Lockdown के 54वें दिन 14 दिन की एक और बंदी का ऐलान, मामले दोगुने होने का समय बढ़ा

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देश में कोविड-19 के कारण बीते 24 घंटे में और 120 लोगों की मौत के साथ मृतक संख्या बढ़कर 2,872 हो गई। इसी अवधि में संक्रमण के 4,987 नए मामले सामने आए जिसके बाद रविवार सुबह कुल मामले बढ़कर 90,927 हो गए।

केन्द्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी लॉकडाउन 4.0 के दिशा-निर्देश के अनुसार देश भर में सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक रहेगी, स्कूल, मॉल, रेस्तरां बंद रहेंगे, विमान और मेट्रो ट्रेनों का परिचालन भी 31 मई तक बंद रहेगा। गौरतलब है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने रविवार शाम एक आदेश जारी कर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून, 2005 के प्रावधान के तहत कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन को 31 मई तक के लिए बढ़ा दिया है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन 4.0 के लिए आज शाम नौ पन्ने का दिशा-निर्देश जारी कर स्पष्ट किया कि इस दौरान क्या किया जा सकता है और क्या नहीं। दिशा-निर्देश के अनुसार, घरेलू हवाई एम्बुलेंस के अलावा अन्य सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद रहेंगी। गृह मंत्रालय का कहना है कि 31 मई तक देश भर में मेट्रो रेल सेवा, स्कूल, कॉलेज, होटल, रेस्तरां, सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल, स्वीमिंग पूल (तरण ताल), जिम आदि बंद रहेंगे। इस अवधि में सभी सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक रहेगी साथ ही सभी प्रार्थना और धार्मिक स्थल बंद रहेंगे। गृह मंत्रालय का कहना है कि कोविड-19 लॉकडाउन 4.0 के दौरान राज्यों की परस्पर सहमति से अंतरराज्यीय यात्री वाहनों, बस सेवाओं की आवाजाही को अनुमति दी जा सकती है। मंत्रालय ने कहा कि राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को अपने-अपने यहां कोरोना वायरस संक्रमण के हालात को देखते हुए रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन बनाने का अधिकार दिया गया है। दिशा-निर्देशों के अनुसार लॉकडाउन 4.0 में निषिद्ध क्षेत्रों में स्थित दुकानों और मॉल के अलावा सोमवार से सभी दुकानों को अलग-अलग समय पर खोलने की अनुमति है। स्थानीय प्रशासन सुनिश्चित करे कि निषिद्ध क्षेत्र के बाहर स्थित सभी दुकानें और बाजार अलग-अलग समय पर खुलें। देश में कोविड-19 संक्रमण से मौतों का आंकड़ा रविवार को 2,872 पर पहुंच गया। वहीं संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 90,927 हो गये हैं। 

पैकेज को सराहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार द्वारा रविवार को घोषित आर्थिक प्रोत्साहन की पांचवीं और आखिरी किस्त से उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को मदद मिलेगी और गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इसके भारत के स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र पर परिवर्तनकारी प्रभाव होंगे। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “राज्यों के विकास को भी इससे गति मिलेगी।” सरकार ने रविवार को घोषणा की कि कर्ज न चुका पाने की स्थिति में एकसाल तक कोई नई दिवालिया प्रक्रिया शुरू नहीं की जाएगी। उद्योगों पर कोविड-19 का बोझ कम करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। मोदी ने कहा, “वित्त मंत्री द्वारा आज घोषित उपाय और सुधारों का हमारे स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र पर परिवर्तनकारी प्रभाव होगा।” उन्होंने कहा, “इनसे उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को मदद मिलेगी और गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।” आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की पांचवीं और आखिरी किस्त की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि घरों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों को रोजगार के लिए मनरेगा के तहत 40,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया है। यह बजट में आवंटित 61,000 करोड़ रुपये की राशि के अतिरिक्त है। उन्होंने कहा कि इससे कुल मिलाकर 300 करोड़ व्यक्ति दिवस के बराबर रोजगार का सृजन होगा। राज्यों के लिये उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष (2020-21) के लिये राज्यों की कुल कर्ज उठाने की सीमा बढ़ा कर पांच प्रतिशत करने की घोषणा की। अभी तक वे राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के तीन प्रतिशत तक ही बाजार से कर्ज ले सकते थे। इस कदम से राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त धन उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि राज्यों के लिये कर्ज लेने की सीमा में की गयी वृद्धि विशिष्ट सुधारों से जुड़े होंगे। ये सुधार ‘एक देश-एक राशन कार्ड’ को अपनाने, कारोबार सुगमता, बिजली वितरण और शहरी व ग्रामीण निकायों के राजस्व को लेकर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में मंगलवार को व्यापक नए आर्थिक प्रोत्साहनों की घोषणा की थी।

