K R Narayanan Birth Anniversary: के आर नारायणन ने दलित गौरव को दिया सर्वोच्च शिखर, ऐसे तय किया राष्ट्रपति भवन तक का सफर

K R Narayanan
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भारत के 10वें राष्‍ट्रपत‍ि रहे कोचरिल रामण नारायणन का 27 अक्तूबर को जन्म हुआ था। वह राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद को हासिल करने वाले के आर नारायणन देश के पहले दलित थे। इससे पहले इस वर्ग का कोई भी यहां तक नहीं पहुंचा था।

आज ही के दिन यानी की 27 अक्तूबर को भारत के 10वें राष्‍ट्रपत‍ि रहे कोचरिल रामण नारायणन का जन्म हुआ था। वह अपने प्रतिद्वंद्वी पूर्व चुनाव आयुक्त टी.एन.शेषण को हराकर राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इस सर्वोच्च पद को हासिल करने वाले के आर नारायणन देश के पहले दलित थे। इससे पहले इस वर्ग का कोई भी यहां तक नहीं पहुंचा था। के आर नारायणन अपनी राजनीतिक कार्यकुशलता के लिए भी जाने जाते थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर के आर नारायणन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

केरल के एक छोटे से गांव पेरुमथॉनम उझावूर, त्रावणकोर में 27 अक्तूबर 1920 को के आर नारायणन का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम कोचरिल रामण नारायणन था। उन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर 1936-37 में मैट्रिक परीक्षा पास की। स्कॉलरशिप से उन्होंने 12वीं की परीक्षा पास की। फिर उन्होंने ऑर्ट फैकल्टी (ऑनर्स) में ग्रेजुएशन की। 

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लोकसभा सांसद 

साल 1984 में आर के नारायणन लोकसभा चुनाव में निर्वाचित हुए। यहीं से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ था। आर के नारायणन ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के मंत्रिमंडलों के तहत विभिन्न पदों पर काम किया था। इसके बाद ही वह उप राष्ट्रपति और राष्ट्रपति जैसे पदों तक पहुंचे। आर के नारायणन राष्ट्रपति पद को संवैधानिक मर्यादाओं के सावधानीपूर्वक पालन किया।

राष्ट्रपति पद

बता दें कि 25 जुलाई 1997 से लेकर 25 जुलाई 2002 तक वह राष्ट्रपति रहे। इससे पहले आर के नारायणन 21 अगस्त 1992 को डॉ शंकर दयाल शर्मा के राष्ट्रपति काल में उपराष्ट्रपति भी निर्वाचित हुए थे। हालांकि उनके कार्यकाल में भारत की राजनीति में गुजरने वाली तमाम अस्थिर परिस्थितियों की वजह से बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा है।

भारतीय विदेश सेवा

आर के नारायणन में साल 1949 में भारतीय विदेश सेवा से अपने करियर की शुरूआत की थी। उन्होंने टोक्यो, रंगून, लंदन, कैनबरा और हनोई समेत कई प्रमुख दूतावासों में कार्यभार संभाला था। आर के नारायणन की कूटनीतिक विशेषज्ञता का फायदा तुर्की, थाईलैंड और चीन में भारत के राजदूत के रूप में काम करने का मौका मिला। इसके बाद आर के नारायणन की राजनीति में एंट्री हुई।

मृत्यु

वहीं 09 नवंबर 2005 को के आर नारायणन का निधन हो गया था।

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