कैसे पाई-पाई बचा रहा पाकिस्तान, चाय छोड़ लस्सी और सत्तू पीने पर दिया जा रहा जोर
पाकिस्तान की नई नवेली शहबाज शरीफ सरकार ने पाकिस्तान यूनिवर्सिटी को चाय का एक विकल्प सुझाया। यूनिवर्सिटी को कहा गया है कि वो अपने यहां पढ़ने वाले छात्रों को लस्सी और सत्तू पीने के लिए प्रोत्याहित करे। इसे चाय के विकल्प के तौर पर ले सकते हैं।
भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान जो बम, बारूद और गोले खरीदने के लिए अपने खजाने दे दरवाजे खोल दिया करता है। उसे अब चाय की चुस्की के भी वान्दे होते जा रहे हैं। एक प्याली चाय जिसे आप और हम सुड़क कर भूल जाया करते हैं। उसे पीने से पहले अब पाकिस्तान की आवाम को दो बार सोचना पड़ेगा कि अगली प्याली नसीब होगी या नहीं? पाकिस्तान की नई नवेली शहबाज शरीफ सरकार ने पाकिस्तान यूनिवर्सिटी को चाय का एक विकल्प सुझाया। यूनिवर्सिटी को कहा गया है कि वो अपने यहां पढ़ने वाले छात्रों को लस्सी और सत्तू पीने के लिए प्रोत्याहित करे। इसे चाय के विकल्प के तौर पर ले सकते हैं।
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पाकिस्तान उच्च शिक्षा आयोग का कहना है कि नकदी की कमी वाले देश में रोजगार को बढ़ावा मिलेगा और चाय के आयात पर खर्च को कम करने में मदद भी मिलेगी। उच्च शिक्षा आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ शाइस्ता सोहेल ने सार्वजनिक क्षेत्र के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को एक परिपत्र में उन्हें "नेतृत्व की भूमिका निभाने और निम्न-आय समूहों और अर्थव्यवस्था को राहत प्रदान करने के लिए अभिनव तरीकों के बारे में सोचने के लिए कहा है। सर्कुलर में, सोहेल ने "स्थानीय चाय बागानों और लस्सी और सत्तू जैसे पारंपरिक पेय को बढ़ावा देने का सुझाव दिया है, जिससे रोजगार बढ़ेगा और जनता के लिए इन पेय के निर्माण में शामिल आय भी उत्पन्न होगी। चाय के आयात पर होने वाले खर्च से हमारा आयात बिल कम हो जाएगा।
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स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के अनुसार, पाकिस्तान चालू खाता घाटे और घटते विदेशी मुद्रा भंडार से जूझ रहा है, जो 17 जून तक घटकर 8.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। इस महीने की शुरुआत में, पाकिस्तान के योजना, विकास और विशेष पहल मंत्री अहसान इकबाल ने नागरिकों से चाय की खपत में कटौती करने का आग्रह किया है ताकि देश के घटते विदेशी मुद्रा भंडार में खाने वाले आयात बिल को कम करने में मदद मिल सके।
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