सुनील दत्त को मदर इंडिया से मिली थी अपार सफलता, राजनीति में भी लहराया परचम

sunil dutt
Prabhasakshi
निधि अविनाश । Jun 6 2022 12:25PM

एक फिल्म निर्देशक, निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ, सुनील दत्त का असली नाम बलराज दत्त था। फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले उन्होंने एक रेडियो शो होस्ट और एक सेलिब्रिटी साक्षात्कारकर्ता के रूप में काम किया। उनकी पहली फिल्म 1955 में रेलवे प्लेटफॉर्म थी।

6 जून 1929 को एक ऐसे शख्स ने जन्म लिया था जिसने हिंदी सिनेमा जगत से लेकर राजनीति तक में अपना परचम लहराया। फिल्मों से लेकर राजनीति में अपना हमेशा नाम रौशन करने वाले बॉलीवुड के सबसे बड़े दिग्गज दिवंगत अभिनेता सुनील दत्त ने अपनी मेहनत और लग्न से देश में अपना नाम बनाया। आज उनके बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर हम आपको बताएंगे उनकी फिल्मों से लेकर राजनीति करियर का सफर और साथ ही उनकी टॉप 5 फिल्मों की लिस्ट।

इसे भी पढ़ें: सादगी पसंद नूतन की पर्सनल लाइफ काफी उतार-चढ़ाव भरी थी

एक फिल्म निर्देशक, निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ, सुनील दत्त का असली नाम बलराज दत्त था। फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले उन्होंने एक रेडियो शो होस्ट और एक सेलिब्रिटी साक्षात्कारकर्ता के रूप में काम किया। उनकी पहली फिल्म 1955 में रेलवे प्लेटफॉर्म थी। बता दें कि दत्त ने कई फिल्मों में काम किया। यहां तक की वह कुछ पंजाबी फिल्मों में भी नजर आए। लेकिन उन्हें फिल्मी कॅरियर में सबसे बड़ी सफलता 1957 में फिल्म मदर इंडिया से मिली। सुनील दत्त को पड़ोसन, हमराज़ और गुमराह सहित कई फिल्मों में उनकी दमदार एक्टिंग के लिए लिए जाना जाता है। उन्हें आखिरी बार फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस में देखा गया था, जिसमें उन्होंने संजय दत्त के पिता की भूमिका निभाई थी। 

राजनीति में गहरी रुचि रखने वाले सुनील दत्त 1981 में बम्बई के शेरिफ़ चुने गये। उसके बाद 1984 में वे कांग्रेस (आई) पार्टी में शामिल हो गए और मुम्बई उत्तर पश्चिम लोक सभा सीट से चुनाव जीत सांसद का कार्यभार संभाला। दत्त यहाँ से लगातार पाँच बार चुने जाते रहे। जब पंजाब में सिख उग्रवाद अपने चरम पर था तब 1987 में दत्त ने मुंबई से अमृतसर के स्वर्ण मंदिर तक 1,250 मील शांति मार्च का नेतृत्व किया था। दत्त ने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के लिए सक्रिय रूप से काम किया। मनमोहन सिंह की सरकार में 2004 से 2005 तक वे खेल एवं युवा मामलों के कैबिनेट मन्त्री रहे। दत्त को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने 1968 में उन्हें पद्म श्री सम्मान प्रदान किया। वहीं उन्हें दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। 25 मई 2005 को सुनील दत्त की मृत्यु के बाद उनकी बेटी प्रिया दत्त ने अपने पिता से विरासत में मिली वह सीट जीती।

इसे भी पढ़ें: SP Balasubramanyam: 16 भाषाओं में गाए 40 हजार से ज्‍यादा गाने, गलती से बने थे डबिंग कलाकार

सुनील दत्त की 96वीं जयंती पर, यहां उनकी सबसे बेस्ट फिल्मों की लिस्ट:

1. यादें- इस फिल्म में सुनील दत्त को उनके असाधारण अभिनय के लिए काफी सराहा गया था। फिल्म अनिल के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी पत्नी और बेटे के जाने के बाद पछताता है। फिल्म ने एक फिल्म में सबसे कम अभिनेताओं के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह भी बनाई।

2. पड़ोसन- 1968 में रिलीज हुई यह फिल्म एक साधारण आदमी की मजेदार यात्रा है जिसे अपने नए पड़ोसी से प्यार हो जाता है। फिल्म में भोला के रूप में सुनील दत्त और बिंदु के रूप में सायरा बानो थे। यह हिंदी फिल्म उद्योग में सर्वश्रेष्ठ कॉमेडी फिल्मों में से एक है और इसे दत्त की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक माना जाता है।

3. मदर इंडिया- 1957 में रिलीज हुई मदर इंडिया ने फिल्म उद्योग में सुनील दत्त के करियर को ऊंचाई पर पहुंचाया। सुनील दत्त ने बिरजू की भूमिका निभाई, जो एक डकैत बन जाता है। यह फिल्म हिट साबित हुई थी।

4. खानदान- सुनील दत्त ने लकवाग्रस्त हाथ वाले गोविंद लाल की भूमिका निभाई थी। फिल्म 1965 में रिलीज़ हुई थी और दत्त के एक्टिंग ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार दिलाया।

5. मुझे जीने दो- सुनील दत्त ने ठाकुर जरनैल सिंह नाम के एक डकैत की भूमिका निभाई। फिल्म में वहीदा रहमान, निरूपा रॉय और मुमताज भी थीं।

- निधि अविनाश

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़