उच्चतम न्यायालय ने भूषण पावर एंड स्टील मामले में नए सिरे से सुनवाई शुरू की

Supreme Court
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बीपीएसएल के पूर्व प्रवर्तकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ध्रुव मेहता ने दलील दी कि समाधान प्रक्रिया के दौरान कंपनी ने हजारों करोड़ रुपये का परिचालन लाभ कमाया, जो कर्जदाताओं को मिलना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) की कर्ज समाधान योजना से जुड़ी याचिकाओं पर नई सिरे से सुनवाई शुरू की। इससे पहले दो मई के अपने फैसले को शीर्ष अदालत ने 31 जुलाई को वापस ले लिया था। उस फैसले में बीपीएसएल के कर्ज समाधान के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील की तरफ से पेश समाधान योजना को रद्द कर परिसमापन का आदेश दिया गया था।

मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि दो मई को सुनाया गया फैसला कानूनी नजरिये से सही नहीं था। ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पूर्व प्रवर्तकों को इसमें कानूनी पक्षकार बनने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वही लोग कंपनी को दिवालिया स्थिति में लेकर आए हैं।

उन्होंने कहा कि जेएसडब्ल्यू स्टील की 19,000 करोड़ रुपये की योजना को सीओसी और राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) पहले ही मंजूर कर चुके हैं। मेहता ने कहा कि इस समाधान योजना के क्रियान्वयन में देरी से 2,500 करोड़ रुपये का नुकसान पहले ही हो चुका है।

वहीं बीपीएसएल के पूर्व प्रवर्तकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ध्रुव मेहता ने दलील दी कि समाधान प्रक्रिया के दौरान कंपनी ने हजारों करोड़ रुपये का परिचालन लाभ कमाया, जो कर्जदाताओं को मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अगर समाधान योजना दोषपूर्ण थी तो कंपनी के परिसमापन के बजाय नई समाधान प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए। हालांकि, सीओसी के वकील ने इसका विरोध किया। इस मामले की सुनवाई आठ अगस्त को जारी रहेगी।

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