कश्मीर घाटी में, दुनिया की सबसे ऊंची रेल पुल परियोजना ढाई वर्ष में पूरी होने की उम्मीद

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चिनाब नदी पर बन रहा रेल पुल विश्व का सबसे ऊंचा रेल पुल है। इसे भारतीय इंजीनियर और भारतीय कंपनी बना रही है।’’ उन्होंने बताया, ‘‘हमें पूरा विश्वास है कि अगले दो से ढाई वर्ष में यह पूरी लाइन जुड़ जायेगी।

नयी दिल्ली। कश्मीर घाटी को भारतीय रेल नेटवर्क के साथ जोड़ने वाली चिनाब पुल रेल लिंक परियोजना अगले ढाई वर्ष में पूरी होने की उम्मीद है और रेल मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक़, इससे ‘एक टिकट, एक देश’ का लक्ष्य पूरा होगा। लोकसभा में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को बताया, ‘‘चिनाब पुल रेल परियोजना कश्मीर में बनिहाल से बारामूला को जोड़ने वाली 111 किलोमीटर की लिंक परियोजना है।

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चिनाब नदी पर बन रहा रेल पुल विश्व का सबसे ऊंचा रेल पुल है। इसे भारतीय इंजीनियर और भारतीय कंपनी बना रही है।’’ उन्होंने बताया, ‘‘हमें पूरा विश्वास है कि अगले दो से ढाई वर्ष में यह पूरी लाइन जुड़ जायेगी। फिर वास्तव में कन्याकुमारी से लेकर बारामूला तक देश की रेलवे लाइन एक हो जायेगी और एक टिकट, एक देश का लक्ष्य साकार होगा।’’

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मंत्रालय के अनुसार, इस परियोजना के लिये पिछले वर्ष 2631 करोड़ रूपये लगाए गए और इस साल के बजट में इसके लिये 3800 करोड़ रूपये दिए गए हैं। गौरतलब है कि इस परियोजना में विश्व के सबसे ऊंचे पुल (359 मीटर) का निर्माण सलाल हाईड्रो पावर डैम के पास चिनाब नदी पर हो रहा है। यह पुल पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है। एफिल टावर 324 मीटर ऊंचा है। इस रेल लिंक में कई सुरंगें और पुल हैं। निर्माण पूरा होने के बाद यह पुल वर्तमान में सबसे ऊंचे, बेईपैन नदी पर बने चीन के शुईबाई रेलवे पुल (275 मीटर) को पार कर जायेगा। रेल मंत्रालय के अनुसार, कश्मीर में तनाव की स्थिति के कारण कई वर्ष तक चिनाब पुल परियोजना का काम धीमी गति से चला। उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका के कारण भी लंबे समय तक इस पर काम आगे नहीं बढ़ पाया। जून 2018 के बाद से इस परियोजना पर काम तेजी से आगे बढ़ा। राष्ट्रीय परियोजना के रूप में इसे 2002 में मंजूरी दी गई और चिनाब पुल के लिए ठेका अगस्त, 2004 में दिया गया था। प्रारंभिक योजना के तहत इसे 2009 में पूरा किया जाना था लेकिन 2008 में दो वर्षो से अधिक समय तक सुरक्षा एवं अन्य कारणों से काम रुक गया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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