तेज गेंदबाजों के गढ़ में राशिद के प्रदर्शन ले सकते हैं स्पिनर प्रेरणा

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ऐसे हालात में यह तय है कि 30 मई से शुरू होने वाले विश्व कप में तेज गेंदबाजों का ही दबदबा रहेगा लेकिन स्पिनरों को इससे निराश नहीं होना चाहिए और वे इंग्लैंड के लेग स्पिनर आदिल राशिद के पिछले पांच वर्षों के प्रदर्शन से प्रेरणा लेकर खुद को प्रतिकूल परिस्थितियों में साबित करने की कोशिश कर सकते हैं।

नयी दिल्ली। इंग्लैंड में अब तक जो चार विश्व कप खेले गये उनमें पूरी तरह से तेज गेंदबाज हावी रहे। इंग्लैंड में पिछले पांच वर्षों में जो 65 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले गये उनमें भी तेज गेंदबाजों की तूती बोली है। ऐसे हालात में यह तय है कि 30 मई से शुरू होने वाले विश्व कप में तेज गेंदबाजों का ही दबदबा रहेगा लेकिन स्पिनरों को इससे निराश नहीं होना चाहिए और वे इंग्लैंड के लेग स्पिनर आदिल राशिद के पिछले पांच वर्षों के प्रदर्शन से प्रेरणा लेकर खुद को प्रतिकूल परिस्थितियों में साबित करने की कोशिश कर सकते हैं। 

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इंग्लैंड में पहले तीन (1975, 1979 और 1983) तथा 1999 में विश्व कप का आयोजन किया गया था। इनमें इंग्लैंड में खेले गये 94 मैचों में विभिन्न टीमों ने 218 तेज या मध्यम गति के गेंदबाजों का उपयोग किया जिसमें उन्होंने 1043 विकेट लिये। इसके विपरीत इतने ही मैचों में 114 स्पिनरों को गेंद सौंपी गयी जिनमें उन्होंने केवल 163 विकेट हासिल किये। पिछले पांच वर्षों के रिकार्ड पर गौर करें तो इंग्लैंड की धरती पर स्पिनरों की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है। इन पांच वर्षों में इंग्लैंड में 65 मैच खेले गये जिनमें कुल 802 विकेट गेंदबाजों ने लिये। इनमें से 113 तेज गेंदबाजों ने 564 और 77 स्पिनरों ने 238 विकेट हासिल किये। 

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भारतीय टीम स्पिन विभाग में मुख्य रूप से कलाई के दो स्पिनरों युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव पर निर्भर है और इन दोनों के लिये यह प्रेरणादायी आंकड़ा हो सकता है कि पिछले पांच वर्षों में इंग्लैंड की सरजमीं पर सर्वाधिक 70 विकेट लेग स्पिनर राशिद ने लिये हैं। राशिद ने हालांकि इसके लिये 42 मैच खेले। कुलदीप ने पिछले साल इंग्लैंड में तीन वनडे मैच खेले थे जिसमें उन्होंने नौ विकेट लिये थे। चहल भी तीन मैचों में खेले थे लेकिन उन्हें दो ही विकेट मिले थे। इंग्लैंड की धरती पर भारत ने हालांकि जो 74 मैच खेले हैं उनमें उसने 41 स्पिनर आजमाये जिन्होंने 138 विकेट लिये। इनमें रविंद्र जडेजा (17 मैचों में 27 विकेट) सबसे सफल रहे हैं और वह भारतीय विश्व कप टीम का हिस्सा है। 

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भारत ने इन 74 मैचों में 50 तेज गेंदबाज आजमाये जिन्होंने 314 विकेट लिये। इससे साफ होता है कि एक समय स्पिनरों पर निर्भर रहने वाली भारतीय टीम का भी इंग्लैंड में तेज गेंदबाजों पर अधिक भरोसा रहा। ऐसे में क्या चयनकर्ताओं की तीन मुख्य तेज गेंदबाजों के साथ विश्व कप में जाने रणनीति सही साबित होगी। भारत ने अपनी टीम में जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और भुवनेश्वर कुमार के रूप में तीन विशेषज्ञ तेज गेंदबाज ही चुने हैं। आलराउंडर हार्दिक पंड्या और विजय शंकर उनकी मदद करेंगे लेकिन पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर का मानना है कि टीम में एक और विशेषज्ञ तेज गेंदबाज होना चाहिए था। 

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गंभीर ने हाल में कहा था,  आप कह सकते हैं कि हरफनमौला हार्दिक पंड्या और विजय शंकर कमी पूरी कर सकते हैं लेकिन मैं आश्वस्त नहीं हूं। आखिर में टीम संयोजन सही रखना अहम है। भारत ने 1983 में जब विश्व कप जीता था तो उसके तेज गेंदबाजों ने उसमें अहम भूमिका निभायी थी। भारतीय गेंदबाजों ने कुल 68 विकेट लिये जिनमें से 63 विकेट तेज व मध्यम गति के गेंदबाजों ने हासिल किये थे। रोजर बिन्नी ने तब रिकार्ड 18 विकेट लिये थे। उनके बाद मदन लाल (17 विकेट), कपिल देव (12 विकेट), मोहिंदर अमरनाथ और बलविंदर सिंह संधू (दोनों आठ आठ विकेट) का नंबर आता है। 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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