मामले दोगुने होने का समय 13.6 दिन हुआ

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि पिछले तीन दिन में भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले दोगुने होने का समय 13.6 दिन हो गया जबकि पिछले 14 दिन में यह दर 11.5 दिन थी। देश में रविवार को कोरोना वायरस के लगभग पांच हजार मामले सामने आये हैं। हर्षवर्धन ने कहा कि मृत्युदर गिरकर 3.1 प्रतिशत हो गई है और स्वस्थ होने की दर में सुधार हुआ है और यह 37.5 प्रतिशत हो गई है। अपनी इस बात को प्रमाणित करते हुए कि देश में संक्रमण के प्रसार की गति धीमी है, हर्षवर्धन ने कहा कि भारत में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 106 दिन में 80 हजार पहुंची जबकि ब्रिटेन, इटली, स्पेन, जर्मनी और अमेरिका में इस संख्या पर पहुंचने में 44 से 66 दिन लगे थे। आठ राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों- अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, लद्दाख, मेघालय, मिजोरम, पुडुचेरी और अंडमान निकोबार द्वीप समूह और दादर एवं नागर हवेली में पिछले 24 घंटे में कोविड-19 का कोई मामला सामने नहीं आया है। हर्षवर्धन ने एक बयान में कहा कि सिक्किम, नगालैंड, दमन और दीव तथा लक्षद्वीप में अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है। देश में सोमवार से देशव्यापी लॉकडाउन का चौथा चरण शुरू होगा। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने रविवार को देशव्यापी लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाने की घोषणा की। एनडीएमए ने अपने आदेश में कहा कि कोविड-19 से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन उपायों को और 14 दिन के लिए लागू किये जाने की जरूरत है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में कोविड-19 से मृतकों की संख्या 2,872 हो गई है और मामलों की कुल संख्या 90,927 पहुंच गई है। पिछले 24 घंटे में 120 लोगों की मौत हुई है जबकि 4,987 मामले सामने आये है। मंत्रालय ने बताया कि देश में 53,946 मरीजों का इलाज चल रहा है, 34,108 मरीज ठीक हो चुके हैं और एक मरीज देश से बाहर चला गया। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘इस तरह अब तक करीब 37.51 फीसदी मरीज ठीक हो चुके हैं।’’ हर्षवर्धन ने एक ट्वीट किया, ‘‘कोविड-19 से निपटने में भारत की बेहतर रणनीति के कारण देश में 80 हजार मामले होने में 106 दिन का समय लगा जबकि ब्रिटेन, इटली, स्पेन, जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों में यह संख्या होने में 44-66 दिन लगे। मुझे वास्तव में विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम महामारी के खिलाफ इस युद्ध को जीतेंगे।’’ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस महामारी से निपटने के लिए साधारण स्वच्छता उपायों जैसे साबुन से हाथ धोना या सेनिटाइज़र का उपयोग करना, सार्वजनिक स्थानों पर नहीं थूकना और सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का उपयोग करना आदि अपनाना जरूरी है।

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महाराष्ट्र में 2347 नये मरीज सामने आए

महाराष्ट्र में रविवार को एक दिन में कोविड-19 के सबसे अधिक नये मामले सामने आए। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 2,347 नये मरीजों के साथ राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 33,053 हो गई है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कोरोना वायरस से 63 लोगों की मौत के साथ राज्य में कुल मृतकों की संख्या 1,198 हो गई है। उन्होंने बताया कि 24,161 मरीज उपचाराधीन हैं जबकि 7,688 लोगों को संक्रमण मुक्त होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दी गई है। अधिकारी ने बताया कि नागपुर में रविवार को 20 लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही जिले में कुल संक्रमितों की संख्या 356 हो गई है। उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में मृत लाए गए व्यक्ति के नमूनों की जांच में उसके कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है। अधिकारी ने बताया कि नागपुर में कोरोना वायरस से मरने वालो की संख्या अब छह हो गई है जबकि 198 लोगों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दी गई है।

