जमात उद दावा चीफ हाफिज सईद को 10 साल कैद, पाकिस्तान की आतंक निरोधी अदालत ने सुनाया फैसला

Jamaat ud-Dawa

मुंबई के 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा चीफ हाफिज सईद को 10 साल जेल की सजा सुनाई है। अदालत के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘लाहौर स्थित आतंकवाद रोधी अदालत ने बृहस्पतिवार को जमात उद दावा के सरगना सईद सहित इसके चार नेताओं को दो और मामलों में सजा सुनाई।’’

लाहौर। पाकिस्तान की एक आतंकवाद रोधी अदालत ने मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड एवं जमात उद दावा (जेयूडी) के सरगना हाफिज सईद को दो और मामलों में बृहस्पतिवार को 10 साल कैद की सजा सुनाई। संयुक्त राष्ट्र ने सईद को आतंकवादी घोषित किया था और अमेरिका ने उसपर एक करोड़ डॉलर के इनाम की घोषणा कर रखी है। उसे आतंकी कृत्यों के लिए वित्तीय मदद उपलब्ध कराने के मामले में पिछले साल 17 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। आतंकवाद रोधी अदालत ने आतंकी कृत्यों के लिए वित्तीय मदद उपलबध कराने के दो मामलों में उसे इस साल फरवरी में 11 साल कैद की सजा सुनाई थी। वह लाहौर की उच्च सुरक्षा वाली कोट लखपत जेल में बंद है। अदालत के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘लाहौर स्थित आतंकवाद रोधी अदालत ने बृहस्पतिवार को जमात उद दावा के सरगना सईद सहित इसके चार नेताओं को दो और मामलों में सजा सुनाई।’’ सईद और उसके दो साथियों-जफर इकबाल तथा याह्या मुजाहिद को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई गई है, जबकि उसके साले अब्दुल रहमान मक्की को छह महीने कैद की सजा सुनाई गई है। 

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अधिकारी ने कहा, ‘‘आतंकवाद रोधी अदालत-1 के न्यायाधीश अरशद हुसैन भुट्टा ने आतंकवाद रोधी विभाग द्वारा दायर मुकदमा संख्या 16/19 और 25/19 में सुनवाई की जिसमें वकील नसीरुद्दीन नैयर और मोहम्मद इमरान फजल गुल की जिरह के दौरान गवाहों के बयानों के बाद फैसला सुनाया गया है।’’ आतंकवाद रोधी विभाग ने जेयूडी के नेताओं के खिलाफ कुल 41 मामले दर्ज किए हैं जिनमें से 24 मामलों में फैसला आ चुका है और शेष अन्य आतंकवाद रोधी अदालतों में लंबित हैं। अब तक चार मामलों में सईद के खिलाफ फैसला आया है। जेयूडी वर्ष 2008 में मुंबई में हुए हमलों के लिए जिम्मेदार लश्कर ए तैयबा को संचालित करनेवाला प्रमुख संगठन है। मुंबई हमलों में 166 लोग मारे गए थे जिनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। अमेरिका के वित्त विभाग ने सईद को विशेष रूप से वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। दिसंबर 2008 में उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत भी आतंकवादी घोषित किया गया था। बृहस्पतिवार का फैसला ऐसे समय आया है जब कुछ सप्ताह पहले पेरिस आधारित वैश्विक धनशोधन एव आतंकी वित्तपोषण पर नजर रखने वाले संगठन ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को फरवरी 2021 तक के लिए अपनी ‘ग्रे’ सूची में बरकरार रखा क्योंकि इस्लामाबाद एजेंसी के छह दायित्वों पर खरा उतरने में विफल रहा जिनमें सईद और मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई न करना भी शामिल है। ये दोनों भारत में सर्वाधिक वांछित आतंकवादी हैं। एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची में बने रहने से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद मिलना मुश्किल हो सकता है। इससे नकदी संकट से जूझ रहे देश के लिए और दिक्कतें बढ़ेंगी।

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