महासागरों के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाता है विश्व महासागर दिवस

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पिछले साल 2018 में इस दिवस की थीम ‘एक स्वस्थ महासागर के लिए प्लास्टिक प्रदूषण और उत्साहजनक समाधानों को रोकना’ थी और इस साल 2019 को विश्व महासागर दिवस पर थीम रखी गई है ‘जेंडर एंड ओशन''।

‘विश्व महासागर दिवस’ प्रतिवर्ष 8 जून को मनाया जाता है। 1992 में रियो डी जनेरियो के पृथ्वी ग्रह फोरम में विश्व महासागर दिवस मनाने का फैसला लिया गया था, उसके बाद वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मान्यता मिलने के पश्चात साल 2009 से प्रतिवर्ष विश्व भर में महासागर दिवस मनाए जाने की शुरूआत हुई। हर साल इस दिन के सैलिब्रेशन के लिए कोई नई थीम तय की जाती है। पिछले साल 2018 में इस दिवस की थीम ‘एक स्वस्थ महासागर के लिए प्लास्टिक प्रदूषण और उत्साहजनक समाधानों को रोकना’ थी और इस साल 2019 को विश्व महासागर दिवस पर थीम रखी गई है ‘जेंडर एंड ओशन’  (Gender and the Ocean)।

‘विश्व महासागर दिवस’ महासागरों के महत्व और उससे संबंधित विषयों खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता, पारिस्थितिकि संतुलन सामुद्रिक संसाधनों का उपयोग, जलवायु परिवर्तन आदि को जानने समझने के लिए लोगों को जागरूक करता है। 

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यह तो हम जानते ही हैं कि समस्त विश्व महासागरों के बलबूते पर ही टिका है, पृथ्वी का लगभग 70 प्रतिशत भाग महासागरों से घिरा है। महासागरों से न सिर्फ हमारा जीवन बल्कि पूरी पृथ्वी और पर्यावरण प्रभावित होता है। पृथ्वी पर उपलब्ध समस्त जल का लगभग 97 प्रतिशत जल महासागरों में ही है। सांस लेने के लिए हमें जिस ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, उसका 70 प्रतिशत महासागरों द्वारा निर्मित होता है। महासागर धरती पर असीम जैव विविधता का भंडार है। एक अनुमान के अनुसार केवल एक महासागर के अंदर करीब दस लाख प्रजातियां उपस्थित हो सकती हैं।

जीवन में महासागरों के महत्व को समझते हुए पर हम पृथ्वी वासियों का ध्यान महासागरों के अस्तित्व को अक्षुण्ण रखने की ओर अवश्य ही जाना चाहिए। वर्तमान में मानवीय गतिविधियों का असर समुद्रों पर भी दिखने लगा है। समुद्रमें ऑक्सीजन का स्तर लगातार घटता जा रहा है और तटीय क्षेत्रों में समुद्री जल में भारी मात्रा में प्रदूषणकारी तत्वों के मिलने से जीवन संकट में हैं। तेलवाहक जहाजों से तेल के रिसाव के कारण समुद्री जल के मटमैला होने पर उसमें सूर्य का प्रकाश गहराई तक नहीं पहुँच पाता, जिससे वहाँ जीवन को पनपने में परेशानी होती है और उन स्थानों पर जैव-विविधता भी प्रभावित हो रही है। महासागरों के तटीय क्षेत्रों में भी दिनों-दिन प्रदूषण का बढ़ता स्तर चिंताजनक है। आइए इस विश्व महासागर दिवस पर संकल्प लें कि समुद्रों को साफ-सुथरा प्रदूषण रहित रखे जाने के लिए पूर्ण जिम्मेदारी के साथ पूरा योगदान देंगे।

विश्व महासागर दिवस पर जानते हैं हमारे पाँच प्रमुख महासागरों- प्रशांत महासागर, हिन्द महासागर, अटलांटिक महासागर, अंटार्कटिका महासागर और आर्कटिक महासागर के बारे में कुछ खास बातें:-

- पृथ्वी पर सबसे बड़ा महासागर प्रशांत महासागर है, पृथ्वी की सतह का यह लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा है। इस महासागर की गहराई 35 हजार फुट और इसका आकार ट्राईगल यानि त्रिभुजाकार है। प्रशांत महासागर में करीब 25,000 द्वीप हैं। इस महासागर को ‘शांतिपूर्ण समुद्र’ के नाम से भी जाना जाता है। 

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- अटलांटिक महासागर क्षेत्रफल और विस्तार की दृष्टि से दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा महासागर है, इसके पास पृथ्वी का 21 प्रतिशत से अधिक भाग है। अटलांटिक महासागर का आकार अंग्रेजी के 8 की संख्या के जैसा है। इस महासागर की कुछ वनस्पतियां खुद से चमकती हैं क्योंकि यहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती।

- हिंद महासागर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है, यह धरती का लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा है। हिंद महासागर को ‘रत्नसागर’ नाम से भी जाना जाता है। हिन्द महासागर इकलौता ऐसा महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम पर रखा गया है।

- अंटार्कटिका महासागरों में चौथा सबसे बड़ा महासागर है। इस महासागर को ऑस्ट्रल महासागर के नाम से भी जाना जाता है। इस महासागर में आइसबर्ग तैरते हुए देखे जाते हैं। अंटार्कटिका की बर्फीली जमीन के अंदर 400 से भी अधिक झीलें हैं। 

- आर्कटिक महासागर पांच महासागरों में सबसे छोटा और उथला महासागर है इसे उत्तरी ध्रुवीय महासागर भी कहते हैं। सर्दियों में यह महासागर पूर्णतः समुद्री बर्फ से ढंका रहता है।

-अमृता गोस्वामी

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