पाकिस्तान सरकार ने सरकारी अधिकारियों की जांच का जिम्मा आईएसआई को सौंपा: रिपोर्ट

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश की प्रमुख खुफिया एजेंसी आईएसआई को सभी सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के सत्यापन और जांच का जिम्मा आधिकारिक तौर पर सौंप दिया है। एक मीडिया रिपोर्ट में शनिवार को यह जानकारी दी गई।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश की प्रमुख खुफिया एजेंसी आईएसआई को सभी सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के सत्यापन और जांच का जिम्मा आधिकारिक तौर पर सौंप दिया है। एक मीडिया रिपोर्ट में शनिवार को यह जानकारी दी गई। हालांकि आईएसआई देश में पहले भी यह काम करती रही है, लेकिन इसे प्रोटोकॉल के रूप में औपचारिक नहीं किया गया था। अब इस व्यवस्था को एक कानूनी आवरण प्रदान किया गया है।

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‘एस्टेबलिशमेंट डिविजन’ की अधिसूचना के अनुसार, शरीफ ने प्रधानमंत्री को प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) महानिदेशालय को सभी सरकारी कार्यालयों के (अधिकारी श्रेणी) कर्मचारियों के सत्यापन और जांच के लिए विशेष जांच एजेंसी (एसवीए) के रूप में अधिसूचित किया है। ‘डॉन’ समाचार पत्र के अनुसार,उद्धृत उक्त कानून प्रधानमंत्री को नौकरशाही के वास्ते नियम बनाने या उनमें संशोधन करने का अधिकार देते हैं। उसने बताया कि ये निर्देश प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा छह मई को जारी किए गए। समाचार पत्र ने कहा कि ऐसा कर सरकार ने उस व्यवस्था को एक कानूनी आवरण प्रदान किया है जो पहले से चलन में था, लेकिन इसे प्रोटोकॉल के हिस्से के रूप में औपचारिक नहीं किया गया था। ‘एस्टेबलिशमेंट डिविजन’ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी पहचान गोपनीय रखे जाने की शर्त पर ‘डॉन’ को बताया कि नौकरशाहों को कोई अहम जिम्मेदारी सौंपे जाने से पहले आईएसआई और खुफिया ब्यूरो (आईबी) उनके बारे में अपनी रिपोर्ट देते हैं।

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विशेष रूप से नौकरशाहों की पदोन्नति के समय रिपोर्ट केंद्रीय चयन बोर्ड (सीएसबी) को भेजी जाती हैं। अखबार ने अनुसार, अधिकारी ने बताया कि चूंकि अब सरकार ने आईएसआई द्वारा जारी रिपोर्ट को कानूनी बना दिया है, इसलिए इन्हें अदालतों में वैध कानूनी दस्तावेजों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा। बहरहाल, डिविजन के एक पूर्व सचिव ने इस बात से असहमति जताते हुए कहा, ‘‘जब तक नियमों में संसोधन नहीं किया जाता, तब तक केवल एक अधिसूचना जारी करके एजेंसी की रिपोर्ट को कानूनी नहीं बनाया जा सकता और उसे न्यायिक जांच के दौरान वैध दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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