पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने असंतुष्ट सांसदों को कारण बताओ नोटिस जारी किया

Imran Khan

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने शनिवार को अपने असंतुष्ट सांसदों को कथित दलबदल को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया। साथ ही उनसे 26 मार्च तक स्पष्टीकरण देने का कहा गया कि क्यों नहीं उन्हें दल-बदलु घोषित किया जाए और नेशनल असेंबली की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जाए।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने शनिवार को अपने असंतुष्ट सांसदों को कथित दलबदल को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया। साथ ही उनसे 26 मार्च तक स्पष्टीकरण देने का कहा गया कि क्यों नहीं उन्हें दल-बदलु घोषित किया जाए और नेशनल असेंबली की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जाए। पाकिस्तान में विपक्षी दलों द्वारा इमरान खान सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से से पहले सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के करीब दो दर्जन सांसदों ने बगावती तेवर अपना लिए हैं।

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हालांकि, इमरान खान नीत सरकार ने विपक्षी दलों पर सांसदों की खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया है। बागी सांसद इस्लामाबाद स्थित सिंध हाउस में ठहरे हुए हैं जोकि सिंध सरकार की संपत्ति है। सिंध में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की सरकार है। ‘डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, नोटिस प्राप्त करने वालों में सांसद मोहम्मद अफजल खान ढांडला भी शामिल हैं। इसके मुताबिक, नोटिस में कहा गया, व्यापक प्रसारण एवं विभिन्न मीडिया मंचों पर प्रसारित वीडियो के माध्यम से यह पता चला है कि आपने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के बतौर सांसद पद छोड़ दिया है और विपक्षी दलों का दामन थाम लिया है, जो आठ मार्च 2022 की तिथि वाला अविश्वास प्रस्ताव को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के खिलाफ लेकर आये हैं। नोटिस में कहा गया कि सांसदों ने इस तरह के साक्षात्कार की सामग्री का खंडन नहीं किया है। सांसदों को सात दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है। नोटिस में संविधान के अनुच्छेद 63 (ए) का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि यह प्रावधान सांसदों को उनके संसदीय दल द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य करता है।

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नोटिस में कहा गया है, ‘‘आप इस कारण बताओ नोटिस का जवाब दे सकते हैं और शनिवार, 26 मार्च, 2022 को दोपहर 2 बजे या उससे पहले श्री इमरान खान के समक्ष व्यक्तिगत रूप पेश हो सकते हैं।’’ पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिति 8 मार्च के बाद खराब हो गई है जब विपक्षी दलों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव सौंपा गया था। तीखे बयानों के बीच, हिंसा की आशंका है जैसा कि शुक्रवार को पहले ही देखा जा चुका है।

अविश्वास प्रस्ताव के लिए नेशनल असेंबली का सत्र 21 मार्च को बुलाए जाने की उम्मीद है और मतदान 28 मार्च को होने की संभावना है। इस बीच, विपक्षी नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर प्रधानमंत्री खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का प्रस्ताव सोमवार को नेशनल असेंबली में पेश नहीं किया गया - जो कि प्रस्ताव को पेश करने की समय सीमा है तो वे निचले सदन में धरना दे सकते हैं। इससे इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) शिखर सम्मेलन में बाधा उत्पन्न हो सकती है, जो उसी दिन वहां होने वाला है।

पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने चेतावनी दी, ‘‘अगर स्पीकर की गैर-लोकतांत्रिक सोच (रास्ते में आती है) ... और वह सोमवार तक अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं करते हैं, तो मैं अपनी पार्टी के भीतर और अन्य विपक्षी दलों को भी हॉल नहीं छोड़ने का प्रस्ताव दूंगा।’’ पीएमएल-एन के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने बिलावल के सुझाव पर अपनी सहमति देते हुए कहा कि अगर स्पीकर देरी करने की रणनीति का इस्तेमाल करते हैं, तो हम असेंबली हॉल में धरना देने के लिए मजबूर होंगे।’’ विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि सम्मेलन केवल सरकार का नहीं बल्कि राज्य का एक कार्यक्रम है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि भारत ‘‘इस सम्मेलन में बाधा उत्पन्न करना चाहता था’’ और कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि बिलावल भारतीय एजेंडे का हिस्सा नहीं बनेंगे।’’

साथ ही, गृह मंत्री शेख राशिद ने ओआईसी की बैठक को रोकने की धमकी की निंदा करते हुए कहा कि सेना यह सुनिश्चित करेगी कि सम्मेलन सुचारू रूप से आयोजित हो। विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय 48वीं बैठक 22 मार्च से शुरू होने वाली है, जिसमें 50 से अधिक मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है। ओआईसी सम्मेलन संसद भवन में आयोजित किया जाएगा और धरना या विरोध देश के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा करेगा। 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में खान को हटाने के लिए विपक्ष को 172 वोटों की जरूरत है। पीटीआई के सदन में 155 सदस्य हैं और सरकार में बने रहने के लिए कम से कम 172 सांसदों की जरूरत है। पार्टी को कम से कम छह राजनीतिक दलों के 23 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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