पर्यटकों के लिए अद्भुत सौन्दर्य का पर्याय होगा अयोध्या का राम मंदिर, जानिए मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य

Ram temple
शुभव यादव । Aug 4 2020 10:04PM

अयोध्या नगरी का कण-कण राम नाम से पिरोया हुआ है। त्रेतायुग में राम ने विश्व का उत्थान तो किया मगर कलयुग में राम की मौजूदगी अयोध्या में रही, ये साबित करने के लिए उनके भक्तों और राम नाम की गाथा गाने वालों को इसके भी सबूत दुनिया को देने पड़े।

भारत ऐसा देश है, जहां से सभ्यता और संस्कृति का प्रचार दुनियाभर में हुआ है। ऐसे में पर्यटन का केन्द्र भारत शुरूआत से ही रहा है, वहीं दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण भारतीय पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों को भी खासा आकर्षित करने वाला होगा। दुनिया की निगाहें सालों से चले आ रहे राम मंदिर के विवाद पर रहीं, दो धर्मों के बीच अपने खुदा अपने भगवान के अस्तित्व की वाजिब लड़ाई जारी रही, आखिरकार राम के अनुयायियों ने ये धर्म की लड़ाई जीत ली। 

अब जबकि मंदिर के भव्य निर्माण की कल्पना को आकार मिलने जा रहा है तब पर्यटन के नजरिए से भी बेहद शानदार होगा। भारतीय पर्यटन इंडस्ट्री के अनुसार भारत में 2019-20 में 1 करोड़ से अधिक पर्यटक घूमने आए। इंडियन विजिटर्स की इस संख्या में राम मंदिर के निर्माण होने के दौरान से ही इजाफा होने की प्रबल संभावना है। लगभग 3 करोड़ से अधिक विदेशी भारतीय जो भारत के बाहर रहते हैं, वो भी भारत में बन रहे इस राम मंदिर की भव्यता की ओर आकर्षित होंगे।

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दो शब्दों से मिलाकर बना राम नाम भारत भूमि के साथ ही समूचे विश्व में आस्था और भक्ति का सबसे बड़ा साधन है। अयोध्या नगरी का कण-कण राम नाम से पिरोया हुआ है। त्रेतायुग में राम ने विश्व का उत्थान तो किया मगर कलयुग में राम की मौजूदगी अयोध्या में रही, ये साबित करने के लिए उनके भक्तों और राम नाम की गाथा गाने वालों को इसके भी सबूत दुनिया को देने पड़े। आदिकाव्य रामायण में वाल्मीकि ने अपने श्लोक के जरिये बताया है कि राम 11000 वर्षों तक पृथ्वी पर रहे। 

राम मंदिर का स्वरूप होगा पर्यटकों के लिए लुभावना

मंदिर के भव्य निर्माण के लिए वीएचपी (VHP) ने नक्शे प्रस्तावित किए, लेकिन हर बार कुछ न कुछ संशोधनों के साथ मंदिर के मॉडल में सुधार किया गया और आखिरकार समस्त संशोधनों के उपरांत जिस मॉडल को मंजूर किया गया उसके मुताबिक पांच एकड़ के क्षेत्रफल में मंदिर का एक मुख्य सिरा (गुम्बद) होगा, इसके अतिरिक्त 5 उप-सिरे (गुम्बद) भी होंगे। 318 खंभों बनाए जाएंगे जिनमें भिन्न-भिन्न मूर्तियां लगी होंगी जो राम मंदिर को और भी भव्यता प्रदान करेंगे। 160 फीट से अधिक ऊंचाई वाले मंदिर का आकार 350 फीट से ज्यादा लम्बा और 230 फीट से ज्यादा चौड़ा होगा। राम मंदिर के निर्माण के साथ ही सरयू से सटे नंदीग्राम एवं चित्रकूट का भी कायाकल्प किया जाएगा। 

पर्यटन के लिए मार्गों का जीर्णोंध्दार की रूपरेखा भी तैयार

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा अय़ोध्या से जुड़े राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तृत करने और अयोध्या नगरी पहुंच मार्गों के साथ ही 84 कोसी परिक्रमा के लिए उत्तरप्रदेश के विभिन्न जिलों के नेशनल हाईवे से अयोध्या को जोड़ने के लिये मार्गों का कायाकल्प करने की पूरी तैयारी कर ली गयी है। 

एनएचएआई ने करीब 3000 करोड़ से अधिक का बजट इस 84 कोसी परिक्रमा के लिए 275 किलोमीटर की लम्बी सड़क का डीपीआर तैयार कर लिया है। राम के वन पथगमन के मुताबिक मार्ग के निर्माण के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकऱण के पास भी अच्छी खासी लगभग 900 करोड़ की डीपीआर तैयार की जा रही है।  

कैसे हुई थी विवाद की शुरूआत?

