Yes Bank कहीं No Bank ना बन जाये इसलिए RBI ने दिया दखल, समझिये पूरा मामला

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा है कि येस बैंक के मुद्दे को रिजर्व बैंक और सरकार विस्तृत तौर पर देख रहे हैं। उनका कहना है कि रिजर्व बैंक ने भरोसा दिलाया है कि येस बैंक के किसी भी ग्राहक को कोई नुकसान नहीं होगा और बैंक में रखी सबकी पूंजी सुरक्षित है।

येस बैंक कहीं नो बैंक ना बन जाये इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने दखल दिया है और निजी क्षेत्र के इस डूब रहे बैंक को बचाने की कोशिश की है। येस बैंक की यह हालत देखकर लोग हैरान हैं क्योंकि यह बैंक एक समय सबका चहेता था क्योंकि यह औसत से ज्यादा ब्याज देने के लिए जाना जाता था। पिछले कुछ माह से येस बैंक की खराब हालत को देखते हुए इसे बचाने के प्रयास किये जा रहे थे लेकिन जब वह रंग नहीं लाये तो आरबीआई ने नकेल कसते हुए येस बैंक के निदेशक मंडल को भंग कर दिया और एसबीआई के पूर्व CFO प्रशांत कुमार को येस बैंक का नया प्रशासक नियुक्त कर दिया जिन्होंने शुक्रवार सुबह अपना कार्यभार संभाल लिया। येस बैंक संबंधी निर्णय का बचाव करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि बैंक से जुड़े मुद्दों का समाधान ‘बहुत जल्दी’ कर लिया जाएगा। शक्तिकांत दास ने कहा है कि मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि हमारा बैंकिंग क्षेत्र पूरी तरह से सुचारू और सुरक्षित बना रहेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा है कि येस बैंक के मुद्दे को रिजर्व बैंक और सरकार विस्तृत तौर पर देख रहे हैं। उनका कहना है कि हमने वह रास्ता अपनाया है जो सबके हित में होगा। उन्होंने मीडिया को बताया कि रिजर्व बैंक ने मुझे भरोसा दिलाया है कि येस बैंक के किसी भी ग्राहक को कोई नुकसान नहीं होगा और बैंक में रखी सबकी पूंजी सुरक्षित है। वित्त मंत्री ने कहा है कि येस बैंक के ग्राहकों के लिए 50,000 रुपये की सीमा में पैसा निकालना सुनिश्चित करना सबसे पहली प्राथमिकता है।

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आइये जानते हैं कि अगर आपका येस बैंक में खाता है तो आपको अब क्या करना होगा-

-येस बैंक के ग्राहकों के हितों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने तय किया है कि हर ग्राहक अपने बैंक अकाउंट से मात्र 50 हजार रुपए तक ही निकाल पायेगा। ये प्रतिबंध 30 दिनों के लिए यानि 5 मार्च से 3 अप्रैल तक के लिए लगाया गया है। 30 दिन की जो सीमा तय की गई है वह अधिकतम सीमा है। एक चीज और स्पष्ट कर दी गयी है कि अगर आपके येस बैंक में दो या तीन खाते हैं तो भी आप कुल मिलाकर 50 हजार रुपये ही निकाल सकते हैं।

-अब 50 हजार रुपए की निकासी सीमा लगने से उन लोगों के लिए दिक्कत हो गयी है जिनको बड़ी राशि जरूरी काम के लिए चाहिए। याद कीजिये अभी दीपावली के समय महाराष्ट्र के पीएमसी बैंक की हालत खराब हुई थी और वहां भी निकासी सीमा तय कर दी गयी थी जिससे लोगों को बड़ी परेशानी उठानी पड़ी थी। अब आपको 50 हजार से ज्यादा चाहिए तो परेशान मत होइये, अगर आपको कोई मेडिकल इमरजेंसी है या एजुकेशन फीस देनी है या घर में शादी है या कोई अन्य जायज कारण है तो आप पाँच लाख रुपए तक निकाल सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें आपको किस कारण से 50 हजार रुपये से ज्यादा की जरूरत है इसके सुबूत बैंक को दिखाने होंगे।

-कुछ लोग इस बात से परेशान हैं कि 50 हजार रुपए की राशि से ज्यादा के ड्राफ्ट और पे ऑर्डर जो येस बैंक ने जारी किये हैं उनका क्या होगा। तो आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक का येस बैंक के मामले में आदेश आने से पहले तक जो ड्राफ्ट या पे ऑर्डर जारी हुए उनकी पूरी राशि का भुगतान किया जायेगा।

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-वित्तीय संकट से जूझ रहे येस बैंक को डूबने से बचाने के लिए भारतीय स्टेट बैंक ने आगे बढ़कर कुछ अहम कदम उठाए हैं, जिनमें ये भी शामिल है कि एसबीआई और एलआईसी यस बैंक में 49 फीसदी की हिस्सेदारी लेंगे। खबर है कि दोनों 24.5 फीसदी की हिस्सेदारी लेंगे। कोशिश है कि कैसे भी कर के येस बैंक को बचाया जा सके, ताकि ग्राहकों के हितों की रक्षा हो सके।

