अद्भुत नजारा होता है विश्वप्रसिद्ध काशी की गंगा की आरती का

ऐतिहासिक नगरी काशी का केंद्र है गंगा का घाट। जिसमें कई पौरीणिक किस्से हैं, कई कहानियां हैं, कई हकीकत हैं और कई सच्चाइयां हैं।
ऐतिहासिक नगरी काशी का केंद्र है गंगा का घाट। जिसमें कई पौरीणिक किस्से हैं, कई कहानियां हैं, कई हकीकत हैं और कई सच्चाइयां हैं।
आरती के दीपों से जगमगाता हुआ घाट..
गजब की रोशनी में नहाया हुआ घाट..
चंदन की खुशबू से महकता हुआ घाट..
मंत्रों के उच्चाकण से शुरू होता घाट..
ये सब काशी की गंगा आरती की पहचान हैं। हर शाम काशी में चारों ओर घंटियां, डमरू, शंखनाद, मृदंग, झाल की गूंज सुनाई पड़ती हैं। सुंदर वेशभूषा में दिखते पुजारी.. गजब की महक के साथ उठती हुई ज्वाला.. आसमान को आगोश में लपेटता हुआ धुआं ये काशी की गंगा आरती है जो हर शाम काशी के लिए बहुत खास है। बनारस की गंगा आरती का नजारा अद्भुत और यादगार होता है।
काशी के दशाश्वमेघ घाट पर होती है गंगा आरती
वैसे तो बनारस में सभी घाटो की अपनी एक अलग कहानी है लेकिन काशी का दशाश्वमेध घाट गंगा नदी के किनारे स्थित सभी घाटों में सबसे प्राचीन और शानदार घाट है। इस घाट के इतिहास पर अगर नजर डालें तो हजारों साल पुराना है इसका इतिहास। दशाश्वमेध का अर्थ होता है दस घोड़ों का बलिदान। किवदंतियों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव को निर्वासन से वापस बुलाने के लिए यहां एक यज्ञ का आयोजन किया था। इस कारण हर शाम यहां होती है मां गंगा की आरती जिससे एक बार बनारस शाम में फिर जागता है।
ऐसी आरती जिसमें हर कोई खो जाता है
शिव की नगरी काशी के दशाश्वमेघ घाट पर रोज शाम गंगा आरती होती है। मां गंगा की इस आरती में एक अलग तरह का आकर्षण होता है। मंत्रों के उच्चारण, घंटों की आवाज, नगाड़ों की गूंज को सुन कर ऐसा लगता है कि ये आपके रोम रोम को शुद्ध कर रही हो और आप एक टक लगा कर आरती के स्वर में खो जाएंगे।
पर्यटकों का हुजूम गंगा आरती में शामिल होने के लिए घाट पर उमड़ता है
मां गंगा के आंचल में जले हुए दीपों से लकदक करते घाट और हवन के मंत्रों के साथ शुरू होती है गंगा आरती। मां गंगा को प्रणाम करते हुए, कृतज्ञता प्रकट करते हुए। भव्य गंगा आरती का साक्षी बनने सात समंदर पार से पर्यटकों का हुजूम बनारस के इन घाटों पर उमड़ता है।
दुनिया के कोने कोने से आते हैं विदेशों से सैलानी
दुनिया भर में मशहूर काशी के घाटों का दीदार करने के लिए हर साल लाखों की संख्या में विदेशी सैलानी आते हैं। सैलानी यहां धर्म और अध्यात्म के संगम को देखते हैं और महसूस भी करते हैं।
-रेनू तिवारी
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