दिल्ली में मामले बढ़े

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 11 दिन की अवधि में दोगुना हो रहे हैं। जैन ने कहा कि शहर में निषिद्ध क्षेत्रों की संख्या बढ़ रही है और कई चिकित्सक, नर्स, पुलिस तथा बीएसएफ के जवान वायरस से संक्रमित हो रहे हैं। कोविड-19 से मौत के वास्तविक आंकड़े सामने नहीं आने को लेकर आलोचना का सामना कर रही दिल्ली सरकार ने सभी अस्पतालों को मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इस सिलसिले में शहर के अस्पतालों को 10 मई को एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की गई थी। मंत्री ने कहा, ‘‘हम रिकॉर्ड का संकलन कर रहे हैं। हमें आशा है कि दो-तीन दिनों में प्रत्येक रिपोर्ट का संकलन हो जाएगा।’’ उन्होंने बताया कि दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण से 19 और लोगों की मौत होने के साथ कुल मृतक संख्या बढ़कर 148 हो गई है, जबकि संक्रमण के 422 नए मामले सामने आने के साथ अब तक कुल 9,755 मामले सामने आ चुके हैं। मंत्री ने बताया कि कुल 4,202 रोगी संक्रमणमुक्त हो चुके हैं जबकि 5,405 मरीजों का इलाज चल रहा है।

दिल्ली मेट्रो 31 मई तक बंद रहेगी

दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने रविवार को कहा कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ाये जाने के मद्देनजर मेट्रो सेवाएं यात्रियों के लिए 31 मई तक बंद रहेंगी। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि को 31 मई तक बढ़ाये जाने की रविवार को घोषणा की। एनडीएमए ने एक आदेश में कहा कि कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए देश में लॉकडाउन उपायों को और 14 दिन के लिए लागू किये जाने की जरूरत है। डीएमआरसी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘सरकार द्वारा लॉकडाउन की अवधि बढ़ाये के मद्देनजर, मेट्रो सेवाएं यात्रियों के लिए 31 मई तक बंद रहेंगी। हमारी हेल्पलाइन सेवा 155370 भी उपलब्ध नहीं होगी। आप हम तक [email protected] पर पहुंच सकते हैं।’’

25 जिलों में बस सेवा होगी बहाल

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए राज्य में लागू लॉकडाउन की अवधि 31 मई तक बढ़ाने की घोषणा की है। हालांकि, उन्होंने करीब दो महीने के बाद 25 जिलों में (जिले की सीमा में ही) सार्वजनिक परिवहन बहाल करने सहित कई नयी रियायतों की घोषणा की है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को मौजूदा 50 प्रतिशत से शत प्रतिशत कार्यबल के साथ लागू करने का फैसला किया है ताकि आर्थिक गतिविधियों को गति दी जा सके। पलानीस्वामी ने कहा कि राजधानी चेन्नई सहित 12 अन्य जिलों में पाबंदियों में कोई बदलाव नहीं होगा और वहां तीसरे चरण के लॉकडाउन के नियम लागू रहेंगे। उन्होंने राहत देते हुए 25 जिलों में जिले के भीतर किराए के वाहनों को बिना ई-पास के परिचालन की अनुमति दे दी है जो अबतक अनिवार्य था लेकिन साथ ही लोगों को आगाह किया कि लॉकडाउन के चौथे चरण में वे अनावश्यक यात्रा से बचें। चेन्नई सहित 12 जिलों में हालांकि, ई-पास के जरिए इलाज के लिए ऑटोरिक्शा और टैक्सी की सेवा लेने की अनुमति होगी। चेन्नई के अलावा कांचीपुरम, तिरुवल्लुर, चेंगलपेट, विल्लुपुरम, कुडलूर, रानीपेट, तियुनपुत्तुर, कल्लाकुरिची, तिरुवन्नामलाई, अडियालुर और पेरंबूर शामिल हैं। राज्य में सामने आए कुल 11,224 मामलों में अकेले 6,750 मामले इन 12 जिलों में आए हैं। शीर्ष अधिकारियों, जन स्वास्थ्य और चिकित्सा विशेषज्ञों से परामर्श के बाद पलानीस्वामी ने कहा कि लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाया गया है और शिक्षण संस्थानों, धार्मिक स्थलों में लोगों के प्रवेश पर रोक जारी रहेगी जबकि पूर्व में दी गईं रियायतें पूरे राज्य में पहले की तरह प्रभावी होंगी। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि 100 से कम कर्मचारियों वाले उद्योग शत प्रतिशत कार्यबल के साथ काम कर सकते हैं जबकि 100 से अधिक कर्मचारी 50 प्रतिशत कार्यबल या न्यूनतम 100 कर्मचारियों (जो भी अधिक हो) के साथ कार्य कर सकते हैं। यह छूट चेन्नई को छोड़कर प्रदेश के सभी इलाकों में लागू रहेगी। सरकार ने 12वीं कक्षा की परीक्षाओं की कॉपियों को जांचने की भी अनुमति दे दी है। उल्लेखनीय है कि 24 मार्च की शाम लॉकडाउन प्रभावी होने के साथ ही सार्वजनिक और निजी परिवहन पर रोक लगा दी गई थी।

