Navratri में शारीरिक संबंध बनाने की होती है मनाही, पति-पत्नी कैसे करें अपनी इच्छाओं को कंट्रोल?

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CANVA PRO
एकता । Sep 23 2025 4:16PM

नवरात्रि में आध्यात्मिक शुद्धि और आत्म-नियंत्रण हेतु शारीरिक संबंध बनाने से परहेज की सलाह दी जाती है, जिसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं। उपवास के दौरान ऊर्जा संरक्षण और मन की एकाग्रता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है। पति-पत्नी अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करने हेतु पूजा-पाठ, ध्यान और आपसी सहयोग से रिश्ते को आध्यात्मिक गहराई दे सकते हैं, जिससे नवरात्रि का पर्व आत्म-अनुशासन का माध्यम बने।

नौ दिनों चलने वाले नवरात्रि के पर्व में आध्यात्मिक शुद्धि और आत्म-नियंत्रण पर जोर दिया जाता है। इस दौरान भक्त देवी दुर्गा की उपासना करते हैं और अपने मन मुताबिक दिनों का उपवास रखते हैं। इस समय, पति-पत्नी को शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है, जिसके पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण बताए जाते हैं। इस दौरान पति-पत्नी के लिए अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि इस दौरान पति-पत्नी अपनी इच्छाओं पर कैसे नियंत्रण रख सकते हैं?

धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, नवरात्रि का उपवास मन और शरीर को शुद्ध करने का एक माध्यम है। इसका मुख्य उद्देश्य अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त करना और खुद को ईश्वर के करीब महसूस करना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शारीरिक संबंध बनाने जैसी गतिविधियां व्यक्ति को उसके आध्यात्मिक मार्ग से विचलित कर सकती हैं। उपवास के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति का ध्यान पूरी तरह से देवी की भक्ति और आंतरिक शांति पर केंद्रित होता है। यह मन और आत्मा की शुद्धि के लिए आवश्यक माना जाता है।

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिक रूप से, उपवास के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। कम भोजन या फलाहार के कारण शरीर में ऊर्जा का स्तर कम हो सकता है। ऐसे में, शारीरिक संबंध बनाने से शरीर पर अतिरिक्त तनाव पड़ सकता है, जिससे थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है। इसलिए, शरीर को आराम देने और ऊर्जा को बनाए रखने के लिए इस समय शारीरिक गतिविधियों से बचना उचित माना जाता है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि इस दौरान पति-पत्नी अपनी इच्छाओं पर कैसे नियंत्रण रख सकते हैं?

इसे भी पढ़ें: Navratri Rules for Couples । अपने साथी के साथ शारीरिक संबंध न बनाने के अलावा, नवरात्रि के नौ दिनों में आप और क्या नहीं कर सकते?

इच्छाओं पर नियंत्रण कैसे रखें?

नवरात्रि के दौरान पति-पत्नी के लिए अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना एक चुनौती हो सकती है। इसे सकारात्मक तरीके से संभालने के लिए आप इन तरीकों को अपना सकते हैं:

आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल हों: पूजा-पाठ, भजन, आरती और ध्यान में अधिक समय बिताएं।

साथ मिलकर समय बिताएं: एक साथ बैठकर बातें करें, किताबें पढ़ें या धार्मिक कथाएं सुनें।

दूसरों की सेवा करें: जरूरतमंदों की मदद करने में अपना समय लगाएं, जिससे मन को शांति मिलेगी और ध्यान बंटेगा।

ब्रह्मचर्य के महत्व को समझें: पति-पत्नी दोनों मिलकर ब्रह्मचर्य के पीछे के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारणों को समझें और एक-दूसरे का सहयोग करें।

इस तरह, नवरात्रि को केवल उपवास के रूप में नहीं, बल्कि आत्म-अनुशासन और मानसिक शांति के पर्व के रूप में देखा जा सकता है। यह एक ऐसा समय है जब आप अपने रिश्ते को शारीरिक स्तर से ऊपर उठाकर आध्यात्मिक और भावनात्मक स्तर पर और गहरा कर सकते हैं।

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