-येस बैंक में आपने किसी तरह के लोन के लिए आवेदन किया हुआ है तो अब वह नहीं मिल पायेगा क्योंकि आरबीआई की ओर से लगाई गई पाबंदियों के चलते येस बैंक किसी भी तरह का नया ऋण वितरण या निवेश भी नहीं कर सकेगा।

-आरबीआई की अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि यदि किसी खाताधारक ने येस बैंक से कर्ज ले रखा है या उस पर बैंक की कोई देनदारी है तो उस राशि को घटाने के बाद ही उसे पैसे दिए जाएंगे। अब आपने यदि बैंक से 50 हजार रुपये निकालने हैं और बैंक पर आपकी देनदारी 16 हजार रुपए की है तो आपको 34 हजार रुपये ही मिल पाएंगे।

-येस बैंक की ऑनलाइन सेवाएं पूर्व की भाँति चलती रहेंगी लेकिन 50 हजार रुपए की सीमा यहाँ भी लागू है।

अब कांग्रेस के नेता आज येस बैंक की इस हालत पर सरकार पर सवाल तो उठा रहे हैं लेकिन वह शायद यह भूल गये कि जिस तरह से यूपीए के कार्यकाल में बिना किसी गारंटी के अंधाधुंध लोन बांटे गये उससे एनपीए बढ़ते चले गये, स्थिति यहां तक आई कि जब कर्ज बढ़े और मोदी सरकार ने पूछताछ और कर्ज की वसूली शुरू की तो कुछ लोग देश छोड़ कर विदेश भाग गये। सहकारी बैंक हों या निजी या फिर सरकारी बैंक, मोदी सरकार के कार्यकाल में अनेकों बैंक घोटालों का पता चला जिससे साफ हो जाता है कि पिछली सरकारें क्या कर रही थीं। बैंक डूबे तो खाताधारकों का पैसा नहीं डूबे और बैंकिंग व्यवस्था में आम लोगों का विश्वास बरकरार रहे इसके लिए सरकार ने इस बार के आम बजट में लोगों की मेहनत की कमाई के बड़े हिस्से को सुरक्षित करते हुए डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन 1961 के तहत बैंक जमा की बीमा गारंटी को पांच लाख रुपये कर दिया। यानी बैंक फेल होने पर बैंक ग्राहक के खाते में जमा राशि या पांच लाख रुपये, जो भी कम हो, अदा करने की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक के अधीन आने वाले डिपाजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन की होगी। यह बात हमने आपको इसलिए बताई कि येस बैंक को उबारने के प्रयास विफल भी होते हैं तो आपका पांच लाख रुपया तक पूरी तरह सुरक्षित है।

वैसे ग्राहकों के बीच आज जिस तरह का डर और अफरातफरी देखने को मिल रही है उस सब की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि अब जिम्मेदारी एसबीआई ने संभाल ली है और रिपोर्टों के मुताबिक देश के सबसे बड़ी सरकारी बैंक एसबीआई को येस बैंक के शेयरों के लिए ओपन ऑफर लाने की छूट उसी तरह मिलेगी जैसे 2019 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मामले में मिली थी। वैसे सरकार येस बैंक का राष्ट्रीयकरण शायद नहीं करे लेकिन यह तय है कि एसबीआई के नेतृत्व वाला कंसोर्शियम इसमें हिस्सेदारी लेगा।

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कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि अर्थव्यवस्था डूब रही है, बैंकिंग तंत्र विफल हो रहा है। राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर कहा है- यस बैंक नहीं नो बैंक। यहाँ कांग्रेस नेता यह भूल गये कि किसी पर निशाना साध देना बहुत आसान होता है लेकिन यह भी देख लेना चाहिए कि येस बैंक के हालात पर काफी समय से निगरानी रखी जा रही थी और उसे बार-बार चेतावनी भी दी गयी थी। येस बैंक को 2018 में आरबीआई ने बैलेंसशीट में गड़बड़ी और बढ़ते एनपीए पर चेताया था। खुद आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि 'येस बैंक के प्रबंधन को एक विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना तैयार करने के लिए पूरा अवसर दिया गया। बैंक ने प्रयास भी किए, लेकिन जब हमें लगा कि हम और इंतजार नहीं कर सकते तथा हमें और इंतजार नहीं करना चाहिए तो हमने हस्तक्षेप का निर्णय किया।’’ आरबीआई ने ही अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए येस बैंक के चेयरमैन राणा कपूर को उनके पद से हटा दिया था। इसके अलावा 2019 में रेटिंग एजेसी मूडीज ने येस बैंक की रेटिंग घटा कर जंक कर दी थी। इसलिए यह आरोप लगाना कि येस बैंक के हालात पर सरकार और आरबीआई की निगाह नहीं थी, सरासर गलत होगा।

बहरहाल, येस बैंक के खाताधारकों को इंतजार है अपनी पूरी राशि के सुरक्षित निकल आने का। मोदी सरकार के लिए भी यह इम्तिहान की घड़ी है क्योंकि उसे बैंकिंग तंत्र में लोगों का विश्वास कायम रखना है। क्योंकि बीते 53 वर्षों के इतिहास में अब तक 27 कमर्शियल और 351 सहकारी बैंक फेल हुए हैं।

-नीरज कुमार दुबे

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