जिस पर अधिकारियों ने बताया कि यह प्रतिबंध आतंकवादियों को विध्वंसक कार्रवाई को अंजाम देने से रोकने और असामाजिक तत्वों को अफवाह फैलाने से रोकने के लिए लगाया गया है। सांसदों को अधिकारियों ने बताया कि 1990 से अबतक जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हिंसा की 71,254 घटनाएं हुई जिनमें 14,049 नागरिकों की मौत हो गई और 5,293 सुरक्षा कर्मी शहीद हो गए। इसी दौरान 22,552 आतंकवादी भी मारे गए।

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