राष्ट्रपति भवन में तैनात एसीपी संक्रमित

राष्ट्रपति भवन में नियुक्त दिल्ली पुलिस के एक सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, जिसके बाद पांच पुलिसकर्मियों को पृथक-वास में रखा गया है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एसीपी (58) राष्ट्रपति भवन पुलिस लाइंस में तैनात थे, जो राष्ट्रपति भवन के मुख्य क्षेत्र से दूर है जहां राष्ट्रपति का आवासीय परिसर है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि एसीपी के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है और उन्हें 13 मई को पृथक किया गया था। उनके संपर्क में आये पांच अन्य कर्मियों को भी एहतियाती उपाय के तहत पृथक-वास में रखा गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘उनकी रिपोर्ट के बारे में हमें आज सूचना मिली। उनके संक्रमित होने की पुष्टि हुई है लेकिन उनमें संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आ रहे। उन्हें 13 मई से पृथक रखा गया था और एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था।’’ उन्होंने कहा कि एसीपी राष्ट्रपति भवन परिसर में पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाने एवं उनके प्रबंधन के लिये जिम्मेदार हैं।

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दो हजार रुपये का शुल्क लिया जायेगा

गोवा में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने के बीच, राज्य कार्यकारी समिति (एसईसी) ने राज्य में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से कोविड-19 की जांच के लिए दो हजार रुपये का शुल्क लेने का रविवार को फैसला किया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। राज्य के मुख्य सचिव परिमल राय के नेतृत्व वाली यह समिति राज्य में कोविड-19 प्रबंधन और राहत कार्यों की देखरेख के लिए जिम्मेदार है। समिति ने रविवार को आयोजित एक बैठक के दौरान राज्य में कोविड-19 की स्थिति का जायजा लिया। गोवा में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या 16 हो गई है। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हाल ही में बाहर से आने वाले यात्रियों में पाए गए संक्रमण के मामलों के बाद, एसईसी ने फैसला किया कि गोवा में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जांच करने की व्यवस्था जारी रखने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने बताया कि एसईसी ने जांच पर होने वाले खर्च के लिए लोगों से शुल्क लेने के मुद्दे पर चर्चा की। उन्होंने बताया, ‘‘विचार-विमर्श के बाद, एसईसी ने रेलवे और अन्य अधिकारियों को यह बताने के लिए गोवा के अंतर-राज्य आवागमन प्रकोष्ठ को निर्देश दिया कि गोवा पहुंचने वाले किसी भी यात्री को अनिवार्य जांच से गुजरना होगा और जांच के लिए प्रति व्यक्ति 2,000 रुपये का शुल्क लगाया जाएगा।’’ प्रवक्ता ने बताया हालांकि, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत या ड्यूटी पर तैनात सरकारी कर्मचारियों जैसे किसी अन्य छूट वाली श्रेणी के तहत आने वाले लोगों को भुगतान नहीं करना होगा। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक ने कहा कि 29 अप्रैल से अब तक 17,085 लोग राज्य से बाहर गए हैं जबकि 2,129 लोग राज्य में आए हैं।’’ 

