सांप्रदायिकता का चोला ओढ़ कांग्रेस अब खुद को कैसे कह पाएगी धर्मनिरपेक्ष ?

Congress G 23
अंकित सिंह । Mar 6 2021 1:21PM

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल में मुस्लिम धर्मगुरु अब्बास सिद्दीकी के नेतृत्व वाले इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ पार्टी के गठजोड़ की आलोचना करते हुए सोमवार को कहा कि यह पार्टी की मूल विचारधारा तथा गांधीवादी और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है।

वर्तमान परिस्थिति में देखे तो कांग्रेस विकट परिस्थिति से जूझ रही है। देश की सबसे पुरानी पार्टी दो गुटों में बंटी नजर आ रही है। एक ओर G- 23 है तो वहीं दूसरी ओर गांधी नेहरू परिवार के सबसे करीबी लोग। यह तनातनी उस समय खुलकर सामने आ गई जब वरिष्ठ पार्टी नेता आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ कांग्रेस के गठबंधन को गांधीवाद और नेहरू वादी विचारधारा से विपरीत बता दिया। वैचारिक दृष्टिकोण से भी देखें तो पार्टी की विचारधारा के बिल्कुल विपरीत यह गठबंधन नजर भी आती है। हालांकि, इस गठबंधन का लगातार बचाव किया जा रहा है। यह दलील भी दी जा रही है कि कांग्रेस ने आईएसएएफ के साथ गठबंधन सिर्फ और सिर्फ भाजपा को हराने के लिए किया है। लेकिन इसका मकसद कुछ और माना जा रहा है और वह है पश्चिम बंगाल में मुसलमानों को साधने की कोशिश। पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की आबादी करीब 30 फ़ीसदी के आसपास है। यही कारण है कि पार्टी की ओर से फुर्फूरा शरीफ के अब्बास सिद्दकी की पार्टी के साथ गठबंधन किया गया है। हालांकि एक ओर जहां कांग्रेस का गठबंधन पश्चिम बंगाल में लेफ्ट के साथ है तो वहीं केरल में दोनों एक दूसरे के सामने चुनाव लड़ रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: कांग्रेस के हाथ में डंडा तो धर्मनिरपेक्षता का लेकिन उस पर झंडा सांप्रदायिकता का है

लेकिन कांग्रेस के साथ यह समस्या सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही नहीं है। असम में देखें तो पार्टी का गठबंधन बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के साथ है। केरल में मुस्लिम लीग के साथ है। जमात-ए-इस्लामी के अग्रिम संगठन के साथ में गठबंधन है। महाराष्ट्र में हिंदुत्व की राजनीति करने वाली शिवसेना के साथ कांग्रेस का गठबंधन है। ऐसे में पार्टी की विचारधारा पर सवाल उठेंगे और खुद पार्टी के नेता ही सवाल उठा रहे हैं। एआईयूडीएफ, आईएसएफ, मुस्लिम लीग जैसी पार्टियां मुसलमानों की राजनीति करती है। बंगाल में जिस आईएसएएफ के साथ कांग्रेस का गठबंधन है वह शरिया कानून की पैरवी करती है। प्रभासाक्षी के साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इसी बात पर चर्चा की गई कि कांग्रेस जिस विचारधारा की दुहाई देती रहती है, क्या आज वह उसी का उल्लंघन नहीं कर रही? मुस्लिम लीग, एआईयूडीएफ, आईएसएफ, शिवसेना जैसी पार्टियों के साथ गठबंधन करने वाली कांग्रेस खुद को सेकुलर कैसे कह सकती है? कार्यक्रम में प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि राजनीति में विचारधारा और उस को आगे बढ़ाना बेहद जरूरी है। साथ ही साथ नीरज कुमार दुबे ने इस बात पर भी जोर दिया कि चुनावी नफा नुकसान के लिए राजनीतिक पार्टियों को अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करनी चाहिए।

आनंद शर्मा ने बंगाल में आईएसएफ के साथ कांग्रेस के गठबंधन की आलोचना की

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल में मुस्लिम धर्मगुरु अब्बास सिद्दीकी के नेतृत्व वाले इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ पार्टी के गठजोड़ की आलोचना करते हुए सोमवार को कहा कि यह पार्टी की मूल विचारधारा तथा गांधीवादी और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। शर्मा ने यह भी कहा कि पार्टी कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में चयनात्मक नहीं हो सकती है। हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पूर्व केंद्रीय मंत्री शर्मा पार्टी के उन 23 नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी। शर्मा ने कहा कि आईएसएफ जैसी कट्टरपंथी पार्टी के साथ ‘‘गठबंधन’’ के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए थी और उसे कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा अनुमोदित होना चाहिए था। शर्मा ने ट्विटर पर कहा कि आईएसएफ और ऐसे अन्य दलों के साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है... इन मुद्दों पर कांग्रेस कार्य समिति से मंजूरी लेने की जरूरत है। उन्होंने कोलकाता में संयुक्त रैली में भाग लेने के लिए पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी से स्पष्टीकरण मांगा, जहां आईएसएफ नेता मौजूद थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी उपस्थिति और समर्थन ‘‘कष्टदायक और शर्मनाक’’ थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता शर्मा ने कहा, ‘‘सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस चयनात्मक नहीं हो सकती है। हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।’’

