सावन के सोमवार व्रत का सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार चंद्रदेव ने किसी प्रसंग में भगवान शिव का अनादर कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने चंद्रदेव को शाप दे दिया कि उनका तेज क्षीण हो जाएगा। शाप से व्याकुल चंद्रदेव ने सावन महीने के सोमवार को उपवास रखकर गंगाजल और दूध से शिवलिंग पर अभिषेक किया।
सनातन धर्म में सावन महीने का अनन्य एवं अतुलनीय महत्व होता है। यह वर्ष का सबसे पवित्र महीना होता है। इसे ‘श्रावण मास’ एवं ‘सर्वोत्तम मास’ के रूप में भी जाना जाता है। वैसे तो, यह पूरा महीना माता पार्वती एवं भगवान शिव को समर्पित होता है, लेकिन सावन महीने में भक्तों द्वारा रखा जाने वाला ‘सोमवार व्रत’ माता पार्वती एवं भगवान शिव को विशेष रूप से प्रिय है। इसीलिए मान्यता है कि सावन महीने के सोमवार को किए जाने वाले भजन-कीर्तन, पूजन, आराधना आदि का विशेष फल प्राप्त होता है। भगवान शिव का प्रिय महीना सावन 11 जुलाई शुक्रवार को आरंभ हो चुका है। इसकी समाप्ति आगामी 09 अगस्त, शनिवार को होगी। वहीं, इस वर्ष सावन महीने में चार सोमवार पड़ रहे हैं- प्रथम सोमवार व्रत 14 जुलाई को, द्वितीय 21 जुलाई, तृतीय 28 जुलाई, एवं चतुर्थ सोमवार व्रत 04 अगस्त को पड़ रहा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन का सोमवार व्रत माता पार्वती एवं चंद्रदेव की आस्था से भी जुड़ा हुआ है। बता दें कि यह व्रत एक धार्मिक आयोजन मात्र नहीं होता, बल्कि इसके अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व भी हैं, जो इस व्रत की जीवंतता, प्रामाणिकता, शाश्वतता और इसकी प्रभाव-क्षमता को प्रदर्शित करते हैं।
सर्वप्रथम माता पार्वती ने किया था यह व्रत
शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को पति रूप में पाने हेतु निराहार रहते हुए पहली बार स्वयं माता पार्वती ने नारद मुनि के मार्गदर्शन में सावन सोमवार का व्रत रखा था। शास्त्रों में वर्णन है कि निराहार रहते हुए कठोर तप में लीन माता पार्वती को नारद मुनि ने सावन के महीने के प्रत्येक सोमवार को उपवास, एकाग्र ध्यान एवं शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का विधान बताया था। तत्पश्चात् माता पार्वती ने नियमपूर्वक सभी सोमवारों का व्रत किया। उनके अटूट संकल्प से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ शिवशंकर ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। यही कारण है कि आज भी यह व्रत अविवाहित कन्याओं के लिए अत्यन्त फलदायी और महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रद्धापूर्वक यह व्रत रखने से योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
चंद्रदेव ने भी किया था सावन सोमवार का व्रत
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार चंद्रदेव ने किसी प्रसंग में भगवान शिव का अनादर कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने चंद्रदेव को शाप दे दिया कि उनका तेज क्षीण हो जाएगा। शाप से व्याकुल चंद्रदेव ने सावन महीने के सोमवार को उपवास रखकर गंगाजल और दूध से शिवलिंग पर अभिषेक किया। चंद्रदेव की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें शापमुक्त कर दिया। इसीलिए सावन सोमवार का व्रत रोग, शोक, दुःख, कष्ट और संकट से निवारण एवं मानसिक शांति का उपाय भी माना जाने लगा।
इस व्रत का आध्यात्मिक महत्व
सावन सोमवार का व्रत एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अभ्यास होता है। इस व्रत को रखने से मन, वाणी और कर्म की शुद्धि होती है तथा भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। यह व्रत भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति में भी बहुत सहायक होता है। इस व्रत के शुभ प्रभाव से भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा मानसिक तनाव दूर होता है। इसके अतिरिक्त, भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा पारिवारिक सुख-शांति भी बनी रहती है।
