कब है परशुराम जयंती? जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि

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वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान परशुराम का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा स्वरूप माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम का जन्म धरती से अन्याय और पाप को खत्म करने के लिए हुआ था।

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा स्वरूप माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम का जन्म धरती से अन्याय और पाप को खत्म करने के लिए हुआ था।

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शुभ मुहूर्त 

तृतीया तिथि आरंभ - 3 मई 2022, सुबह 05 बजकर 19 मिनट 

तृतीया तिथि समाप्त - 04 मई 2022, सुबह 07 बजकर 33 मिनट 

परशुराम जयंती का महत्त्व 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम को भगवान शिव का एकमात्र शिष्य माना जाता है। माना जाता है कि भगवान परशुराम ने कठोर तपस्या से भोलेनाथ को प्रसन्न किया था। जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें परशु फरसा दिया था। ऐसा माना जाता है कि परशुराम जयंती के दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन विधिपूर्वक पूजन और व्रत करने से निःसंतान लोगों को पुत्र की प्राप्ति होती है।

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परशुराम जयंती पर कैसे करें पूजा 

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल पर एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान परशुराम को जल, चंदन, अक्षत, गुलाल, पुष्प और तुलसी दल आदि अर्पित करें। इसके बाद भगवान को भोग में मिठाई और फल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं। इसके बाद आरती करें और प्रसाद सभी में बाँटें।

- प्रिया मिश्रा 

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