कांग्रेस ने आईएसएफ मुद्दे पर आनंद शर्मा को आड़े हाथ लिया

कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा को परोक्ष तौर पर आड़े हाथ लेते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में पार्टी का गठबंधन एक ‘‘धर्मनिरपेक्ष मोर्चा’’ है जिसे भाजपा से लड़ने के लिए बनाया गया है। कांग्रेस ने साथ ही पार्टी में सभी से आग्रह किया कि वे इसमें बिना किसी शर्त शामिल हों। शर्मा ने पश्चिम बंगाल में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ कांग्रेस के गठबंधन की आलोचना की थी। शर्मा की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने भाजपा पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह अपने राजनीतिक विरोधियों को सांप्रदायिक करार देकर और खुद को धर्मनिरपेक्ष होने का दावा कर ‘‘दुष्प्रचार’’ कर रही है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पूरा विचार यह है कि बंगाल में यह एक बड़ा मोर्चा बनाया गया है ताकि जहां तक संभव हो भाजपा से एक अच्छा राजनीतिक मुकाबला हो, विशेष तौर पर विकृत राजनीति के खिलाफ और इसलिए हममें से प्रत्येक को, मेरे प्रत्येक वरिष्ठ, सम्मानित और मूल्यवान सहयोगियों को पूरे दिल से और बिना शर्त इस लड़ाई में शामिल होना चाहिए ताकि भाजपा के इस दुष्प्रचार का मुकाबला हम मिलकर करें।’’ उन्होंने कहा कि उस मोर्चे की एक पार्टी - माकपा ने अपने कोटे से आईएसएफ को सीटें देने का फैसला किया है।

इसे भी पढ़ें: जिनको कभी सबकुछ दिया था आज उन्हीं नेताओं की बगावत से जूझ रही है कांग्रेस

शर्मा पर निशाना साधते हुए, चौधरी ने कहा कि वह जमीनी वास्तविकताओं को नहीं समझते हैं तथा मोर्चा भाजपा की सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति को हराने के लिए बनाया गया है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘प्रतिष्ठित कांग्रेसियों के एक चुनिंदा समूह से आग्रह करेंगे कि वे हमेशा निजी सुख-सुविधाओं की चाहत से ऊपर उठें और प्रधानमंत्री की प्रशंसा करते हुए समय बर्बाद करना बंद करें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनका कर्तव्य पार्टी को मजबूत करने का है, उस पेड़ को कमजोर करने का नहीं जिसने उनका पोषण किया है।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आनंद शर्मा जी अपने तथ्यों का पता लगाइये, माकपा के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा पश्चिम बंगाल में धर्मनिरपेक्ष गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है, जिसमें कांग्रेस एक अभिन्न हिस्सा है। हम भाजपा की सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति और एक निरंकुश शासन को हराने के लिए दृढ़ हैं।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस को पहले ही सीटों का उसका पूरा हिस्सा मिल चुका है और वाम मोर्चा अपने हिस्से से सीटें नवगठित आईएसएफ को आवंटित कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘माकपा के नेतृत्व वाले मोर्चे को ‘सांप्रदायिक’ कहने का आपका निर्णय केवल भाजपा के ध्रुवीकरण एजेंडे की पूर्ति कर रहा है।’’ चौधरी ने कहा, ‘‘जो लोग भाजपा के जहरीले सांप्रदायिकता से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं, उन्हें भाजपा के एजेंडे के अनुरूप टिप्पणी करके पार्टी को कमजोर करने के बजाय पांच राज्यों में पार्टी का प्रचार करना चाहिए।’’ 

कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने कहा कि गठबंधन का फैसला पार्टी और कार्यकर्ताओं के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए लिए जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि सभी लोग हाथ मिलाएं और उन राज्यों में कांग्रेस की संभावनाओं को मजबूत करने की दिशा में काम करें जहां चुनाव होने वाले हैं।’’ शर्मा ने मंगलवार को कहा कि उन्हें चिंता है और वे जो कह रहे हैं उसे सही संदर्भ में समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं और इसे एकजुट देखना चाहते हैं। हम ऐसा कुछ नहीं चाहते हैं जिससे पार्टी कमजोर हो।’’ पार्टी के भीतर वाकयुद्ध पर कांग्रेस की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर सिंघवी ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह भाजपा का एक दुष्प्रचार है, उसके द्वारा ‘‘गुंडा स्तर की राजनीति किये जाने’ के बावजूद, वह बार-बार खुद को असली चमकती धर्मनिरपेक्ष पार्टी होने का दावा करती है और दूसरों पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाकर मजाक उड़ाती है।’’ 

