Brave Bytes | सुनें प्रिया यादव की कहानी जिसकी लव मैरिज ने ही कर दी लाइफ तबाह

Brave bytes with priya yadav
Prabhasakshi
नेहा मेहता । May 10 2024 5:48PM

शादी सिर्फ दो लोगों के बीच का रिलेशन नहीं होता वो दो फैमिलीज़ के बीच की सोच समझ होती है और अगर वो सिर्फ एक ही तरफा हो रही है तो वो रिलेशन नहीं चला सकता। जैसे ताली एक हाथ से नहीं बजती उसी तरह से एक तरफा चीज़े नहीं चल सकती।

प्रभासाक्षी ने जोश टॉक्स के साथ एक नई सीरिज़ की शुरुआत की है जिसका नाम है ब्रेव बाइट्स जहाँ हम बात करते हैं उन जांबाज़ लोगों से जिन्होंने ना सिर्फ अपनी ज़िन्दगी की जंग को बखूबी लड़ा बल्कि बहुत सारे और लोगों को भी इंस्पायर किया है। 

आपने सुना होगा कि शादी दो लोगों के बीच नहीं बल्कि दो परिवारों के बीच का रिश्ता होता है जहाँ सिर्फ एक इंसान उसको आगे नहीं बढ़ा सकता। दोनों तरफ से वो रिश्ता आगे बढ़ता है। कुछ लोग बहुत भरोसे, ज़िम्मेदारी और प्यार के साथ उसे आगे लेकर जाते हैं लेकिन बहुत सारे लोग उसको एक बोझ की तरह उठाकर चलते हैं। सबके अपने उतार चढ़ाव होते हैं और अलग अलग संघर्ष होते हैं।

ऐसी ही एक अलग कहानी को लेकर हमारे साथ जुडी हैं प्रिया यादव जिन्होंने अपनी जंग को ना सिर्फ लड़ा बल्कि उस पर डटी रहीं और अपने लिए एक नाम कमाया और साथ ही बहुत सारे और लोगों के लिए भी इंस्पिरेशन बनीं। 

आइये जानते हैं कि हमने आगे प्रिया यादव से क्या बातचीत की

अगर आपको एक शब्द में बताना हो कि शादी क्या है तो आप क्या कहेंगी?

शादी एक बहुत बड़ा सपना होता है किसी लड़की के लिए और जब वो टूट जाता है तो अंदर से वो लड़की भी टूट जाती है। मैं इसे एक शब्द में तो बयान नहीं कर सकती क्योंकि वो बहुत मुश्किल होगा। लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि शादी में आपने देखा कुछ और होता है, समझा कुछ और होता है पर परिस्थितियाँ आपको इस तरह के मोड पर लाकर छोड़ देती हैं जहाँ आपको आगे का रास्ता समझ नहीं आता। 

आपका एक्सपीरियंस कितना अच्छा और कितना बुरा था?

मुझे लगता है अगर मैंने वो सब एक्सपीरियंस नहीं देखा होता तो शायद आज मैं यहां होती भी नहीं। बहुत सारे उतार चढ़ाव रहे हैं, कुछ अच्छी चीज़ें  भी रही हैं, कुछ बुरी चीज़ें भी रही हैं। कहते हैं न कि चीज़ें हमेशा ही बुरी नहीं होती बस परिस्थितियाँ उन्हें ऐसा बना देती हैं। लेकिन यहां कुछ और ही था मैं यहां बोलूंगी कि शादी के कुछ दिनों बाद से नहीं बल्कि कुछ घंटों बाद से ही वो परस्थितियाँ अलग हो गयी थी। जहां पहले हर चीज में हाँ होती थी बाद में वो हर चीज हां से ना में बदलने शुरू हो गई।

मेरे सास ससुर ने तो यह भी बोल दिया कि आपके पेरेंट्स ने हमें वो नहीं दिया जो हमें चाहिए था। एक बार यह भी बोला था कि हमने तो शायद कभी सोचा नहीं था कि हम उस नदी में भी कभी जाएंगे तो यह बात एक औरत के लिए बहुत बड़ी चीज होती है कि उसके ससुरालवाले उसको यह बोले कि हमने तो कभी सोचा नहीं था कि हम तुम्हारे घर भी जाएंगे। ये तो हमारे बेटे को तुम पसंद थी तो हमें इसे मानना पड़ा। जैसे  कि आपने भी शुरुआत में बोला कि जो शादी होती है वो सिर्फ दो लोगों के बीच का रिलेशन नहीं होता वो दो फैमिलीज़ के बीच की सोच समझ होती है और अगर वो सिर्फ एक ही तरफा हो रही है तो वो रिलेशन नहीं चला सकता। जैसे ताली एक हाथ से नहीं बजती उसी तरह से एक तरफा चीज़े नहीं चल सकती। 

ऐसा क्या हुआ के आपने इतना बड़ा स्टेप मतलब सुसाइड तक करने का सोच लिया?