50,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा है कि कोविड-19 लॉकडाउन के कारण इस साल राज्य को 50,000 करोड़ रुपये का "न्यूनतम नुकसान" होने की आशंका है। इसके साथ ही उन्होंने राजस्व एकत्र करने के लिए कराधान के संबंध में कुछ "कठोर फैसले" किए जाने का संकेत दिया। सिंह ने एक साक्षात्कार में कहा कि शुरुआती अनुमान के अनुसार राज्य में करीब 10 लाख नौकरियों का नुकसान होगा और आर्थिक मोर्चे पर राज्य को हर महीने 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। सिंह ने कहा कि कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि जुलाई और अगस्त में कोरोना वायरस महामारी चरम पर होगी। ऐसे में पंजाब खुद को "सबसे खराब स्थिति" के लिए तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा कि विदेश से प्रवासियों और भारतीयों की भारी संख्या में वापसी इस बीमारी के प्रबंधन के लिए प्रमुख चुनौती है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘बंद के कारण सिर्फ अप्रैल में हमें अपने अनुमानित राजस्व के 88 प्रतिशत का नुकसान हुआ। त्वरित अनुमानों के अनुसार, हमें हर महीने 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है और पूरे वर्ष में न्यूनतम 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।’’ सिंह ने कहा कि वित्तीय स्थिति के "अत्यंत गंभीर’’ होने के मद्देनजर उन्होंने पहले ही सभी 'गैर-अनिवार्य' विभागों को खर्चों में कटौती करने और अपनी राशि का विवेकपूर्ण तरीके से प्रबंधन करने के लिए कहा है। उन्होंने नए कराधान उपायों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘स्वाभाविक रूप से, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है, इसलिए हमें कुछ कठोर निर्णय लेने होंगे।" उन्होंने कहा कि विचार विमर्श जारी है और राज्य विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है तथा अगले कुछ दिनों में कोई निर्णय लेगा। सिंह ने राज्यों के लिए तत्काल आर्थिक पैकेज की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि परिवहन से आने वाला वैट या उत्पाद शुल्क, उत्पाद एवं सेवा कर (जीएसटी) नहीं मिल रहे हैं। सभी संसाधन सूख गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर केंद्र सरकार कदम नहीं उठाती तो पंजाब का अनुमान है कि आने वाले समय में स्थिति और खराब हो जाएगी। सिंह ने कहा, ‘‘मुझे नहीं मालूम कि उन्होंने अब तक राज्यों के लिए कोई राहत पैकेज या राजस्व अनुदान की घोषणा क्यों नहीं की है। हमें न केवल अपने नियमित खर्चों बल्कि कोविड की विशाल चुनौती का चिकित्सा और मानवीय दृष्टिकोण से प्रबंधन करने के लिए धन की आवश्यकता है। हमें तुरंत पैसों की आवश्यकता है। लेकिन यह अभी तक नहीं आ रहा है।’’ पंजाब द्वारा कोरोना वायरस लॉकडाउन 31 मई तक बढ़ाए जाने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि जुलाई -अगस्त में यह महामारी चरम पर पहुंच सकती है और यह सितंबर तक जारी रह सकती है। ऐसे में राज्स सबसे खराब स्थिति की भी तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि कर्फ्यू में छूट और मामलों में तेजी के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है तथा "अभी सबसे बड़ी चुनौती अन्य राज्यों और भारत के बाहर से आ रहे लोगों की बड़ी संख्या है।" सिंह ने कहा, ‘‘ 22 मई तक, 10 उड़ानों से राज्य के लोगों को लाने की उम्मीद है और विदेश मंत्रालय के अनुमान के अनुसार कुल संख्या 20,000 है।’’ उन्होंने कहा कि प्रवासियों के रवाना होने से पहले वहीं परीक्षण किए जाने की उम्मीद की जाती है। लेकिन हम नहीं जानते कि यह कितना भरोसेमंद है। सिंह ने कहा, ‘‘जैसा हमने नांदेड़ के तीर्थयात्रियों के मामले में देखा, महाराष्ट्र सरकार जरूरी परीक्षण करने में विफल रही। विभिन्न देशों से आने वाले अनिवासी भारतीयों के लिए भी यही बात है।" उन्होंने कहा कि राज्य को वापस आने वाले लोगों को पृथक-वास में रखने और उनके परीक्षण की व्यापक व्यवस्था करनी है। इससे राज्य के सीमित संसाधनों पर भारी दबाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले लोगों के कारण राज्य में मामलों में हालिया उछाल आया। सिंह ने कहा कि शुरू में वृद्धि उस समय हुयी जब प्रवासी भारतीय फरवरी-मार्च में आए और दूसरा दौर तबलीगी जमात के साथ आया। पंजाब में कोरोना वायरस के करीब 2,000 मामले सामने आए हैं और 32 लोगों की मौत हुई है।

कोविड-19 बना सकती है भारत में 13.5 करोड़ को बेरोजगार

कोरोना वायरस महामारी (कोविड-19) के कारण भारत में 13.5 करोड़ लोगों की नौकरियां समाप्त हो सकती हैं और 12 करोड़ लोग गरीबी के गर्त में गिर सकते हैं। एक रिपोर्ट में यह आशंका व्यक्त की गयी है। परामर्श कंपनी आर्थर डी लिटिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महामारी का उपभोक्ताओं की आय, उनकी बचत और खर्च पर व्यापक असर हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 का सबसे बुरा असर नौकरियों के नुकसान, गरीबी में वृद्धि तथा प्रति व्यक्ति आय में गिरावट के रूप में निचले पायदान के लोगों पर पड़ेगा। इसके कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी तेज गिरावट हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया, ''कोविड-19 के मामलों की निरंतर वृद्धि को देखते हुए हमारा मानना है कि भारत में ‘डब्ल्यू-शेप्ड रिकवरी’ अर्थात आर्थिक हालत में सुधार के बाद गिरावट और फिर सुधार की अधिक संभावनाएं हैं। इसके अनुसार 2020-21 में जीडीपी में 10.8 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है और 2021-22 में जीडीपी की वृद्धि दर 0.8 प्रतिशत रह सकती है।’’ भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों की संख्या अब तक नब्बे हजार के पार जा चुकी है। इस महामारी के कारण अब तक देश में करीब 28 सौ लोगों की मौत भी हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, इस महामारी के कारण भारत में बेरोजगारी की दर 7.6 प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। इससे 13.6 करोड़ लोगों की नौकरियां समाप्त हो सकती हैं। इसके अलावा महामारी के कारण भारत में 12 करोड़ लोगों के गरीबी के मुंह में गिरने तथा चार करोड़ लोगों के भयानक गरीबी के शिकंजे में आ जाने की आशंकाएं हैं।

