क्यूबा में क्रांति के प्रतीक फिदेल कास्त्रो का निधन

[email protected] । Nov 26 2016 5:28PM

क्रांति के प्रतीक माने जाने वाले फिदेल कास्त्रो का हवाना में निधन हो गया। कास्त्रो के भाई और क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर इसकी घोषणा की।

हवाना। छोटे से क्यूबा को शक्तिशाली पूंजीवादी अमेरिका के पैर का कांटा बनाने वाले गुरिल्ला क्रांतिकारी एवं कम्युनिस्ट नेता का आज निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का कहना था कि वह राजनीति से कभी संन्यास नहीं लेंगे लेकिन उन्हें जुलाई 2006 में आपात स्थिति में आंतों का ऑपरेशन कराना पड़ा जिसके कारण उन्होंने सत्ता अपने भाई राउल कास्त्रो के हाथ में सौंप दी। राउल ने अपने भाई के अमेरिका विरोधी रुख के विपरीत काम करते हुए दिसंबर 2014 में संबंधों में सुधार के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ हाथ मिलाने की घोषणा करके दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया।

जैतून के रंग की वर्दी, बेतरतीब दाढ़ी और सिगार पीने के अपने अंदाज के लिए मशहूर फिदेल ने स्वास्थ्य कारणों के चलते अनिच्छा से राजनीति छोड़ी। फिदेल ने अपने देश में पैदा होने वाले असहमति के सुरों पर कड़ा शिकंजा बनाए रखा और वाशिंगटन की मर्जी के विपरीत चलकर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई। फिदेल को अंतत: राजनीति के खेल में जीत मिली। हालांकि क्यूबा के लोग गरीबी में ही जीते रहे और जिस क्रांति का एक समय बहुत प्रचार किया था, उसने अपनी चमक खो दी।

ओबामा ने क्यूबा के साथ राजनयिक संबंध नए सिरे से स्थापित किए। उन्होंने भी स्वीकार किया कि क्यूबा पर दशकों तक लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद क्यूबा में लोकतंत्र लागू कराने और पश्चिमी शैली के आर्थिक सुधार करने में सफलता नहीं मिली और अब क्यूबाई लोगों की मदद करने के लिए कोई अन्य तरीका अपनाने का समय आ गया है। तेजतर्रार व्यक्तित्व के धनी और शानदार वक्ता फिदेल कास्त्रो ने अपने शासन में अपनी हत्या की साजिशों, अमेरिका के समर्थन से की गई आक्रमण की कोशिश और कड़े अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों समेत अपने सभी शत्रुओं की सभी कोशिशों को नाकाम कर दिया। 13 अगस्त 1926 को जन्मे फिदेल के पिता एक समृद्ध स्पेनी प्रवासी जमींदार थे और उनकी मां क्यूबा निवासी थी। बचपन से ही कास्त्रो चीजों को बहुत जल्दी सीख जाते थे और एक बेसबॉल प्रशंसक थे। उनका अमेरिका की बड़ी लीगों में खेलने का सुनहरा सपना था लेकिन खेल में भविष्य बनाने का सपना देखने वाले फिदेल ने बाद में राजनीति को अपना सपना बनाया। उन्होंने फुलगेंसियो बतिस्ता की अमेरिका समर्थित सरकार के विरोध में गुरिल्ला का गठन किया। बतिस्ता ने 1952 के तख्तापलट के बाद सत्ता पर कब्जा किया था। इस विरोध में संलिप्पता के कारण युवा फिदेल को दो साल जेल में रहना पड़ा और इसके बाद वह अंतत: निर्वासन में चले गए और उन्होंने विद्रोह के बीज बोए। उन्होंने अपने समर्थकों के साथ ग्रानमा पोत से दक्षिण पूर्वी क्यूबा में कदम रखते ही दो दिसंबर 1956 को क्रांति की शुरूआत की। फिदेल ने सभी चुनौतियों से पार पाते हुए 25 महीनों बाद बतिस्ता को सत्ता से बेदखल किया और प्रधानमंत्री बने। एक समय निर्विवाद रूप से सत्ता में रहे फिदेल का झुकाव सोवियत संघ की ओर था। अमेरिका के 11 राष्ट्रपति सत्ता में आकर चले गए लेकिन फिदेल सत्ता में बने रहे। इस दौरान अमेरिका के हर राष्ट्रपति ने 1959 की क्रांति के बाद से उनके शासन पर दशकों तक दबाव बनाने की कोशिश की। इस क्रांति ने 1989 के स्पेनी-अमेरिकी युद्ध के बाद से क्यूबा पर वाशिंगटन के प्रभुत्व के लंबे दौर का अंत कर दिया।

कास्त्रो के सोवियत संघ के साथ जुड़ाव के कारण 1962 क्यूबा मिसाइल संकट के समय विश्व परमाणु युद्ध के कगार पर पहुंच गया था। मास्को ने अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य से मात्र 144 किलोमीटर दूर द्वीप पर परमाणु हथियार ले जाने वाली मिसाइल स्थापित करने की योजना बनाई थी। प्रतिद्वंद्वी महाशक्तियों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध के बाद क्यूबाई जमीन से मिसाइल दूर रखने पर मॉस्को के सहमति जताने पर दुनिया परमाणु युद्ध के संकट से बच गई। कास्त्रो विश्व के मंच पर ऐसे समय में कम्युनिस्ट नेता बन कर उभरे जब दुनिया शीत युद्ध के चरम पर थी। उन्होंने 1975 में अंगोला में सोवियत के बलों की मदद के लिए 15000 जवान भेजे और 1977 में इथियोपिया में जवान भेजे। कास्त्रो ने अमेरिका की इच्छा के विपरीत काम किया और अमेरिका को कई बार नाराज, शर्मिंदा और सचेत किया। अमेरिका ने क्यूबा में विद्रोह की आस में आर्थिक प्रतिबंध लगाए लेकिन इसके बावजूद फिदेल के सत्ता में बने रहने से उसे हताशा ही हाथ लगी। क्यूबाई राष्ट्रपति ने स्वयं कई बार इस क्यूबा में आर्थिक परेशानियों के लिए प्रतिबंध को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने अपने देश के एक करोड़ 10 लाख लोगों को बार बार यह याद दिलाया कि अमेरिका ने द्वीप राष्ट्र पर पहले भी हमला किया है और वह किसी भी समय ऐसा दोबारा कर सकता है। 1989 में सोवियत संघ से मदद नहीं मिल पाने के कारण अर्थव्यवस्था चरमरा जाने के बाद फिदेल ने अधिक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा दिया और कुछ आर्थिक सुधार किए।

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