महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के सबसे असरदार उपाय

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कमल सिंघी । Mar 1 2019 5:11PM

महाशिवरात्रि पर यदि शिवलिंग मिट्टी से बनाए जाएं और उनका नर्मदा जल के साथ दूध, गुलाब जल, शहद इत्यादि मिलाकर अभिषेक किया जाए तो वे और भी अधिक प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मन की मनोकामना जल्द ही पूरी करते हैं।

भोपाल। भगवान शिव की पूजा के लिए वैसे तो हर दिन ही श्रेष्ठ बताया गया है, लेकिन पुराणों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन शिव पूजन से वे अत्यंत ही प्रसन्न होते हैं, कहा जाता है कि यदि इस दिन अपने हाथों से शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की जाए तो महादेव के साथ ही माता पार्वती की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। दोनों ही रूपों से इस दिन महादेव पूजन अत्यंत ही लाभकारी बताया गया है। इस वर्ष 4 मार्च 2019 को महाशिवरात्रि मनायी जाएगी। सोमवार का दिन होने की वजह से इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

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मिट्टी के शिवलिंग

महाशिवरात्रि पर यदि शिवलिंग मिट्टी से बनाए जाएं और उनका नर्मदा जल के साथ दूध, गुलाब जल, शहद इत्यादि मिलाकर अभिषेक किया जाए तो वे और भी अधिक प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मन की मनोकामना जल्द ही पूरी करते हैं। मिट्टी के शिवलिंग बनाकर अभिषेक करने का महत्व पुराणों में भी बताया गया है।

पूजा में शामिल करें ये वस्तुएं

वैसे तो भगवान शिव भोले भंडारी हैं और भक्तों की पुकार जल्दी ही सुन लेते हैं। अन्य देवों से विपरीत इन्हें भस्म प्रिय है। अतः पूजन में भी इन्हें अन्य देवी-देवताओं से विपरीत ही वस्तुएं प्रिय हैं। बेलपत्र, धतूरा, बेर, गेहूं की बाल, आंक या अकौआ के फूल एवं मौसमी फल अर्पित करने से ये अत्यंत ही प्रसन्न होते हैं। माना जाता है कि यदि पांच पत्ते वाली बेलपत्र इन्हें चढ़ायी जायी तो वे शीघ्र ही मनोकामना पूर्ण कर देते हैं।

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विवाह का शुभ अवसर है ये दिन

महाशिवरात्रि का दिन पुराणों में अत्यंत ही सुंदर रूप में वर्णित किया गया है। कहा जाता है कि इस दिन शिव पार्वती का विवाह हुआ था। महादेव मां पार्वती को ब्याहने देव, दानव, किन्नरों की बारात लेकर गए थे। विद्वानों के अनुसार इससे पहले इतनी बड़ी बारात कभी नहीं देखी गई थी, जिसमें देवताओं के साथ ही भूत एवं पिशाच भी नाचते गाते हुए शामिल हुए हों। इसी वजह से इस दिन शिव-पार्वती के विवाह का भी आयोजन किया जाता है।

मंदिरों में भी विशेष पूजा

प्रत्येक शिव मंदिर में शिवरात्रि की भव्यता देखने मिलती है, लेकिन ज्योर्तिंलिंगों में इस दिन का अलग ही उल्लास होता है। महाकाल मंदिर उज्जैन सहित, बनारस, नासिक, त्रयंबकेश्वर, गुजरात आदि में भी बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। हर स्थान पर पूजा का अपना महत्व एवं मान्यता है।

इस वर्ष विशेष संयोग

कहा जा रहा है कि इस वर्ष महाशिवरात्रि विशेष संयोग में पड़ रही है। ऐसा संयोग 3 साल बाद आया है जब यह सोमवार के खास संयोग के साथ आयी है। महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनायी जाती है।

-कमल सिंघी

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