सीमित संख्या में मरीजों को भर्ती करेंगे

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में निजी अस्पतालों से नर्सों के नौकरी छोड़ने से कर्मचारियों की कमी हो गई है। अस्पतालों ने अब निर्णय किया है कि वे सीमित संख्या में मरीजों को भर्ती करेंगे और मौजूदा कर्मियों को परामर्श देंगे, ताकि वे नौकरी न छोड़ें। कोलकाता में निजी अस्पतालों की 350 से ज्यादा नर्सों ने नौकरी छोड़ दी है और वे कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बावजूद मणिपुर और देश के अन्य हिस्सों में स्थित अपने घर लौट गई हैं। दक्षिण कोलकाता के पीयरलेस अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनके अस्पताल में 25 नर्सों की कमी है। अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉ. सुजीत कर पुरकायस्थ ने कहा, ''मरीजों को सीमित संख्या में भर्ती किया जाएगा, क्योंकि हमें मौजूदा स्टाफ के साथ ही काम करना है। लगता है नौकरी छोड़कर जाने वाले जल्दी वापस नहीं आएंगे। फिलहाल हमें संयम से इंतजार करना है। नर्स रातभर में नहीं बनाई जा सकती हैं।" बंगाल में कोविड-19 के लिए निर्धारित अस्पतालों में शामिल एएमआरआई के अधिकारियों ने बताया कि वे स्टाफ सदस्यों को परामर्श दे रहे हैं ताकि वे नौकरी नहीं छोड़ें। अस्पताल से कम से कम 77 नर्स दूसरे राज्यों में स्थित अपने घरों को जा चुकी हैं। अस्पताल के मुख्य कार्यकारी रूपक बरुआ ने कहा कि स्टाफ सदस्यों को आश्वासन दिया गया है कि उनकी चिंताओं का निदान किया जाएगा। चारनॉक अस्पताल के प्रबंध निदेशक प्रशांत शर्मा ने कहा कि करीब-करीब सभी अस्पताल ऐसी परेशानी का सामना कर रहे हैं। मणिपुर, ओडिशा और त्रिपुरा की नर्स अचानक से नौकरी छोड़कर चली गई हैं। बंगाल, केरल और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों की नर्स अब भी यहां हैं। मणिपुर के लिए इसे हफ्ते के शुरू में रवाना हुई एक नर्स ने कहा कि सुरक्षा चिंता और माता-पिता के दबाव के कारण उसने नौकरी छोड़ दी।

'बिहार, बंगाल नहीं दे रहे आवश्यक मंजूरी'

महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने रविवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल और बिहार प्रवासी मजदूरों की वापसी के लिए पर्याप्त संख्या में रेलगाड़ियां चलाने की आवश्यक मंजूरी नहीं दे दे रहे हैं और इन दोनों राज्यों की जवाब देने की गति ‘‘बहुत धीमी’’ है। उन्होंने बताया कि विशेष रेलगाड़ियों से अपने गृह राज्य जाने के लिए 20 लाख प्रवासियों ने महाराष्ट्र सरकार के समक्ष पंजीकरण कराया है और इनमें से अधिकतर बिहार तथा पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। देशमुख का यह बयान रेल मंत्री पीयूष गोयल के दावे के करीब है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल सहित विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित कुछ राज्य अन्य राज्यों में फंसे प्रवासियों को वापस लाने के लिए रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति देने के प्रति अनिच्छा जता रहे हैं। उन्होंने कहा, ''गृह विभाग में 20 लाख लोगों ने अपने गृह प्रदेश लौटने के लिए पंजीकरण कराया है। इनमें से अधिकतर बिहार और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।'' देशमुख ने पत्रकारों से कहा, ‘‘समस्या यह है कि पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्य रेलगाड़ियों को चलाने के लिए जरूरी मंजूरी नहीं दे रहे हैं।’’ गृहमंत्री ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार पहले ही बिहार और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों से बात कर चुके हैं लेकिन उनकी प्रतिक्रिया बहुत धीमी है। राकांपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि महाराष्ट्र से ही प्रवासी मजदूरों को उनके गृह प्रदेशों को भेजने के लिए करीब 800 रेलगाड़ियों की जरूरत है। उन्होंने कहा, ''अगर सभी प्रवासी मजदूरों को वापस भेजा जाता है तो हमें 1,000 से अधिक रेलगाड़ियों की जरूरत होगी।’’ देशमुख ने कहा, ‘‘प्रवासियों द्वारा वापस जाने के लिए कराए जा रहे पंजीकरण की दर को देखते हुए रोजाना सभी प्रमुख स्टेशनों से 50 रेलगाड़ियों को चलाने की जरूरत है। कम से कम दस रेलगाड़ियां रोजाना बिहार और पश्चिम बंगाल के लिए चलानी होंगी।’’ उन्होंने कहा कि हालांकि, पश्चिम बंगाल और बिहार सरकार, महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित संख्या के अनुरूप रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति नहीं दे रही हैं। देशमुख ने कहा, ‘‘जब हमने पश्चिम बंगाल और बिहार सरकार को सूचित किया कि 25-25 रेलगाड़ियों के यात्रियों के बराबर प्रवासी मजूदरों ने पंजीकरण करा लिया है तो हमें केवल दो या एक रेलगाड़ी ही चलाने की अनुमति मिली। प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को देखकर दुख होता है।’’ उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र का गृह विभाग विभिन्न सरकारों के संपर्क में है ताकि प्रवासी मजदूरों की वापसी के लिए विशेष रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति मिल सके। देशमुख ने कहा कि राज्य सरकार रेल किराए में अपने अंश का भुगतान कर रही है और यात्रा के लिए प्रवासी मजदूरों को भोजन-पानी मुहैया करा रही है।

