नेपाल में भूकंप से तबाह हुए संग्रहालय फिर से खोले गये
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नेपाल में पिछले साल आए विनाशकारी भूकंप के कारण तबाह हुए देश के प्रख्यात संग्रहालयों और कुछ संस्थानों को आगंतुकों के लिए फिर से खोल दिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र। नेपाल में पिछले साल आए विनाशकारी भूकंप के कारण तबाह हुए देश के प्रख्यात संग्रहालयों और कुछ संस्थानों को आगंतुकों के लिए फिर से खोल दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के निदेशक क्रिश्चियन मेनहार्ट ने काठमांडो में बताया कि विश्व निकाय की सांस्कृतिक एजेंसी और उसके भागीदारों के संयुक्त प्रयासों के फलस्वरूप नेपाल के संग्रहालयों और कुछ संस्थानों को पुनर्निर्माण के बाद दोबारा खोला गया है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में आए भूकंप के बाद नेपाल के संग्रहालयों और ऐतिहासिक इमारतों के पुनर्निर्माण से देश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। मेनहार्ट ने बताया ‘‘संग्रहालयों को फिर से खोले जाने और मंदिरों की मरम्मत के साथ ही पहचान, दृढ़ संकल्प और उम्मीद की भावना बलवती हो गई।’’ हिमालयी देश में अप्रैल 2015 में भूकंप और इसके बाद आए झटकों की वजह से 8,700 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। इस प्राकृतिक आपदा में 22,000 से अधिक लोग मारे गए और 250,000 से अधिक मकान या तो नष्ट हो गए या क्षतिग्रस्त हो गए थे।
भूकंप की वजह से नेपाल की सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहर भी प्रभावित हुई थी क्योंकि 16 जिलों की ऐतिहासिक महत्व की 691 इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई थीं। इनमें से 131 इमारतें तो पूरी तरह नष्ट हो गई थीं। इस तबाही के महीनों बाद यूनेस्को ने देश के पुरातत्व विभाग के साथ यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया था कि राजधानी के हनुमानधोका, स्वयंभू और छाउनी नेश्नल म्यूजियम सहित प्रभावित स्थानों के संग्रहालय एवं अन्य धरोहरों की कलाकृतियां सुरक्षित संग्रहित की जाएं। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने यह भी सुनिश्चित किया कि स्थानीय संग्रहालय कर्मियों को भूकंप से उबरने, सुरक्षित संग्रह एवं संग्रहालय की कृतियों तक पहुंच का प्रशिक्षण दिया जाए। इस साल फरवरी में अपने भागीदारों के साथ मिल कर यूनेस्को ने कार्यशालाएं आयोजित कीं जिनमें राजधानी काठमांडो तथा पोखरा, कपिलवस्तु, नवाकोट एवं धांगड़ी सहित अन्य शहरों के संग्रहालयों के कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। यूनेस्को का कहना है ‘‘बहरहाल, बहुत कुछ अभी भी किया जाना है तथा अन्य संग्रहालयों को भी खोला जाना है। फिलहाल स्थानीय स्वयंसेवक स्थलों पर सामान की निगरानी कर रहे हैं ताकि उन्हें लूटा न जा सके।’’
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