भाजपा ने कहा- कांग्रेस का ना कोई ईमान, ना विचारधारा

भाजपा ने पश्चिम बंगाल में मुस्लिम धर्मगुरु अब्बास सिद्दिकी के नेतृत्व वाले इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी दल का न कोई ईमान है और न कोई विचारधारा। भाजपा ने गठबधंन को लेकर कांग्रेस में मचे घमासान पर चुटकी भी ली और कहा कि वह चाहे कितने भी गठबंधन कर ले उसका ‘‘डूब चुका जहाज’’ अब बचने वाला नहीं है। भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस का ना ही कोई ईमान है और ना ही विचारधारा बल्कि भ्रष्टाचार, परिवारवाद और जाति तथा धर्म के नाम पर लोगों को बांटना ही उसकी विचारधारा है। पात्रा ने कहा कि आज कांग्रेस अपनी प्रसांगिकता को बनाएं रखने के लिए गठबंधन पर निर्भर है और ठीक ऐसी ही एक गठबंधन की प्रक्रिया कांग्रेस पार्टी बंगाल में कर रही है। उन्होंने कहा कि जो कांग्रेस अपने को धर्मनरिपेक्ष बताती है, वही कांग्रेस बंगाल में आईएसएफ के साथ गठबंधन करती है। केरल में मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन करती है, जमात-ए-इस्लामी के अग्रिम संगठन के साथ गठबंधन करती है। असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन करती है। और महाराष्ट्र में शिव सेना के साथ मिली हुई है। उन्होंने कहा कि कोई ईमान नहीं...कोई विचारधारा नहीं। भ्रष्टाचार ही कांग्रेस की विचारधारा है। परिवारवाद को बढ़ावा देना ही कांग्रेस की विचारधारा है। जातिवाद ही कांग्रेस की विचारधारा है। जाति और धर्म के नाम पर लोगों को बांटना और धर्म के नाम पर लोगों को बांटना ही कांग्रेस की विचारधारा है।

इसे भी पढ़ें: विधानसभा चुनाव पास आये तो अखिलेश यादव ने भी मंदिरों में दर्शन शुरू कर दिये

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस ने जितने भी गठबंधन किये हैं वो किसी अच्छे प्रदर्शन, अच्छे सुधार और सुशासन के लिए नहीं किए हैं, बल्कि ये गठबंधन केवल इसलिए किये कि किसी प्रकार गांधी परिवार अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाएं रखें। उन्होंने कहा कि आईएसफ के साथ गठबंधन करने को लेकर कांग्रेस के अंदर ही घमासान मचा हुआ है और विपक्षी पार्टी के नेता ही सवाल उठा रहे हैं कि क्या यही महात्मा गांधी वाली धर्मनरिपेक्षता है। पात्रा ने कहा कि पराकाष्ठा देखिए। बंगाल में वामपंथी दलों के साथ लड़ेंगे और केरल में खिलाफ लड़ेंगे। ये कैसी विडंबना है। इनका उद्देश्य केवल एक है। किसी भी प्रकार, किसी का भी साथ लेकर सत्ता हासिल करना। उन्होंने कहा कि मुसलमानों की भी पार्टी नहीं हैं वह केवल ‘‘घरवालों’’ की पार्टी है। ज्ञात हो कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल में आईएसएफ के साथ पार्टी के गठजोड़ की आलोचना करते हुए सोमवार को कहा था कि यह पार्टी की मूल विचारधारा तथा गांधीवादी और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। 

असम में बीपीएफ, राजद के शामिल होने के साथ कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन का विस्तार हुआ

असम में कांग्रेस की अगुवाई वाले छह दलों के विपक्षी महागठबंधन का विस्तार हुआ। गठबंधन में बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) भी शामिल हो गए, जिससे असम में तीन चरणों के विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ उसकी स्थिति और मजबूत हो गई। बीपीएफ वर्तमान में भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में शामिल है। भाजपा-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ मजबूती से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस ने पहले एआईयूडीएफ, भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) और आंचलिक गण मोर्चा (एजीएम) के साथ महागठबंधन का गठन किया था। भाजपा विरोधी समूह को मजबूत करने के लिए शनिवार को बीपीएफ और राजद गठबंधन में शामिल हो गया। राजद बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है और जिसके राज्यसभा में पांच सदस्य थे, लेकिन लोकसभा में कोई भी नहीं है। भाजपा असम गण परिषद (एजीपी) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के साथ असम चुनाव में उतरेगी। बीपीएफ ने दिन में घोषणा की कि वे आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए महागठबंधन में शामिल होंगे। इस फैसले का स्वागत करते हुए, कांग्रेस ने भरोसा जताया कि पार्टी फिर से सत्ता में आएगी। असम कांग्रेस प्रमुख रिपुन बोरा और एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल की मुलाकात के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव ने घोषणा की कि उनकी पार्टी असम में महागठबंधन का हिस्सा होगी।

- अंकित सिंह

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़