आलेख पर विवाद के बाद वालस्ट्रीट जर्नल अखबार के दो पत्रकार चीन छोड़कर गए

बीजिंग। ‘ओप-एड’पन्ने (संपादकीय के सामने वाला पन्ना) पर एक आलेख के शीर्षक को लेकर चीन की नाराजगी के बाद निष्कासित किए गए वालस्ट्रीट जर्नल अखबार के दो पत्रकार सोमवार को देश से चले गए। चीन ने ओप-एड पन्ने पर प्रकाशित एक आलेख के शीर्षक को नस्ली बताया था जिसके बाद तीन संवाददाताओं को पिछले सप्ताह देश छोड़ने का आदेश दिया गया। आलेख लिखने में हालांकि, इन पत्रकारों की कोई भूमिका नहीं थी। पिछले कुछ वर्षों में विदेशी मीडिया के खिलाफ उठाए गए बेहद सख्त कदमों में से यह एक है।
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विश्लेषकों का कहना है कि पत्रकारों की मान्यता वापस लेने का फैसला ऐसे वक्त हुआ है, जब एक दिन पहले ही अमेरिका ने वहां संचालित होने वाले चीन के आधिकारिक मीडिया को लेकर नियम कड़े कर दिए हैं। आशंका है कि चीन ने इसी के जवाब में यह कदम उठाया है। घातक कोरोना वायरस बीमारी से निपटने में चीनी सरकार की शुरुआती कार्रवाई की आलोचना करने वाले एक अमेरिकी प्रोफेसर के आलेख का शीर्षक था, ‘‘चीन इज द रियल सिक मैन ऑफ एशिया।’’ उन्होंने करोना वायरस फैलने के बाद चीनी सरकार की शुरुआती प्रक्रिया की आलोचना की थी।
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ‘‘नस्ली रूप से यह भेदभावपूर्ण है’’ और चूंकि अखबार ने खेद प्रकट नहीं किया है इसलिए चीन में रहने वाले तीनों संवाददाताओं की मान्यता खत्म कर दी गयी है ।उप ब्यूरो प्रमुख जोश चिन और संवाददाता चाओ डेंग अमेरिका के निवासी हैं जबकि संवाददाता फिलिप वेन ऑस्ट्रेलिया के रहने वाले हैं। तीनों को देश छोड़ने के लिए पांच दिनों का समय दिया गया था। तीनों पत्रकार वाल स्ट्रीट जर्नल के समाचार खंड के लिए काम करते हैं। यह खंड संपादकीय और विचार पन्नों से संबद्ध नहीं है। ‘वाशिंगटन पोस्ट’ और ‘न्यूयार्क टाइम्स’ के मुताबिक आलेख के शीर्षक को अपमाजनक बताते हुए अखबार के 53 संवाददाताओं और संपादकों ने अखबार के नेतृत्व से खेद प्रकट करने को कहा है। समाचार एजेंसी के एक संवाददाता ने चिन और वेन को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रवाना होते हुए देखा।
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