Russia में जवानों के परिजनों का धैर्य दे रहा जवाब, Ukraine में लंबे समय से तैनात पति और बेटों की वापसी के लिए रूसी महिलाएं कर रहीं प्रदर्शन

Russian women protest
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रिपोर्टों के मुताबिक रूस में जगह-जगह महिलाओं के भीतर गुस्सा पनप रहा है। महिलाएं कह रही हैं कि सैनिकों ने ईमानदारी से अपने देश के लिए अब तक खून बहाया इसलिए अब उनके लिए अपने परिवार में लौटने तथा किसी और को तैनाती पर भेजने का समय आ गया है।

रूस-यूक्रेन युद्ध लगातार खिंचता जा रहा है जिससे दोनों ओर की सेनाओं को काफी परेशानी हो  रही है। लंबी तैनाती के चलते दोनों ओर के सैनिक जहां ऊब रहे हैं वहीं उनके घर वाले भी उनका इंतजार करते करते काफी परेशान हो गये हैं। इसी के चलते रूस में उन महिलाओं का धैर्य जवाब दे रहा है जिनके पति और बेटे पिछले एक साल से ज्यादा समय से यूक्रेन में तैनात हैं। रिपोर्टों के मुताबिक रूसी महिलाएं शहर-शहर प्रदर्शन करना चाह रही हैं लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिल रही है। इसके चलते रूसी महिलाओं की ओर से वीडियो बनाकर अपने देश की सैन्य नीति पर सवाल उठाये जा रहे हैं। इस तरह के वीडियो इस समय खूब वायरल भी हो रहे हैं। रूसी महिलाओं का कहना है कि उन्हें अपने पति और बेटों की जरूरत है। रूसी महिलाएं कह रही हैं कि सरकार को लंबे समय से यूक्रेन में तैनात सैनिकों की घर वापसी करवानी चाहिए। रूसी महिलाओं का कहना है कि सैनिकों को युद्ध के मैदान में डटे रहना जरूरी होता है लेकिन यह आवश्यक नहीं कि एक ही व्यक्ति अंतिम क्षण तक या अनिश्चितकाल तक एक ही जगह पर डटा रहे।

रिपोर्टों के मुताबिक रूस में जगह-जगह महिलाओं के भीतर गुस्सा पनप रहा है। महिलाएं कह रही हैं कि सैनिकों ने ईमानदारी से अपने देश के लिए अब तक खून बहाया इसलिए अब उनके लिए अपने परिवार में लौटने तथा किसी और को तैनाती पर भेजने का समय आ गया है लेकिन सरकार इस ओर ध्यान ही नहीं दे रही है। बताया जा रहा है कि 19 नवंबर को साइबेरियाई शहर नोवोसिबिर्स्क में एक रैली आयोजित की गयी थी जिसमें दिया गया भाषण ऑनलाइन जारी किया गया था जोकि अब पूरे रूस में सुना जा रहा है। बताया जा रहा है कि महिलाओं का यह आंदोलन युद्ध के प्रति रूसी जनता की नाराजगी का एक दुर्लभ उदाहरण है, जिसे क्रेमलिन ने कठोर कानूनों के माध्यम से दबाने की कोशिश की है। इस तरह की रिपोर्टें हैं कि रूसी सरकार की नजर उन लोगों पर है जो इस तरह के प्रदर्शन करना चाह रहे हैं। बताया जा रहा है कि रूसी सरकार काफी संयम रखे हुए है क्योंकि वह किसी सैनिक के रिश्तेदार को जेल भेजने से बचना चाहती है। बताया जा रहा है कि रूसी सरकार ने सैनिकों के परिवार की आक्रोशित महिलाओं की नजरबंदी या गिरफ़्तारी करने की बजाय डराने-धमकाने का रास्ता अख्तियार किया है। उदाहरण के लिए, कई प्रमुख शहरों में रैलियां आयोजित करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया गया। बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिक्रियाएं देने वालों से रूसी सरकार के लोगों ने संपर्क साधा है। इस बारे में कुछ लोगों ने बताया है कि कानून प्रवर्तन अधिकारी उनकी ऑनलाइन गतिविधि के बारे में पूछताछ करने और अनधिकृत रैलियों में भाग लेने के कानूनी परिणामों के बारे में उन्हें चेतावनी देने के लिए उनके घर आए।

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हम आपको यह भी बता दें कि विरोध आंदोलन का एक मुख्य केंद्र टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर रूसी में "पुट डोमॉय" या "द वे होम" नामक एक चैनल रहा है, जिसने सितंबर में स्थापित होने के बाद से 14,650 से अधिक प्रतिभागियों को आकर्षित किया है। इस चैनल पर कुछ महिलाओं ने अपनी ऑनलाइन पोस्टों में बताया है कि सरकार ने सैनिकों के परिवारों को अधिक धन और लाभ की पेशकश की है। महिलाओं का कहना है कि वे हमें और भी अधिक भुगतान करने के लिए सहमत हैं, लेकिन केवल तभी जब हम चुप रहें। महिलाओं ने कहा कि उन्हें अपने पति और बेटों की ज़रूरत होती है, पैसे की नहीं।

इस तरह की भी रिपोर्टें हैं कि रूसी महिलाओं को प्रदर्शन या आंदोलन करने की इजाजत नहीं देने के पीछे अधिकारी यह कारण बता रहे हैं कि कोविड-19 से निबटने के लिए सार्वजनिक सभाओं पर जो प्रतिबंध लगाये गये थे वह अभी तक नहीं हटाये गये हैं। इसके चलते लोग छोटे-छोटे समूहों में बैठकें कर रहे हैं, कोई पोस्टर या बैनर लेकर अनोखे ढंग से अपना संदेश देश-दुनिया को दे रहे हैं। रूसी महिलाओं का कहना है कि सरकार ने हमें निराशा के सागर में डुबो दिया है। विरोध करने वाले समूह इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वे देशद्रोही नहीं हैं और वे भी कानून का सम्मान करते हैं। वे कहते हैं कि वे बस यह पूछ रहे हैं कि हमारे लोग कब वापस आयेंगे। हम आपको बता दें कि जब सितंबर 2022 में रूसी सरकार ने "आंशिक लामबंदी" लागू की थी तब 300,000 लोगों को बुलाया गया था। तब कहा गया था कि भर्ती किए गए लोगों को तब तक सेना में रहना होगा जब तक कि राष्ट्रपति पुतिन यह फैसला नहीं कर लेते कि उन्हें छुट्टी दी जा सकती है। 

बहरहाल, हम आपको यह भी याद दिला दें कि चेचन्या में युद्ध का विरोध करने वाली महिलाओं के इर्द-गिर्द एकजुट हुआ एक युद्ध-विरोधी आंदोलन क्रेमलिन को वहां युद्ध समाप्त करने के लिए प्रेरित करने में एक महत्वपूर्ण कारक था। इसलिए अब रूसी अधिकारी यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि मौजूदा विरोध प्रदर्शनों से उस तरह का कोई राष्ट्रीय आंदोलन न उभर जाये।

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