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सरकार ने 'अग्रणी क्षेत्रों’ की पहचान की

सरकार ने चमड़ा, रत्नाभूषण, नवीकरणीय ऊर्जा, दवा और कपड़ा समेत कई क्षेत्रों की पहचान ‘अग्रणी क्षेत्र’ के तौर पर की है। देश में विनिर्माण क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार इन क्षेत्रों में निवेश के लिए निवेशकों की मदद करेगी। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव गुरुप्रसाद मोहपात्रा ने कहा कि भारत को विनिर्माण क्षेत्र में अपना सही स्थान फिर लेना चाहिए। उन्होंने चीन के संदर्भ में कहा कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने विनिर्माण का अवसर एक खास देश (चीन) के लिए छोड़ दिया। मोहपात्रा ने कहा कि हमें घरेलू विनिर्माण पर बहूत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इसे केवल मजबूत नहीं बनाना है, बल्कि हमारे घरेलू निवेशकों को को भी इस ओर प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने निवेश के लिए कुछ ऐसे अग्रणी क्षेत्रों की पहचान की है।’’ इसमें चमड़ा, रत्नाभूषण, सौर, नवीकरणीय ऊर्जा, दवा और कपड़ा शामिल है। मोहपात्रा ने कहा कि एक कॉरपोरेट या निवेशक को राज्य सरकारों के और केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के पास जाना पड़ता है। इस व्यवस्था को सरल बनाया जाएगा। शनिवार को उद्योग मंडल एसोचैम के एक वेबिनार के दौरान उन्होंने यह बात कही। डीपीआईआईटी वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करता है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान से उबारने के लिए सरकार का ध्यान विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने पर है।

स्टेडियम खोलने की अनुमति दी, दर्शकों का प्रवेश वर्जित

कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के चौथे चरण में रविवार को दर्शकों के बिना खेल परिसरों को खोलने की अनुमति दी गयी है जिससे मार्च से ही ठप्प पड़े अभ्यास शिविरों को फिर से शुरू करने का रास्ता भी संभवत: साफ हो गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौरान पालन किये जाने वाले दिशानिर्देशों में से एक में लिखा गया है, ‘‘खेल परिसर और स्टेडियमों को खोलने की अनुमति दी जायेगी, हालांकि दर्शकों को अनुमति नहीं होगी।’’ तीसरे चरण का लॉकडाउन सोमवार को समाप्त हो गया लेकिन इसे 31 मई तक बढ़ा दिया गया है। भारत में अभी तक 90,000 से ज्यादा कोविड-19 मामले सामने आये हैं जिसमें करीब 3000 लोग जान गंवा चुके हैं। हालांकि खेलों को उन कार्यक्रमों और जश्न में शामिल किया गया है जिन्हें अब तक अनुमति नहीं मिली है। खेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, ‘‘अभ्यास फिर से शुरू करना ही इन दिशानिर्देशों का एकमात्र निहितार्थ लगता है।’’ भारत में अभी केवल इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के रूप में ही सबसे बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन है जिसे अप्रैल में अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दिया गया था। रविवार को मिली कुछ छूट की घोषणा के बावजूद आईपीएल के हाल फिलहाल खाली स्टेडियमों में शुरू होने की संभावना भी नहीं है क्योंकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रा पाबंदियां अब भी पहले की तरह लागू हैं। देशव्यापी लॉकडाउन मार्च के मध्य से शुरू हुआ था और भारतीय खेल प्राधिरकण के पटियाला और बेंगलुरू में परिसरों में ओलंपिक में जगह बना चुके शीर्ष खिलाड़ी पिछले दो सप्ताह से अभ्यास शुरू करने की मांग कर रहे हैं। ओलंपिक को इस घातक महामारी के कारण 2021 तक स्थगित कर दिया गया है। पिछले सप्ताह खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने कई वीडियो कांफ्रेन्स करके इस मामले में उनकी राय जानी थी। उन्होंने भारोत्तोलकों, हाकी खिलाड़ियों और ट्रैक एवं फील्ड के एथलीटों से भी बात की थी।

