परेशान क्यों है कांग्रेस? उसने जो बोया वही तो पाया है
लोकतंत्र हमारे देश में आंकड़ों का खेल बन गया है..फर्क सिर्फ इतना है कि कल जमाना कांग्रेस का था आज बीजेपी का है। गोवा और मणिपुर में जो हुआ वह पहले कांग्रेस भी विभिन्न राज्यों में कर चुकी है।
कांग्रेस को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में करारी हार मिली...लेकिन उसे अफसोस इस बात का है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी वो गोवा और मणिपुर में सरकार नहीं बना सकी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी तो यहां तक बोल गए कि बीजेपी ने गोवा और मणिपुर में चोरी से सरकार बनाई है।
कांग्रेस अपनी बौखलाहट लेकर सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गई लेकिन वहां भी उसे फटकार मिली। ये बात सौ फीसदी सच है कि 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में किसी दल को बहुमत नहीं मिला...कांग्रेस 17 सीटों के साथ नंबर 1 पर और बीजेपी 13 सीटों के साथ नंबर दो पर रही। कांग्रेस का कहना है कि बड़े दल होने के नाते सरकार बनाने का अवसर पहले उसे मिलना चाहिए था...लेकिन एक सवाल जो सुप्रीम कोर्ट ने पूछा और देश की जनता जानना चाहती है वो ये कि कांग्रेस ने राज्यपाल से मिलकर दावा पेश क्यों नहीं किया? ऐसा नहीं है कि उसने 5 विधायकों को साथ करने के लिए अपनी ओर से कोशिश नहीं की होगी...लेकिन खेल तब बिगड़ा जब विधायकों ने बिना देर लगाए पर्रिकर के नाम पर बीजेपी से हाथ मिलाने का एलान कर दिया।
मनोहर पर्रिकर ने बिना वक्त गंवाए राज्यपाल से मिलकर उन्हें 21 विधायकों का समर्थन पत्र भी सौंप दिया। जब राज्यपाल के पास कोई दल मैजिक नंबर लेकर पहुंच जाए तो फिर सरकार बनाने का न्योता तो उसी को मिलेगा।
मणिपुर में भी कुछ ऐसा ही हुआ...60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 28 और बीजेपी को 21 सीटें मिलीं...लेकिन यहां भी कोई कांग्रेस के साथ नहीं आया..उल्टे कांग्रेस के कई विधायकों ने बागी तेवर अपना लिए। अब इसे मंत्री बनने की चाहत कहें या फिर कुछ और...दोनों राज्यों में गैर-कांग्रेसी विधायकों का दिल बीजेपी से जुड़ा था।
गोवा-मणिपुर में सरकार नहीं बना पाने की कसक कांग्रेस को अभी कई दिनों तक खलती रहेगी...लेकिन उसे ये भी बताना होगा कि उसने 2005 में झारखंड में क्या किया था? 2005 में 81 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में एनडीए के पास 36 और यूपीए के पास 27 विधायकों का समर्थन था...एनडीए की सरकार ना बने इसके लिए कांग्रेस विधायकों को चार्टर्ड प्लेन से गुप्त ठिकाने पर ले गई...लेकिन आज वही पार्टी नैतिकता की दुहाई दे रही है। 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का क्या रोल रहा सभी जानते हैं। 1999 में वाजपेयी सरकार महज एक वोट से गिर गई थी...लोकतंत्र हमारे देश में आंकड़ों का खेल बन गया है..फर्क सिर्फ इतना है कि कल जमाना कांग्रेस का था आज बीजेपी का है।
मनोज झा
(लेखक टीवी चैनल में वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
अन्य न्यूज़