ड्रैगन ने कोरोना वायरस के जरिये पूरी दुनिया को लॉकडाउन करा दिया है

lockdown

चीन से आयातित कोरोना वायरस वाकई कोई बीमारी है या जैविक हथियार यह सवाल अब दुनिया को मथने लगा है। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसके हर पहलू की गहन जांच कराने की बात कही है लेकिन चीन इससे इंकार कर रहा है।

देश लॉकडाउन के दूसरे दौर में पहुंच गया है। यह लॉकडाउन 3 मई तक चलेगा। देशवासियों का यह मानना गलत नहीं है कि लॉकडाउन के पहले ही दौर में ही देश कोरोना को शिकस्त दे चुका होता बशर्ते तबलीगी जमात ने मानवता विरोधी हरकतें न की होती। कोरोना कैरियर्स बनकर ये जमाती पूरे देश को ही संक्रमित करने की साजिश के तहत जगह जगह मस्जिदों में जाकर छिप गये और हजारों लोगों की जान संकट में डाल दी। खैर, धीरे-धीरे ही सही इनमें से अधिकांश पकड़े जा चुके हैं। हालांकि कुछ अभी भी पकड़ से बाहर हैं। इनकी तलाश में जुटे कोरोना योद्धा लहूलुहान होकर भी अपने कर्तव्य पथ पर डटे हुए हैं। बहरहाल, चीन के वुहान से निकलकर कोरोना ने पूरी दुनिया में कहर मचा रखा है। विश्व में अब तक करीब एक लाख 60 हजार लोग इस महामारी से मारे गए हैं। अमेरिका जैसा सुपर पॉवर भी निःसहाय भाव से हर दिन अपने हजारों नागरिकों को मृत्यु के आगोश में जाते देख रहा है। इटली, स्पेन, फ्रांस और अन्य विकसित देशों की भी यही नियती बन चुकी है।

इसे भी पढ़ें: आरोग्य सेतु ने दुनिया को दिखाई राह, कई नामी कंपनियां कांटैक्ट ट्रेसिंग एप बनाने में जुटीं

चीन से आयातित कोरोना वायरस वाकई कोई बीमारी है या जैविक हथियार यह सवाल अब दुनिया को मथने लगा है। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसके हर पहलू की गहन जांच कराने की बात कही है। विवादों में आए चीन ने अब कोरोना वायरस के ऑरिजिन से जुड़े अकैडमिक शोधों के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगा दिया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि चीन के इस कदम के पीछे बड़ी साजिश छिपी हुई है। दरअसल, बीजिंग का प्रयास है कि वह इस धारणा को नियंत्रित करे कि कोरोना वायरस का ऑरिजिन चीन है। यह वायरस चमगादड़ों से मनुष्यों में फैला है, वैज्ञानिक शोधों ने इस तथ्य को झुठला दिया है। खुद चीन के वुहान में वह एनिमल मार्केट फिर से खुल गया है जहां से इसके फैलने की थ्योरी गढ़ी गई थी। कोरोना को जैविक हथियार के तौर पर चीन द्वारा इस्तेमाल किये जाने की इससे भी पुष्टि होती है कि जहां पूरी दुनिया में लॉकडाउन की स्थिति है वहीं, चीन दुनिया के विभिन्न देशों को घटिया क्वालिटी का मास्क, पीपीई किट, हैंड सेनेटाइजर और वेंटीलेटर की धड़ाधड़ सप्लाई कर अनाप शनाप कमाई कर रहा है। पूरी दुनिया का उद्योग जगत आईसीयू में है लेकिन चीन के शेयर बाजार छलांगें मार रहे हैं। यानी विश्व अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच गयी है जबकि चीन के उद्योगों में बहार आ गयी है।

कोरोना वायरस चीन का जैविक हथियार है इस तथ्य को इससे बल मिलता है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में यह बात समय-समय पर सामने आती रही है कि चीन तरह-तरह के वायरसों का निर्माण कर रहा है। कोरोना वायरस के बारे में भी ऐसी ही खबर आई थी और जिस चीनी डॉक्टर ने इसका खुलासा किया था, उसे जनवरी में खुद ही इस वायरस से पीड़ित बताकर मृत बता दिया गया था। विश्व शक्ति बनने का सपना देखने वाला चीन चूंकि अमेरिका से सैन्य शक्ति के बल पर निपट नहीं सकता था इसलिए फरवरी 1999 में चीनी सेना के दो जनरलों क्यू लियांग और वांग शियांगसुई द्वारा लिखी गई पुस्तक अनरेस्ट्रिक्टेड वारफेयर को आधार बनाकर ड्रैगन ने अपनी सेना में सूचना प्रौद्योगिकी के साथ जैव प्रौद्योगिकी का भी समावेश किया। उसने पिछले कुछ वर्षों में अपने लोगों को पश्चिम में बड़ी संख्या में भेजा ताकि वह आधुनिक तकनीक से वाकिफ हो सकें वहीं दूसरी ओर चीन ने अपने देश में दुनिया की बड़ी आईटी कंपनियों को घुसने ही नहीं दिया।

कोरोना वायरस की प्रकृति से पूरी तरह वाकिफ चीन ने वो सभी एहतियाती उपाय अपनाये जिससे कि यह वायरस उसके दूसरे शहरों में नहीं फैल पाया। यही नहीं चीन ने दुनिया को इस वायरस के बारे में जानकारी भी बहुत देर से दी ताकि दुनिया की अर्थव्यवस्था तबाह हो जाये। चीन अपनी साजिश में पूरी तरह सफल होता दिख भी रहा है। भारत से लेकर जर्मनी, स्पेन, इंग्लैंड, इटली और फ्रांस तक तथा उसके सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी अमेरिका की अर्थव्यवस्था भी चरमरा चुकी है।

इसे भी पढ़ें: भारतीय कंपनियों पर चीन की कुटिल नजर के कारण मोदी सरकार ने बदली FDI नीति

चीन की इस चाल को समझते हुए अमेरिका ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो की यह तल्ख टिप्पणी इसी को रेखांकित कर रही है कि अगर चीन में लोकतांत्रिक सरकार होती तो ऐसे जानकारी नहीं छुपाई जाती। शी चिनपिंग को इसकी जानकारी थी। यह खतरनाक है। कम्युनिस्ट सरकार द्वारा दुनिया को बताने से पहले कई केस, कई गतिविधियां, पूरी दुनिया में कई सारी यात्राएं हुईं। एक लोकतांत्रिक सरकार ऐसा नहीं करती। विशेषज्ञों ने भी कोविड19 के फैलने को लेकर सच छुपाने और दबाने के आरोप शी चिनफिंग पर लगाए हैं। खैर, देर सबेर दुनिया कोरोना से तो निबट ही लेगी लेकिन इसमें दो राय नहीं कि इसके बाद चीन की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।

-बद्रीनाथ वर्मा

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़