Jamshedji Tata Death Anniversary: जमशेदजी टाटा ने अफीम का बिजनेस शुरूकर छुआ था बुलंदियों का आसमान

भारत के मशहूर टाटा समूह के संस्थापक और भारतीय उद्योगों का पिता जमशेदजी टाटा का 19 मई को निधन हो गया था। जमशेदजी टाटा ने जिस भी व्यवसाय में हाथ डाला, वहां से सोना निकालने का काम किया।
भारतीय उद्योगों के पिता कहा जाने वाले जमशेदजी टाटा का 19 मई को निधन हो गया था। जमशेदजी टाटा के हालात कभी उनके अनुकूल नहीं थे। लेकिन उन्होंने स्थितियों से आगे जाकर सोचा और ऐसी उपलब्धियां हासिल करने की ठानी, जिसके बारे में किसी के लिए सोचना भी मुश्किल है। जमशेदजी टाटा ने जिस भी व्यवसाय में हाथ डाला, वहां से सोना निकालने का काम किया। साथ ही अपने समय के सबसे बड़े दानवीर माने जाते थे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर जमशेदजी टाटा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
गुजरात के नवसारी में 03 मार्च 1839 को जमशेदजी टाटा का जन्म हुआ था। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने 14 साल से पिता के व्यापार में हांथ बंटाना शुरूकर दिया था। वहीं साल 1858 में उन्होंने एल्फिस्टन कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई की और फिर वह पूरी तरह से व्यवसाय से जुड़ गए।
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अफीम का व्यवसाय
जमशेदजी टाटा के पिता की निर्यात कंपनी चीन, यूरोप, जापान और अमेरिका में शाखाएं थीं। वहीं सला 1857 के विद्रोह की स्थितियों की वजह से व्यवसाय चलाना काफी मुश्किल था। ऐसे में नुसेरवानजी टाटा नियमित तौर पर चीन जाया करते थे और वहां अफीम का व्यवसाय करते थे। वह अपने बेटे जमशेदजी टाटा को भी इस व्यवसाय में डालना चाहते थे, इसके लिए वह उनको चीन भेजना चाहते थे, जिससे कि वह अफीम के व्यवसाय की बारीकियां सीख सकें।
कपड़े का व्यवसाय
जब जमशेदजी टाटा चीन गए, तो उन्होंने वहां पर देखा कि कपड़े के व्यवसाय में भविष्य में अच्छा स्कोप है। 29 साल की उम्र तक जमशेदजी ने पिता की कंपनी में काम किया और फिर साल 1868 में 21 हजार रुपए से एक व्यवसाय कंपनी खोली। उन्होंने चिंचपोकली में दिवालिया तेल की कारखाने को खरीदा और उसको रुई की फैक्ट्री में बदला। फिर 2 साल बाद उन्होंने इस कंपनी को मुनाफे में बेच दिया।
इसके बाद उन्होंने नागपुर में रुई का कारखाना खोला और वहीं पर उन्होंने कपड़े का भी कारखाना खोला। इसमें भी उनको काफी सफलता मिली और फिर साल 1877 में नागपुर में जमशेदजी ने एक और मिल खोल दी।
जीवन के चार लक्ष्य
बता दें कि जमशेदजी टाटा के जीवन में चार लक्ष्य थे। जिसमें वह एक स्टील कंपनी खोलना चाहते थे। एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण संस्थान, एक खास तरह का होटल और एक एक हाइड्रोइलेक्ट्रिक संयंत्र खोलना चाहते थे। हालांकि वह अपने जीवन में सिर्फ होटल खोलने का सपना पूरा होते देख सके। 03 दिसंबर 1903 को मुंबई के कोलाब इलाके में ताज महज होटल खोला। उस दौरान वह भारत का एकमात्र ऐसा होटल था, जहां पर बिजली की सुविधा थी। वहीं बाकी के तीन अधूरे सपनों को जमशेदजी टाटा के वंशजों ने पूरा किया।
मृत्यु
जमशेद जी टाटा ने 19 मई 1904 को दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।
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