आज के दौर की नारी अबला नहीं सबला है

International Women Day
वीना आडवानी । Mar 8 2021 1:37PM

नारी दिवस के दिन ही नारी का सम्मान करते हुए आज बहुत सी संस्थाए जहां एक ओर अपने संस्थानों की खासियत से दुनिया को अवगत करा रही है।साथ ही नारी को सक्षम बनाने और अबला नहीं सबला, आत्मनिर्भर बनने का पाठ पढ़ाने का काम कर रही है।

आज की नारी अबला नहीं सबला है जी हां आज हर एक क्षेत्र मे जहां महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया है। आज वो कोई दूसरा ग्रह हो या पृथ्वी ही हर ओर महिलाओं ने अपना झंडा गाढ़ा है। पुलिस क्षेत्र हो या नेवी, जल या थल सेना महिलाऐं भी अपने बुलंद हौसलों के साथ देश की सेवा मे लगी है।ये हमारे देश की पावन धरती है जिस पर अहिल्या बाई, महारानी लक्ष्मीबाई, मदर टेरेसा, किरन बेदी और भी ना जाने कितनी अनगिनत विलक्षण प्रतिभाओं ने अपना लोहा मनवाया है। कल्पना चावला जो कि बस अभी उड़ान भरना सिखने का ख्वाब देख रही थी पर वो अपने इस ख्वाब को पूरा करने की ठानते हुए आगे अग्रसर होती गयी और अपने ख्वाब को अंजाम तक पहुंचा के अपना नाम युगों-युगों तक स्वर्ण अक्षरों मे लिखवा गई। हमारे ही देश की आदरणीय प्रतिभा पाटिल जी भी जो कि एक महिला ही हैं उन्होंने खुद को राष्ट्रपति की गद्दी पे देखने का ख्वाब संजोया था और अपने ख्वाब को ईमानदारी की राह पर निक्षपक्ष न्याय करते हुए पूरा किया। आज कितनी महिलाएं देखिये व्यवसाय के क्षेत्र मे ऊंचे मुकामों को पा रही हैं अपने बलबूते और काबलियत के दम पर महिलाएं बड़ी-बड़ी कम्पनियों को बहुत ऊंचाइयों तक पहुंचा रही है। कितनी स्त्रियां अपने पति के ही व्यवसाय मे दुकान पर बैठ के साथ निभा रही हैं। घर को सुचारु रुप से चलाते हुए, अपने बच्चों की बेहतरीन परवरिश करते हुए सभी के सुख-दुख का ख्याल रखते हुए भी अपने कार्यक्षेत्र पर अपना वर्चस्व लहराना कोई मामूली बात नहीं है। हर किसी को खुश रखते हुए अपने उत्तरदायित्व की पूर्ति करते रहने का गुण मात्र महिलाओं मे ही समाया होता है। महिलाएं जो कि एक कुशल ग्रहणी के साथ-साथ बाहर के भी क्रिया कलापों का सही तरह समय-समय और हालात के अनुसार निर्वाह करती है। सच एक महिला की भूमिका निभाना कोई सरल कार्य नहीं है। ये मर्दों को जितना सरल सुगम लगता है उतना हे नहीं।

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नारी दिवस के दिन ही नारी का सम्मान करते हुए आज बहुत सी संस्थाए जहां एक ओर अपने संस्थानों की खासियत से दुनिया को अवगत करा रही है।साथ ही नारी को सक्षम बनाने और अबला नहीं सबला, आत्मनिर्भर बनने का पाठ पढ़ाने का काम कर रही है। प्रतिभाऐं नारियों की जो समाज के सम्मुख लाने की कोशिश कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर ऐसे भी बहुत से परिवार या परिवार के मर्द, पति औरत की खासियत को दबाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। ऐसा ना हो कि पति को उसकी पत्नी की काबिलियत से जाना जाने लगे यही सोच आज भी बहुत से आदमी अपनी पत्नी या घर की किसी भी महिला को आगे बढ़ने नहीं दे रहे। ये कोई काल्पनिकता नहीं जिंदगी की हकिकत है। जिसके अंतर्गत बहतु सी विलक्षण प्रतिभाऐं एक कोने मे सहमी सी दब कर रह जाती है। ऐसे मे यदि कोई सामाजिक संस्थाऐं ऐसी विलक्षण प्रतिभाओं को खोज के सामने लाती हैं तो उन संस्थाओं पर भी शिकंजा सा कस कर उन्हें दबा दिया जाता है। जिससे चाहकर भी कोई ऐसी विलक्षण प्रतिभाओं की धनी महिलाओं का सहयोग नहीं कर पाता है। आखिर क्यों आज भी हमारे सभ्य समाज मे नारी को दबाये रखने की कोशिश होती ही रहती है।

