गुरुदत्त ने अपनी जिंदगी में नाम, कामयाबी को न चुनकर शराब, त्रासदी और मौत को चुना!

guru-dutt-death-anniversary
रेनू तिवारी । Oct 10 2019 1:17PM

शानदार कलाकार और महान निर्देशक गुरुदत्त 10 अक्टूबर 1964 को इस दुनिया को छोड़ कर किसी और दुनिया में चले गये। लंबे समय से नशे और शराब की लत ने गुरुदत्त को गुमनामी की दुनिया में डूबो दिया था... गुरु ने अपनी जिंदगी में नाम, कामयाबी को न चुनकर शराब, त्रासदी और मौत को चुना।

जीनियस फिल्मेमकर...

महान आर्टिस्ट्स...

बहुमुखी प्रतिभा के धनी...

अभिनय और निर्देशन के ‘गुरू’ दत्त आखिर क्यों यूं अचानक दुनिया छोड़ कर चले गये...

शानदार कलाकार और महान निर्देशक गुरुदत्त 10 अक्टूबर 1964 को इस दुनिया को छोड़ कर किसी और दुनिया में चले गये। लंबे समय से नशे और शराब की लत ने गुरुदत्त को गुमनामी की दुनिया में डूबो दिया था... गुरु ने अपनी जिंदगी में नाम, कामयाबी को न चुनकर शराब, त्रासदी और मौत को चुना। 10 अक्टूबर 1964 की सुबह बेहद ही डरावरी थी क्योंकि इस दिन गुरू दत्त ने फिल्मी दुनिया सहित पूरी दुनिया को अलविदा कह दिया था। गुरूदत्त पेढर रोड बॉम्बे में अपने बेड रूम में मृत पाये गये। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने पहले खूब शराब पी उसके बाद ढेर सारी नींद की गोलियाँ खा लीं। यही दुर्घटना उनकी मौत का कारण बनी। इससे पूर्व भी उन्होंने दो बार आत्महत्या का प्रयास किया था। आखिरकार तीसरे प्रयास ने उनकी जान ले ली।

जानें क्यों गुरु दत्त अपनी जिंदगी को खत्म करना चाहते थे

गुरु दत्त की जिंदगी की बात की जाए तो उनकी निजी जिंदगी में बने लव ट्रायंगल का ज्रिक जरूर होता है। इस ट्रायंगल में गुरु दत्त, गीता दत्त और वहीदा रहमान। कहते हैं उनके आत्महत्या करने की एक वजह यह भी थी। गुरु दत्त और वहीदा रहमान एक ही खेमे में थे। गुरु दत्त की जिंदगी में वहीदा रहमान अहम कड़ी थी। गुरु दत्त वहीदा रहमान को अपना प्रेरणा और जीवन-स्त्रोत भी मानते थे। 

वहीदा रहमान ने एक इंटरव्यू में इस बात से साफ़ इंकार किया था कि गुरु दत्त की मौत का कारण उनकी फिल्म कागज के फूल का फ्लॉप होना था बल्कि उन्होंने इसका दोष उनकी अपने आप को सजा देने की प्रवृत्ति को दिया था। वहीदा रहमान ने गुरु दत्त की मौत पर खुल कर बात करते हुए कहा था कि ‘गुरु दत्त को कोई नहीं बचा सकता था, ऊपरवाले ने उन्हें सबकुछ दिया था पर संतुष्टि नहीं दी थी। कुछ लोग कभी भी संतुष्ट नहीं रह सकते, जो चीज उन्हें जिंदगी नहीं दे पाती उसकी तलाश उन्हें मौत से होती है। उनमें बचने की चाह नहीं थी। मैंने कई बार उन्हें समझाने की कोशिश की कि एक जिन्दगी में सबकुछ नहीं मिल सकता और मौत हर सवाल का जवाब नहीं है।

कुछ लोगों का ये भी मानना है कि गुरु दत्त की जिंदगी से में गीता दत्त नहीं लौटीं जिससा मलाल उनको मनो-मन खाए जा रहा था। इस वजह से उन्होंने राल में नशे का ओवरडोज कर लिया। पर्सनल लाइफ की बात करें तो गुरुदत्त के पिता का नाम शिवशंकर राव पादुकोण था। मां वसंती पादुकोण की नजर में गुरुदत्त बचपन से ही बहुत नटखट और जिद्दी थे। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़