इस व्रत का सामाजिक महत्व
सावन सोमवार व्रत का सामाजिक महत्व भी बहुत अधिक है। इसके शुभ प्रभाव से न केवल व्यक्तिगत, बल्कि पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन में भी सुख, शांति, समृद्धि और सकारात्मकता आती है। इस अवसर पर, जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर पूजा-पाठ करते, व्रत रखते और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं, तब परिवार में एकता और प्रेम की भावना में वृद्धि होती है। यही नहीं, इस विशेष दिन को भगवान शिव के मंदिरों में सामूहिक भजन-कीर्तन, पूजन, आराधन आदि का पूर्ण श्रद्धा के साथ आयोजन किया जाता है। इसके कारण समाज के विभिन्न समुदायों के बीच परस्पर भाईचारा और सद्भाव बढ़ता है।
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इस व्रत का वैज्ञानिक महत्व
सावन के सोमवार व्रत का वैज्ञानिक महत्व भी है। बता दें कि सावन के महीने में मौसम में होने वाले परिवर्तनों के कारण व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो जाती है और लोग बीमार पड़ने लगते हैं। इस दौरान, वातावरण में नमी और तापमान में लगातार बदलाव होते रहने के कारण मनुष्य की पाचन क्रिया धीमी और कमजोर हो जाती है। ऐसे में, सावन सोमवार का व्रत रखकर नियमपूर्वक पूजन और उपवास करने से संपूर्ण पाचन तंत्र को आराम मिलता है और पेट सहित पूरे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। अंग्रेजी में इस प्रक्रिया को ‘डिटॉक्सीफिकेशन’ कहा जाता है। गौरतलब है कि इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद व्यक्ति का पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम करने लगता है और उसका शरीर स्वस्थ हो जाता है। इसके अतिरिक्त, व्रत रखने से शरीर का ‘मेटाबॉलिज्म’ भी बढ़ता है और व्यक्ति को वजन कम करने में भी मदद मिलती है।
इस व्रत का धार्मिक महत्व
सावन सोमवार का व्रत रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भक्त यदि यह व्रत सच्चे मन से करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। साथ ही, मनचाहा जीवन साथी पाने की एवं वैवाहिक जीवन में आने वाली समस्याओं से मुक्ति पाने की इच्छा रखने वालों के लिए यह व्रत वरदान से कम नहीं है। यही नहीं, उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए भी अनेक लोग यह व्रत करते हैं। बता दें कि इस व्रत के शुभ प्रभाव से रोग, दोष, और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अतिरिक्त, यह अकाल मृत्यु और कालसर्प दोष से भी व्यक्ति को बचाता है। तात्पर्य यह कि सावन सोमवार का व्रत रखने से एक ओर जहां भक्तों को धार्मिक एवं आध्यात्मिक संरक्षण मिलता है, वहीं, दूसरी ओर, लोगों के मन एवं हृदय में धार्मिकता और आध्यात्मिकता की भावना में भी वृद्धि होती है।
इस व्रत का सांस्कृतिक महत्व
सावन सोमवार व्रत का धार्मिक, आध्यात्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक महत्व तो है ही, इसका सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा होता है। सच कहा जाए तो यह अत्यंत महत्वपूर्ण पारंपरिक आयोजन हमारी विस्मृत होती सांस्कृतिक मान्यताओं और परंपराओं एवं मिटाए जा रहे सभ्यता के चिह्नों और पहचानों को न केवल बचाने का कार्य करते हैं, बल्कि उन्हें सकारात्मकता एवं जीवंतता भी प्रदान करते हैं। ऐसे आयोजनों और क्रिया-कलापों से लोग अपने धर्म, संस्कृति और सभ्यता के प्रति अधिक जागरूक होते हैं।
- चेतनादित्य आलोक
वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, स्तंभकार एवं राजनीतिक विश्लेषक, रांची, झारखंड
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