उपचार के लिए मिला प्रभावी दवा मिश्रण

बांग्लादेश के डॉक्टरों की एक टीम ने दावा किया है कि व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दो दवाओं के मिश्रण पर उनके अनुसंधान के कोरोना वायरस के गंभीर लक्षण वाले रोगियों के उपचार में ‘‘आश्चर्यजनक परिणाम’’ सामने आए हैं। कोरोना वायरस विश्व में अब तक 3,12,000 से अधिक लोगों की जान ले चुका है। बांग्लादेश की इस अनुसंधान टीम में देश के प्रतिष्ठित डॉक्टर शामिल थे। यह दावा ऐसे समय किया गया है जब पूरी दुनिया कोविड-19 का तोड़ ढूंढ़ने में लगी है और अब तक सफलता न मिलने से विश्व के चिकित्सा विशेषज्ञ हताश हैं। बांग्लादेश मेडिकल कॉलेज अस्पताल (बीएमसीएच) में मेडिसिन विभाग के प्रमुख, डॉक्टर मोहम्मद तारिक आलम ने कहा, ‘‘हमें शानदार परिणाम मिले हैं। कोविड-19 के 60 रोगियों को दो दवाओं का मिश्रण दिया गया और वे सभी ठीक हो गए।’’ आलम बांग्लादेश के जाने-माने चिकित्सक हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 रोगियों को आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली प्रोटोजोआ रोधी दवा ‘इवरमेक्टिन’ की एक खुराक एंटीबायोटिक दवा ‘डॉक्सीसाइक्लिन’ के साथ देने के लगभग चमत्कारी परिणाम निकले। आलम ने कहा, ‘‘मेरी टीम ने कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को सिर्फ दो दवाएं दीं जिनको शुरू में श्वसन से जुड़ी तथा अन्य संबंधित समस्याएं थीं और जो बाद में संक्रमण की पुष्टि हुयी।’’ उन्होंने दावा किया कि उनकी टीम द्वारा विकसित दवा का प्रभाव इतना है कि रोगी चार दिन के भीतर ही ठीक हो गए और दवा का उन पर कोई दुष्प्रभाव नहीं हुआ। आलम ने कहा, ‘‘हमने उनसे (रोगियों) पहले कोविड-19 की जांच कराने को कहा और संक्रमित पाए जाने पर हमने उन्हें दवाएं दीं... वे चार दिन के भीतर ठीक हो रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘अनुसंधान के तहत सभी मामलों में प्रक्रिया के अनुरूप पुन: या दूसरे परीक्षण में रोगियों के कोरोनामुक्त होने की पुन: पुष्टि हुई। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं हुआ।’’ आलम ने कहा, ‘‘हम दवा के मिश्रण के प्रभाव के बारे में 100 प्रतिशत आशावान हैं।’’ उन्होंने कहा कि वे संबंधित सरकारी नियामकों से संपर्क कर चुके हैं और अब कोविड-19 के उपचार के लिए दवा को मान्यता दिलाने के वास्ते अंतरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं से संबंधित कार्य को अंजाम दे रहे हैं। आलम ने कहा कि उनकी टीम एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के लिए दवा के विकास पर एक पत्र तैयार कर रही है जो वैज्ञानिक समीक्षा और मान्यता के लिए आवश्यक है। आलम के सहयोगी डॉ. रबिउल मुर्शीद ने कहा कि गैर कोविड-19 अस्पताल होने के बावजूद बीएमसीएच में सीधे और परोक्ष तरीके से बड़ी संख्या में रोगी आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन ये सभी उल्लेखनीय रूप से ठीक होकर चार दिन में कोरोनामुक्त हो रहे हैं और तीन दिन के भीतर उनके लक्षणों में 50 प्रतिशत की कमी आ रही है।’’ बांग्लादेश में अब तक कोरोना वायरस के 20,995 मामले सामने आ चुके हैं और 314 लोगों की मौत हुई है।

-नीरज कुमार दुबे

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