राम मंदिर का विवाद ऐतिहासिक होने के साथ ही सामाजिक लड़ाई के तौर पर लड़ा गया विवाद रहा है जो कई सदियों तक चला। सन् 1528 में बाबर ने जिस जगह मस्जिद का निर्माण कराया था वहां पूर्व में राम का मंदिर और जन्मस्थल होने की बात कही गई, यहीं से इस विवाद की चिंगारी भड़की थी। सन् 1553 में अंग्रेजी शासनकाल के दौरान इसी जगह में दंगे हुए। 1859 में विवाद की सुलह के तौर पर मस्जिद के ढांचे के भीतरी हिस्से में मुस्लिमों को नमाज अदा करने की इजाजत दी गयी और हिंदुओं को चबूतरे पर बाहरी हिस्से में पूजा करने की अनुमति प्रदान की गई।

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1949 में राम मंदिर पर विवाद बढ़ा

23 दिसंबर 1949 यही वो दिन था जब बाबरी मस्जिद के भीतर मूर्तियां पाई गईं और एक बार फिर राम मंदिर पर विवाद बढ़ गया। मुस्लिम समुदाय ने हिंदूओं पर आरोप लगाया कि मूर्तियां बाहर से लाकर रखी गई हैं। सरकार ने बढ़ते विवाद को देखते हुए पूजा करने और नमाज अदा करने पर रोक लगा दी। 

1950 में फैजाबाद की जिला कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई जिसमें मूर्ति रखने और पूजा करने की अनुमति मांगी गई। 1959 में तीसरी याचिका निर्मोही अखाड़े ने दायर की थी। वहीं 1961 में उत्तरप्रदेश के सुन्नी बफ्फ बोर्ड ने याचिका दायर करते हुए मस्जिद परिसर में कब्जे की बात कहते हुए परिसर में मौजूद मूर्तियों को हटाने की मांग की। 1962 में फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट ने मंदिर में पूजा करने की अनुमति दे दी। 

6 दिसंबर 1992 के दिन कई हिंदू संगठनों समेत लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया, जिसकी वजह से धार्मिक दंगे समूचे देश में भड़क उठे और हजारों लोगों ने अपनी जानें गवाईं। 2001 में दंगों की साजिश के आरोपों से आडवाणी समेत 13 लोगों को मुक्त कर दिया गया। 

2002 में गोधरा में कारसेवकों को ट्रेन में यात्रा के दौरान आग लगाकर मार दिया गया। जिसमें करीब 58 कारसेवक मारे गये, इस कारण एक बार फिर दंगे भड़के और कई हजार लोगों की मौत हुई। इसके बाद हर साल राम मंदिर का विवाद गहराता चला गया। 

कभी राम मंदिर के पक्षकारों ने अपील की तो कभी मुस्लिम पक्षकारों ने लेकिन इस विवाद का हल निकलता हुआ नजर नहीं आया, क्योंकि साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन के दो हिस्सों में पहला मुस्लिम पक्षकारों और दूसरा हिंदूओं के लिय़े दिए जाने का फैसला सुना दिया जिसपर साल 2011 सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। 2017 में तत्कालीन सीजेआई जस्टिस खेहर ने दोनों पक्षकारों के बीच मध्यस्थता के प्रयास करने की वकालत कर दी लेकिन इससे भी बात नहीं बनी। लेकिन साल 2019 राम मंदिर के पक्षकारों के लिए बेहद खुशियों वाला रहा।

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16 अक्टूबर 2019 को राम मंदिर पर आखरी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया। एक महीने के बाद नवंबर महीने की 9 तारीख को फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित स्थल पर राम का मंदिर बनेगा और मुस्लिम पक्षकारों के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन उचित स्थान पर दी जायेगी। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने सरकार को इस मामले पर कदम उठाने का आदेश देते हुए कहा गया कि सरकार 6 माह के भीतर ट्रस्ट का निर्माण करे। राम मंदिर की लम्बी लड़ाई के बाद विवाद पर फैसला सुनाकर ऐतिहासिक कदम उठाया गया।

- शुभव यादव

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