रिलायंस इंफ्राटेल, एचएसबीसी डेजी के विवाद का NCLAT में निपटारा
रिलायंस इंफ्राटेल और उसकी अल्पांश हिस्सेदार एचएसबीसी डेजी इंवेस्टमेंट्स (मॉरीशस) ने अपने बीच अंतिम समझौते के दस्तावेज राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में दाखिल किए।
नयी दिल्ली। रिलायंस इंफ्राटेल और उसकी अल्पांश हिस्सेदार एचएसबीसी डेजी इंवेस्टमेंट्स (मॉरीशस) ने अपने बीच अंतिम समझौते के दस्तावेज राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में दाखिल किए। न्यायाधिकरण ने इसके साथ ही इस मामले का निपटारा भी कर दिया। यह समझौता टावर और फाइबर लाइनों की बिक्री से जुड़ा था। इसके बाद एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय ने इस मामले रिलायंस द्वारा दाखिल की गई अपील का निपटारा कर दिया। रिलायंस की ओर से पेश हुए वकील सलमान खुर्शीद ने जानकारी दी कि दोनों पक्षों के बीच सहमति की शर्तों पर 15 जून 2018 पर हस्ताक्षर हुए।
इस मामले में एनसीएलएटी में भारतीय स्टेट बैंक ने भी रिलायंस इंफ्राटेल का पक्ष लिया। इससे पहले 29 मई को रिलायंस ने एनसीएलएटी से अपनी याचिका वापस ले ली थी जिसमें उसने अपने टावर और फाइबर परिसंपत्तियों को बेचने की अनुमति मांगी थी। रिलायंस इन्फ्राटेल ने एनसीएलएटी को सूचित किया कि उसका एचएसबीसी डेजी इन्वेस्टमेंट से समझौता हो गया है। ऋण के बोझ तले दबी अनिल अंबानी समूह की इस कंपनी की कुल 25,000 करोड़ की सम्पत्ति को बाजार में भुनाने की योजना में इन सम्पत्तियों की बिक्री एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली दूरसंचार कंपनी रिलायं जियो ने गत दिसंबर में अंबानी के छोटे भाई अनिल के नेतृत्ववाली कंपनी से उसकी मोबाइल दूरसंचार सेवा कारोबार की पारिसम्पत्तियों को खरीदने का एक बड़ा करार किया था। इसमें स्पेक्ट्रम, टावर, फाइबर आप्टिक लाइनों का समझौता शामिल है।
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