वो फेस था जब मेरी बेटी हो गयी थी, वो उस टाइम 20-25 दिनों की थी। उस समय घर में कुछ ना कुछ लड़ाई चलती रहती थी और उसके अलावा डिलीवरी के बाद मेरे लिए भी फिज़िकली और मेंटली बहुत चेंज हो गयी थी। उस समय मेरे पति ने मुझे बिलकुल भी सपोर्ट नहीं किया। लव मैरिज के बावजूद उसने मेरी कभी बात समझी नहीं। एक औरत हर लड़ाई झेल सकती है अगर उसका पति उसे समझे और उसका साथ दे, लेकिन ऐसे में मेरे पति का मुझे जीरो सप़ोर्ट था। उस टाइम पर वो मुझपे शक करता था कि मैं जब वॉशरूम जाती तो वो मेरा फ़ोन चेक करता था। मैंने ये सब चीज़ें भी इग्नोर की ताकि कुछ और लड़ाई ना हो। लेकिन ये चीज़ें लड़ाई झगडे जब रोज़ दिन में दो-तीन बार होने लगे तब मुझे लगा कि ये अब बहुत हो गया। मैंने घर पर फ़ोन किया कि मुझे आकर ले जाओ वरना मैं कुछ कर लूंगी। 

आपकी बच्ची बहुत छोटी थी उस समय आपने एक बार भी उसके बारे में सोचकर वहां से निकलने के ख्याल को इग्नोर नहीं किया?

औरतों की लाइफ में कोई भी चीज़ आसान नहीं होती और मैं शुरू से बहुत स्ट्रोंग रही थी। ससुरालवालों के फ़ोर्स करने पर भी मैंने अपनी नौकरी नहीं छोड़ी थी। मैंने शादी और प्रेगनेंसी दोनों के बाद अपनी जॉब जारी रखी। शायद वही मेरे लिए बहुत बड़ा मोटिवेशन रहा है क्योंकि उस समय मैं किसी भी तरह से किसी पर निर्भर नहीं थी। शायद इसी कारण से मैं कुछ करने में सक्षम रही। 

आपके पति ने कभी आपको वापस आने के लिए नहीं कहा? 

21 अगस्त को में वहां से वापस आई थी और आज इस बात को चार साल हो गये हैं। उनकी तरफ से एक बार भी कोई मेसेज या फ़ोन कुछ नहीं आया। बल्कि इस रिश्ते को खत्म करने के लिए वो मुझसे ज्यादा इच्छुक थे।

आपकी जॉब, बिज़नेस और जिस एनजीओ में आप काम करते हैं इन सबने आपको कितना मोटीवेट किया?

इन सब चीजों ने मुझे बहुत मोटीवेट किया। और अगर मैं सपोर्ट की बात करूँ तो लोग आपको सपोर्ट भी करते भी हैं और कुछ लोग पीछे से बहुत कुछ बोलते भी हैं। लेकिन इन सबके बारे में सोचे बिना मैं आगे बढती गयी। आज मुझे एनजीओ ज्वाइन किये 6 साल हो गये और अपना बिजनेस चलाते हुए भी 2 साल हो गये। इसलिए लोगों की परवाह ना करें बस अपने काम पर ध्यान दें।

आपकी बेटी ने कभी आपसे पूछा अपने पिता बारे में?

जी हाँ, एक बार उसके स्कूल के आई-कार्ड पर उसने मुझे दिखाकर पूछा था कि मेरे पापा की फोटो यहाँ क्यों नहीं है, बाकी बच्चों के कार्ड पर तो मम्मी पापा दोनों की फोटो होती है। तब हमने उसे बस ऐसे ही समझा दिया लेकिन हां आगे वो कभी पूछेगी तो हम ज़रूर उसे सारी बात बताएँगे।

आप आपने जैसी बाकी और औरतों को क्या कहना चाहेंगी?

मैं यही कहूँगी कि अगर आप ये सोचते हैं कि उम्र निकल गयी है अब तो ऐसा कुछ नहीं है। हम प्रयास करें तो किसी भी उम्र में कोई भी काम कर सकते हैं। हमें समाज की सोच बदलने से पहले अपनी सोच बदलनी होगी। ये बिलकुल मत सोचो कि लोग आपके बारे में क्या बोलते हैं आप बस अपनी कोशिश में लगे रहो।

इस शो की वीडियो देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। अगली बार ऐसी ही एक और कहानी के साथ फिर से हाज़िर होंगे।

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