सरकारी बैंकों का हुआ कायाकल्प, अब एक लाख करोड़ रुपये का मुनाफा कमाने की राह पर

Rejuvenation of public sector banks
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अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक पीएसबी का मुनाफा बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। एक समय था जब 21 में 11 पीएसबी को खराब कर्ज के खतरनाक स्तर तक बढ़ जाने के कारण रिजर्व बैंक के त्वरित सुधारात्मक ढांचे के तहत रखा गया था।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने 2017 से अबतक लंबी दूरी तय की है। उन्होंने 2017 में 85,390 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया था, जबकि 2021-22 में यह 66,539 करोड़ रुपये के मुनाफे में बदल गया। अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक पीएसबी का मुनाफा बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। एक समय था जब 21 में 11 पीएसबी को खराब कर्ज के खतरनाक स्तर तक बढ़ जाने के कारण रिजर्व बैंक के त्वरित सुधारात्मक ढांचे के तहत रखा गया था। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कम पूंजी आधार, गैर-पेशेवर प्रबंधन, हताश कर्मचारियों और भारी अक्षमताओं सहित कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।

इनमें से कई वित्तीय चूक के कगार पर थे, जिससे देश की वित्तीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता था। इनके शेयर की कीमतें नीचे गिर रही थीं। इन हालात में पीएसबी के कायाकल्प की पहल तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली और वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की पहल और सुधारों से एक नई राह तैयार हुई। सरकार ने पिछले पांच वित्त वर्षों, 2016-17 से 2020-21 के दौरान पीएसबी के पुनर्पूंजीकरण के लिए 3,10,997 करोड़ रुपये का अभूतपूर्व निवेश किया। इससे पीएसबी को बेहद जरूरी मदद मिली और उनकी ओर से किसी भी चूक की आशंका खत्म हो गई।

इसके अलावा पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड जारी करने से राजकोषीय घाटा भी प्रभावित नहीं हुआ। कुमार ने अक्टूबर, 2017 में पुनर्पूंजीकरण कार्यक्रम की घोषणा करते हुए पीएसबी को भरोसे का प्रतीक बताया था और इस भरोसे को आज वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञ भी मान रहे हैं। इसके साथ ही काले धन पर अंकुश लगाने के प्रयास किए गए। वित्तीय सेवा विभाग में शामिल होने के कुछ दिनों बाद कुमार ने लगभग 3.38 लाख मुखौटा कंपनियों के बैंक खातों पर रोक लगा दी। इनका उपयोग फर्जी इक्विटी बनाने के लिए किया जा रहा था।

पीएसबी ने वित्त वर्ष 2018-19 में रिकॉर्ड वसूली की और कुल अग्रिम के मुकाबले उनकी जोखिम भारित आस्तियां (आरडब्ल्यूए) 80.3 प्रतिशत से घटकर दिसंबर 2019 में 63.9 प्रतिशत रह गईं। इसके बाद पीएसबी के निजीकरण का राजनीतिक रूप से संवेदनशील फैसला किया गया और सरकार ने यह संकेत दिया कि वह वास्तव में सुधारों के लिए प्रतिबद्ध है। जनवरी, 2019 में आईडीबीआई बैंक की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी एलआईसी को बेच दी गई, जिससे यह एक निजी क्षेत्र का बैंक बन गया। पीएसबी ने धोखाधड़ी करने वाले चूककर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की।

भूषण स्टील, जेट एयरवेज, एस्सार स्टील, नीरव मोदी और रोटोमैक जैसे बड़े चूककर्ताओं के साथ ही यस बैंक, डीएचएफएल, आईएलएंडएफएस जैसे बैंकरों के खिलाफ कार्रवाई ने कर्ज लेने और देने वालों के संबंधों में असंतुलन को ठीक किया। बैंक ऑफ महाराष्ट्र के प्रबंध निदेशक ए एस राजीव के अनुसार पीएसबी ठोस स्थिति में हैं और इस साल भी उनके मुनाफे में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इसी तरह की राय रखते हुए पंजाब एंड सिंध बैंक के प्रबंध निदेशक स्वरूप कुमार साहा ने कहा कि संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार के साथ ब्याज दर में बढ़ोतरी से मुनाफा बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि पीएसबी अब एक सुनहरे दौर में हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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