900 किलो के 1800 बम पहुंचे इजरायल, हमास की दस्तक से कैसे हिला भारत?

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ANI
अभिनय आकाश । Feb 17 2025 7:25PM

शायद इसलिए अमेरिका ने इजरायल को 1800 बम भेजे हैं। ताकी हमास का काम तमाम किया जा सके। लेकिन सबसे बड़े खतरे की बात ये है कि जिस वक्त इजरायल हमास के खात्मे का प्लान बना रहा है। उस वक्त भारत में हमास के समर्थन में हजारों लोग खड़े हो गए हैं।

हमास का सफाया करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल को 900 किलो के 1800 बम भेजे हैं। 1800 खतरनाक बमों की खेप जैसे ही इजरायल पहुंची तो बेंजामिन नेतन्याहू ने ऐलान कर दिया कि हम गाजा में नर्क के दरवाजे खोल देंगे। हम हमास को जिंदा नहीं छोड़ेंगे। मगर ठीक इसी वक्त भारत में हमास को लेकर कुछ ऐसा हुआ है, जिसे देखकर भारत और इजरायल के करोड़ों लोग हिल जाएंगे। भारत हमास प्रेमियों का नया अड्डा बनता जा रहा है। दरअसल, इजरायल जल्द से जल्द हमास को खत्म करने के बाद गाजा खाली करवाना चाहता है। डोनाल्ड ट्रंप पहले ही बोल चुके हैं कि गाजा पर अब अमेरिका का कब्जा होगा। डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी के साथ खड़े होकर ऐलान किया था कि हम इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण ट्रेड रूट बनाने जा रहे हैं। ये ट्रेड रूट भारत से शुरू होकर अमेरिका तक पहुंचेगा। इस रूट का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव इजरायल होगा। लेकिन गाजा में जब तक हमास जिंदा है, तब तक ये ट्रेड रूट सफल नहीं हो पाएगा। 

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शायद इसलिए अमेरिका ने इजरायल को 1800 बम भेजे हैं। ताकी हमास का काम तमाम किया जा सके। लेकिन सबसे बड़े खतरे की बात ये है कि जिस वक्त इजरायल हमास के खात्मे का प्लान बना रहा है। उस वक्त भारत में हमास के समर्थन में हजारों लोग खड़े हो गए हैं। ये लोग भारत में हमास को जगह देने की कोशिश कर रहे हैं। केरल से आई ये तस्वीरें डराने के लिए काफी हैं। केरल के पलक्कड़ जिले में एक स्थानीय उत्सव के जुलूस में हमास नेताओं की छवियों को प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाने से व्यापक आक्रोश फैल गया। उग्रवादी समूह हमास के दोनों नेताओं, याह्या सिनवार और इस्माइल हनिएह की छवियों को 'थारवाडिस, थेक्केभागम' शीर्षक वाले बैनरों पर देखा गया।

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पलक्कड़ के थ्रीथला में वार्षिक उरूस उत्सव के हिस्से के रूप में रविवार शाम को 3,000 से अधिक लोग जुलूस में शामिल हुए। हालाँकि, यह इन विवादास्पद बैनरों का प्रदर्शन था जिसने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया। इस बीच, थ्रीथला फेस्ट के आयोजकों ने खुद को किसी भी धार्मिक संबद्धता से दूर कर लिया है। आयोजकों ने स्पष्ट किया है कि यह कार्यक्रम किसी मस्जिद से जुड़ा नहीं था, बल्कि थ्रिथला उत्सव का हिस्सा था, जो एक स्थानीय उत्सव था जिसमें कई सामुदायिक समूहों की भागीदारी देखी गई थी।

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