कभी वीडियोकॉन ब्रांड को घर-घर पहुंचाने वाले धूत अब ऋण धोखाधड़ी मामले में सीबीआई हिरासत में

Dhoot
प्रतिरूप फोटो
Google Creative Commons

बजाज स्कूटर की डीलरशिप रखने वाले परिवार से ताल्लुक रखने वाले वेणुगोपाल धूत ने कुछ दशकों में ही इलेक्ट्रॉनिक्स उपभोक्ता उत्पादों की श्रेणी में अपनी कंपनी वीडियोकॉन को घर-घर तक पहुंचा दिया था। लेकिन पिछले कुछ साल उनके लिए अच्छे नहीं रहे और वह लगातार आर्थिक मुश्किलों में घिरते चले गए।

बजाज स्कूटर की डीलरशिप रखने वाले परिवार से ताल्लुक रखने वाले वेणुगोपाल धूत ने कुछ दशकों में ही इलेक्ट्रॉनिक्स उपभोक्ता उत्पादों की श्रेणी में अपनी कंपनी वीडियोकॉन को घर-घर तक पहुंचा दिया था। लेकिन पिछले कुछ साल उनके लिए अच्छे नहीं रहे और वह लगातार आर्थिक मुश्किलों में घिरते चले गए। इस बीच आईसीआईसीआई बैंक से लिए गए कर्ज में शीर्ष स्तर पर हुई गड़बड़ियों के उजागर होने से उनकी स्थिति और बिगड़ी। इसी मामले में अब उन्हें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार कर लिया है।

सीबीआई अदालत ने कर्ज धोखाधड़ी मामले में उन्हें 28 दिसंबर तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया है। वेणुगोपाल धूत ने अपना सफर छोटे कस्बे के एक कारोबारी के रूप में शुरू किया था। नंदलाल माधवलाल धूत के बड़े बेटे वेणुगोपाल ने अपनी कोशिशों से वीडियोकॉन ग्रुप का विस्तार घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के अलावा तेल एवं गैस, रियल एस्टेट और खुदरा कारोबार में भी किया। उनका जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर में एक कृषक परिवार में हुआ था। उनके पिता के पास रुई ओटने वाली एक मिल थी और वह अनाज का थोक कारोबार भी करते थे।

लेकिन 1982 में देश में रंगीन टेलीविजन प्रसारण शुरू होने के साथ परिवार को एक नया कारोबारी अवसर नजर आया और उसने रंगीन टीवी सेट बनाने की सोची। पुणे विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले वेणुगोपाल ने टेलीविजन निर्माण की बारीकियां सीखने के लिए जापान का रुख किया और एक साल तक वहां पर इसका प्रशिक्षण लिया। वहां से लौटने के बाद 1986 में वेणुगोपाल ने वीडियोकॉन इंटरनेशल की नींव रखी जिसका इरादा हर साल एक लाख टीवी सेट बनाने का था। इसके लिए कंपनी ने जापानी कंपनी तोशिबा के साथ तकनीकी सहयोग करार भी किया था। वहां से शुरू हुआ सिलसिला लंबे समय तक जारी रहा।

रंगीन टीवी सेट के मामले में अपनी पकड़ बनाने के बाद वीडियोकॉन ने फ्रिज, वॉशिंग मशीन, एयर कंडीशनर और अन्य छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के क्षेत्र में भी कदम रखा। इस दौरान उसने ओनिडा, सलोरा और वेस्टन जैसी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया। समस्या उस समय शुरू हुई जब धूत ने वीडियोकॉन का विस्तार अन्य कारोबार क्षेत्रों में भी किया। खासकर वीडियोकॉन टेलीकम्युनिकेशंस के जरिये सेल्युलर सेवा में उतरना नुकसानदेह साबित हुआ। इसे 18 सर्किल के लाइसेंस मिले थे लेकिन कंपनी सिर्फ 11 सर्किल में ही वाणिज्यिक संचार सेवाएं शुरू कर पाई।

वर्ष 2012 में 122 दूरसंचार लाइसेंस निरस्त करने का उच्चतम न्यायालय का फैसला वीडियोकॉन समूह पर बहुत भारी पड़ा। रद्द किए गए लाइसेंस में से 21 सिर्फ वीडियोकॉन के थे। हालांकि, बाद में हुई स्पेक्ट्रम नीलामी में समूह को छह सर्किल के लाइसेंस मिल गए थे लेकिन उसने उसे भारती एयरटेल को बेचकर अपना दूरसंचार कारोबार समेट लिया। इसके अलावा नब्बे के दशक के अंत में एलजी और सैमसंग के अलावा सोनी जैसी दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के भारत आने से उसकी बाजार हिस्सेदारी कम होने लगी। बदले हुए हालात में कंपनी का राजस्व लगातार घटता गया और धीरे-धीरे उसपर कर्ज का बोझ बढ़ता गया।

अपने बकाया कर्ज की वसूली न हो पाने से परेशान बैंकों ने वर्ष 2018 में वीडियोकॉन के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की अपील राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में की। उनके अनुरोध पर कंपनी दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू की गई और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज में समूह की 12 अन्य कंपनियों को मिला दिया गया। हालांकि, अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली ट्विन स्टार टेक्नोलॉजीज की तरफ से लगाई गई सिर्फ 2,692 करोड़ रुपये की बोली को जून, 2021 में एनसीएलटी ने मंजूरी दे दी थी। लेकिन बाद में वह पेशकश भी विवादों में घिर गई। हालत यह है कि वीडियोकॉन के कर्जदाताओं को अब भी अपने पैसे वापस मिलने का इंतजार है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़