15 मार्च को मनाया जा रहा शीतला अष्टमी का पर्व, मां शीतला के पूजन से मिलेगी सुख-समृद्धि

Sheetla Ashtami
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हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाया जाता है। इस दिन माताएं व्रत कर बच्चों को बीमारियों से मुक्ति और दीर्घायु होने की कामना करती है। माता शीतला को बासी खाने का भोग लगाया जाता है।

हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी या बसोड़ा मीना अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा करने का विधान है। इसे बसौड़ा अष्टमी भी कहा जाता है। बसौड़ा माता शीतला का प्रिय पर्व है। यह पर्व होली के ठीक 8 दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन माता शीतला को मीठे चावलों का प्रसाद लगाया जाता है। नीठा चावल गन्ने के रस या गुड़ से बनाकर तैयार किया जाता है। इसके अलावा बासी पकवानों का भी भोग लगाया जाता है। फिर पूजा आदि करने के बाद व्रत रखने वाले भी बासी और ठंडा भोजन ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि पूरे विध-विधान से पूजा-अर्चना करने पर माता शीतला से आरोग्य होने का आशीर्वाद मिलता है। आइए जानते हैं व्रत का महत्व, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त... 

शीतला अष्टमी 2023 तिथि

हिंदू पंचाग के अनुसार, इस वर्ष चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी 14 मार्च 2023 को रात 08:22 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 15 मार्च को शाम 06:45 मिनट पर होगा। इसलिए शीतला अष्टमी 15 मार्च को मनाई जा रही है।

शुभ मुहूर्त

बता दें कि 15 मार्च को शीतला अष्टमी की पूजा का मुहूर्त सुबह 06:30 मिनट से शाम 06:29 मिनट तक है।

पूजा विधि

शीतला अष्टमी के दिन सबसे पहले नहा धोकर साफ वस्त्र पहनें और फिर पूजा के लिए हाथ में अक्षत, जल, फूल और दक्षिणा लेकर व्रत करने का संकल्प लें। माता शीतला को रोली, वस्त्र, फूल, दक्षिणा और बासी भोजन का भोग लगाने के साथ धूप-दीप दिखाएं। बता दें कि इस दौरान दही, मीठा चावल और रबड़ी आदि का भोग लगाया जाता है। माता शीतला की पूजा के दौरान शीतला स्त्रोत का पाठ कर आरती करें। पूजा किए जाने के बाद माता का भोग खाकर व्रत खोलें।

शीतला अष्टमी व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की पूजा-अर्चना और आराधना किए जाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके अलावा बीमारियों से मुक्ति मिलती है। इस दिन माताएं व्रत रख बच्चों की दीर्घायु होने की कामना करती है। वहीं माता शीतला को शीतलता प्रदान करने वाला कहा जाता है।

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