कपास के बीज के दामों का नियमन जारी रखेंगे: कृषि मंत्री

[email protected] । Apr 11 2016 4:56PM

सरकार कपास के बीजों के दाम का नियमन जारी रखेगी और वह अमेरिका की प्रमुख जैव-प्रौद्योगिकी कंपनी मोनसैंटो जैसी कंपनियों को किसानों का शोषण करने का मौका नहीं देगी।

सरकार कपास के बीजों के दाम का नियमन जारी रखेगी और वह अमेरिका की प्रमुख जैव-प्रौद्योगिकी कंपनी मोनसैंटो जैसी कंपनियों को किसानों का शोषण करने का मौका नहीं देगी। यह बात कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज कही। दिसंबर में केंद्र सरकार ने 2016-17 (जुलाई-जून) फसल वर्ष के लिए कपास के बीजों के संबंध में मूल्य-नियंत्रण आदेश जारी किया था। इसमें बीज कंपनियों की रायल्टी भी शामिल की गयी है। पिछले महीने सरकार ने पहली बार बीटी कॉटन के लिए 800 रुपए प्रति पैकेट की एक समान दर तय की जिसमें 49 रुपए की मामूली रायल्टी शामिल है। इससे किसानों को फायदा होगा पर मोनसैंटो के भारतीय कारोबार पर असर होगा।

सिंह ने यहां दो-दिवसीय खरीफ सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मोनसैंटो अच्छी कंपनी है। हम उसका सम्मान करते हैं लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि आप किसानों को लूटें और अपने ज्ञान के लिए मुहमांगी कीमत वसूलें। चाहे बीज हो या दवा, जब भी जरूरत होगी, हम कीमत का नियमन जारी रखेंगे।’’ मोनसैंटो के देश छोड़ने की धमकी के बावजूद अगले महीने से शुरू हो रहे फसल वर्ष 2016-17 के लिए कपास के बीच पर रायल्टी 70 प्रतिशत घटा दिया गया है। कंपनी ने पिछले महीने चेतावनी दी थी कि यदि सरकार बीटी कॉटन के बीजों के लाइसेंस या रायल्टी शुल्क मनमाने और हानिकारक तरीके का हस्तक्षेप कर के कोई बड़ी कटौती करती है तो वह भारत में अपनी मौजूदगा की समीक्षा करेगी और नयी प्रौद्योगिकी नहीं लाएगी।

मोनसैटों की संयुक्त उद्यम कंपनी मेहको मोनेसैंटो बायोटेक लिमिटेड (एमएमबीएल) ने दिसंबर में दिल्ली उच्च न्यायालय में सरकार के बीज नियंत्रण आदेश को चुनौती दी थी। देश भर के किसानों ने 2015-16 के सत्र में बीटी कॉटन का बीच 830-1,000 रुपए प्रति 450 ग्राम पैकेट की दर से खरीदे थे। इसी बीच भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने एमएमबीएल के लिखाफ बाजार में वर्चस्व की स्थिति का नाजायज फायदा उठाने के आरोप में जांच शुरू की है।

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