आजकल अखबारों की सुर्खियों मे जहाँ एक ओर नारी दिवस के निकट आने पर जितना जोश,उत्साह से भरा हुआ दिखाया जा रहा है। कितनी सुर्खियों मे बस नारी की महानता का पाठ कवियों, साहित्यकारों द्वारा गा-गा कर सुनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर अखबार कि सुर्खियों मे ही आऐ दिन कितनी ही महिलाओं के साथ हो रहे नित अत्याचारों का उल्लेख भी पढ़ने को मिल रहा है। नित महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार मे कहीं बहू बेटियों को अपनी हवस का शिकार बनाया जा रहा हे तो कहीं दहेज़ कि बली चढ़ रही है बेटियां तो कहीं इतनी घिनौनी हरकत हो रही है सरकारी लोगों ही द्वारा जिसमें नारियों की ही अस्मत को तार-तार करते हुए उनको नंगा नाच नचाया जा रहा है। यदि इंसानों, औरतों की सुरक्षा करने वाला मुहकमा ही इंसानों की असमत को यूं तार-तार कर देगा तो कैसे कोई भी बेटी, औरत, इंसान किसी पर यकीन कर पाऐगी। आज भी लोग कोख मे ही बेटी को जन्म देने से पहले ही मरवा देते हैं क्यों कि इसका कारण या तो दहेज है, या औरतों के साथ बढ़ रहे अनैतिक अपराध लोग बेटियों को जन्म देने से पहले ही खौंफ ज़दा होते हैं कि कहीं उनके कलेजे का टुकड़ा, उनकी ही बेटी कभी कहीं किसी हादसे का शिकार ना हो जाऐ। आज हर क्षेत्र मे जहाँ नारी विकास की ओर अग्रसर हो रही आधुनिकता के साथ वहीं दूसरी ओर नित प्रतिदिन हादसों का शिकार भी हो रही।

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हमारे देश की महिलाओं की सुरक्षा का जिम्मा कब और कब तलक कोई लेगा हम महिलाओं को ही खुद को इतना अधिक मजबूत बनाना है कि हर एक हादसा ही हमारे करीब आने से पहले सौ बार सोचे,आज हम औरतों को यदि हर क्षेत्र मे मर्दों संग कांधे से कांधा मिलाते हुए चलना है तो खौंफ को त्यागते हुए बुलंद हौसलों संग निर्भय हो आगे बढ़ना ही होगा कब तलक आखिर नारी इन भेड़ियों, दरिंदों का शिकार होगी यदि हमारे समाज की पचास प्रतिशत महिलाएं भी हिम्मत दिखाऐं तो शेष पचास प्रतिशत महिलाओं मे खुद ब खुद इतनी अधिक हिम्मत बढ़ जाऐगी। खुद के लिये नारी और समाज को भी जागरूक करते हुए सभी के लिये एक आदर्श बने। यदि आप ऐसी किसी भी प्रतिभावान औरतों को जानती हैं तो उन औरतों की प्रतिभाओं को भी संग-संग आगे लाऐं। अपना लोहा मनवाना हमारा हक है क्यों कि हम औरतों के भी कुछ ख्वाब हैं कुछ जज़्बात। इन ख्वाबों को पंख लगा उड़ने मे परिवार के लोग भी अपनी अहम़ भूमिका निभाते हुए अपना सहयोग दें। अपने घर की बेटियों को सक्षम बनाऐं शिक्षा दिलवाकर। सबला बनाइये बेटियों को अबला नहीं।

- वीना आडवानी

नागपुर, महाराष्ट्र

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