यदि कोई चिकित्सक या अस्पताल किसी मरीज के साथ चिकित्सकीय लापरवाही करें तो ऐसे कीजिए अपनी शिकायत

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कमलेश पांडे । Jul 7 2025 5:42PM

आपको पता होना चाहिए कि इन्हीं सब बातों/आशंकाओं के दृष्टिगत कुछ एहतियाती कानून भी बनाए गए हैं जिनका उपयोग मरीज व उनके परिजन कर सकते हैं। यदि किसी डॉक्टर या अस्पताल द्वारा इलाज में लापरवाही होती है, तो मरीज को स्पष्ट कानूनी अधिकार प्राप्त हैं।

देश में जारी नई आर्थिक नीतियों के फलस्वरूप जहां योग्य चिकित्सकों के रहते हुए भी आधुनिक उपकरणों व उनके रखरखाव के अभाव में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है, वहीं कुकुरमुत्ते की तरह पनप रहे निजी अस्पतालों में महंगे स्वास्थ्य खर्चों के बावजूद योग्य चिकित्सकों की किल्लत या फिर अनुभवहीनता जनित लापरवाही के चलते कभी कभी रोगियों का बुरा हाल हो जाता है। यदा-कदा तो रोगियों के ऊपर गुप्त रूप से की जाने वाली नई नई दवाओं के परीक्षण के चलते उनकी मौत हो जाती है या फिर उनके शरीर पर अतिरिक्त प्रभाव पड़ते हैं और फिर विभिन्न प्रकार के नए नए रोग पनपते हैं, जिसकी कीमत रोगी व उनका परिवार चुकाते हैं। यह पेशेवर अनैतिकता भी है क्योंकि मरीज तो इन निजी चिकित्सकीय दांवपेचों से बिल्कुल अनजान रहते हैं। निजी चिकित्सा क्षेत्र में आईसीयू के बढ़ते दुरुपयोग के पीछे एक यह भी वजह बताई जाती है।

आपको पता होना चाहिए कि इन्हीं सब बातों/आशंकाओं के दृष्टिगत कुछ एहतियाती कानून भी बनाए गए हैं जिनका उपयोग मरीज व उनके परिजन कर सकते हैं। यदि किसी डॉक्टर या अस्पताल द्वारा इलाज में लापरवाही होती है, तो मरीज को स्पष्ट कानूनी अधिकार प्राप्त हैं। इसके तहत मरीज उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकता है। इसके अलावा, राज्य मेडिकल काउंसिल और भारतीय चिकित्सा परिषद में भी शिकायत की जा सकती है। वहीं, आपराधिक लापरवाही के मामले में, भारतीय दंड संहिता की धारा 304A के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। 

यही वजह है कि यहां पर हम आपको क्रमबद्ध रूप से आपके कानूनी अधिकारों के बारे में बता रहे हैं:- 

पहला, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम: यदि डॉक्टर या अस्पताल ने चिकित्सा सेवा में लापरवाही की है, तो मरीज उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकता है। 

दूसरा, राज्य मेडिकल काउंसिल: हर राज्य में एक मेडिकल काउंसिल होती है, जहां डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज की जा सकती है। 

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तीसरा, भारतीय चिकित्सा परिषद: भारतीय चिकित्सा परिषद भी चिकित्सा लापरवाही के मामलों में शिकायत दर्ज करने का एक मंच है। 

चतुर्थ, आपराधिक लापरवाही: यदि चिकित्सा लापरवाही के कारण किसी की मृत्यु हो जाती है, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 304A के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है, जिसमें 2 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। 

पंचम, सिविल कोर्ट: मरीज सिविल कोर्ट में मुआवजे के लिए मुकदमा भी कर सकता है। 

अब यहां पर हम आपको बता रहे हैं कि आप इनके खिलाफ अपनी शिकायत कैसे कर सकते हैं:- 

प्रथम, अस्पताल प्रबंधन से संपर्क करें: सबसे पहले, अस्पताल प्रबंधन से संपर्क करके अपनी शिकायत दर्ज कराएं।

दूसरा, कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत: यदि अस्पताल प्रबंधन आपकी शिकायत का समाधान नहीं करता है, तो आप कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। 

तीसरा, राज्य मेडिकल काउंसिल में शिकायत: आप संबंधित राज्य की मेडिकल काउंसिल में भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।  

चतुर्थ, भारतीय चिकित्सा परिषद में शिकायत: भारतीय चिकित्सा परिषद में भी शिकायत दर्ज की जा सकती है। 

पंचम, आपराधिक मामला: यदि मामला आपराधिक लापरवाही का है, तो पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं और एफआईआर दर्ज करवाएं। 

चिकित्सकीय लापरवाही के ऐसे मामले में याद रखने योग्य बातें निम्नलिखित हैं:- चिकित्सा लापरवाही के मामले में, सबूत इकट्ठा करना महत्वपूर्ण है। आप घटना के 2 साल के भीतर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आप अपनी शिकायत को जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता न्यायालयों में दर्ज करा सकते हैं। आप उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में भी जा सकते हैं, यदि आपके पास उचित कारण है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हर मामले की परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं, इसलिए किसी वकील से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है। ऐसा करके आप अपनी क्षतिपूर्ति भी मांग सकते हैं।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

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